मेरी बेटी - कविता Meri Beti poem

  मेरी बेटी - कविता 

     Meri Beti poem 



मेरी बेटी मेरी जान है

वही मेरा स्वाभिमान है


जब तू हस्ती है

पापा पापा करती है

गोदी लो ये कहती है 

जीवन आशा जागती है। 


जब तू मुस्कुराती है

इंद्रधनुष सा छा जाती है 

खाना जब तू खाती है

 तृप्त मुझे कर जाती है।



तंग कभी तू करती है

ये चाहिए, वो चाहिए कहती है

और डांट तुझे जब पढ़ती है  

दिल मेरा भी दुखता है।



बेटी तू सदा खुश रहे

तंदरुस्त और मस्त रहे

जीवन तेरा सफल रहे

दिल में माता पिता संग रहे।



जब तू झप्पी पाती है

पूर्ण चिंता मुक्त करती है 

बीमारी तुझे जब आती है

दिल अपना बड़ा दुखाती है। 



सोते हुए जब देखता हूं

मन मन प्रसन्न होता हूं

बेटी ऐसे ही तू मस्त रहे

 प्रसन्न और स्वस्थ रहे।



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