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Showing posts from February, 2024

संवाद लेखन/ Samvaad Lekhan

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  संवाद लेखन / Samvaad Lekhan         जब हम किसी से की गई मौखिक बातचीत को लिखित रूप देते हैं, तो उसे संवाद लेखन कहते हैं। संवाद लेखन एक कला है । इसके द्वारा हम अपने भावों को व्यक्त कर सकते हैं । संवाद परिस्थितियों एवं पात्रों के चरित्र को उजागर करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस विधा में अभ्यास नितान्त आवश्यक है। संवाद लेखन में निम्नलिखित बातों का विशेष ध्यान देना चाहिए 1. संवादों की भाषा सरल एवं आम बोलचाल की होनी चाहिए। 2. संवाद छोटे, रोचक और चुटीले होने चाहिए। 3. संवाद पात्रों की अवस्था, संबंध और परिस्थितियों के अनुकूल होने चाहिए। उदाहरण  1. छात्र और प्राचार्य के मध्य संवाद  छात्र : श्रीमान् ! क्या मैं अन्दर आ सकता हूँ?  प्राचार्य : हाँ आओ ! छात्र : (प्रवेश करके) मैं आपके विद्यालय में प्रवेश चाहता हूँ। प्राचार्य : पहला विद्यालय क्यों छोड़ना चाहते हो? छात्र : पिताजी का यहाँ तबादला हो गया है और आपका विद्यालय हमारे घर के पास है। प्राचार्य : वहाँ कौन-सी कक्षा में पढ़ रहे थे? छात्र : आठवीं कक्षा में श्रीमान् ! यह है मेरा प्रगति-पत्र और विद्यालय छोड़ने की टी.सी.। प्राचार्य : (प्रग

8.13 बाज़ और सांप Baj Aur Saamp

बाज और सांप / Baaj Aur Saamp शीर्षक और नायक  प्रश्न 1. लेखक ने इस कहानी का शीर्षक कहानी के दो पात्रों के आधार पर रखा है। लेखक ने बाज और साँप को ही क्यों चुना? आपस में चर्चा कीजिए। उत्तर   बाज और साँप' कहानी दो कहानियों के संयोग से मिलकर बनी है। एक कहानी का केंद्र-बिंदु साँप है, तो दूसरी कहानी का केंद्र-बिंदु बाज है। दोनों कहानियाँ एक-दूसरे के बिना अधूरी एवं उद्देश्यहीन-सी जान पड़ती हैं। इसलिए लेखक ने दोनों कहानियों को एक करके दोनों नायकों बाज और साँप के नाम पर कहानी का शीर्षक रखा, जो उचित जान पड़ता है। कहानी से  1.   घायल होने के बाद भी बाज ने यह क्यों कहा, ”मुझे कोई शिकायत नहीं है।” विचार प्रकट कीजिए। उत्तर -  घायल होने के बाद भी बाज ने यह कहा कि – “मुझे कोई शिकायत नहीं है।” उसने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि वह किसी भी कीमत पर समझौतावादी जीवन शैली पसंद नहीं करता था। वह अपने अधिकारों के लिए लड़ने में विश्वास रखता था। उसने अपनी ज़िंदगी को भरपूर भोगा। वह असीम आकाश में जी भरकर उड़ान भर चुका था। जब तक उसके शरीर में ताकत रही तब तक ऐसा कोई सुख नहीं बचा जिसे उसने न भोगा हो। वह अपने जीवन से पूर्णतः

8 लक्षित अधिगम बिंदु TLO

8 लक्षित अधिगम बिंदु   TLO  (Teaching learning outcomes) 8.1  लाख की चूड़ियाँ   लक्षित अधिगम बिंदु / TLO-   1. कारीगरों के प्रति सम्मान की भावना उत्पन्न करना। 2. संवेदनशीलता एवं आत्मसम्मान की भावना का विकास। 3. परिश्रम के महत्त्व को समझना। 4. संज्ञा के रूपों की पहचान और उसके रूपों को स मझना। -----   8.2     बस की यात्रा  लक्षित अधिगम बिंदु / TLO-   1. छात्रों में कल्पना शक्ति का विकास। 2. छात्र व्यंग्य विधा को समझ सकेंगे।  3. शब्द भंडार में वृद्धि करना। 4. कारक और विशेषण का ज्ञान।    ---  8.3 दीवानों की हस्ती।    लक्षित अधिगम बिंदु / TLO-     1. घटनाओं को परिवेश से जोड़ने की क्षमता का विकास। 2. दीवानों के भावों तथा क्रियाकलापों की समझ का विकास। 3. कविता के स्वर पठन का अभ्यास।  ------------  8.13 बाज़ और सांप  1. हमें जीवन में सदा  सकारात्मक सोच रखने की प्रेरणा प्राप्त होगी। 2. साहसी एवं वीर लोगोंको प्राप्त होने वाले यश के विषय में जानेंगे। 3. मनोरंजक कहानी के माध्यम से हिन्दी साहित्य के प्रति रुचि उत्पन्न होगी ।