6.3.2 कक्षा 6, एनसीईआरटी हिंदी पुस्तक 'मल्हार' अध्याय-3, पहली बूंद 6.3.2 Class -6, NCERT Hindi Malhaar Lesson- 3, Pehli Boond
6.3.2 कक्षा 6, एनसीईआरटी हिंदी पुस्तक 'मल्हार'
अध्याय-3, पहली बूंद
6.3.2 Class -6, NCERT Hindi Malhaar
Lesson- 3, Pehli Boond
✍️ पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
शब्दार्थ :
पावस- वर्षा ऋतु
धरा- धरती।
वसुंधरा- धरती।
अंकुर- बीज 'का फूटना, प्रारंभिक स्वरूप।
नव- नया।
अँगड़ाई - शरीर को तानना।
अधर- होंठ।
रोमावलि-सी- रोमों की पंक्ति की तरह।
दूब- हरी घास।
पुलकी- जिसे रोमांच हुआ हो।
मेरी समझ से
प्रश्न (क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा हैं?
उसके सामने तारा (*) बनाइए-
(1) कविता में 'नव-जीवन की ले "अंगडाई" किसके लिए प्रयुक्त हुआ है?
बादल बूँद
अंकुर* पावस
(2) 'नीले नयनों-सा यह अंबर, काली पुतली-से ये जलकर में काली पतली' है-
बारिश की बूँदें* वृद्ध धरती
नगारा बादल
(ख) अब अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर क्यों चुने?
उत्तर- (क) * (1) अंकुर
*(2) बारिश की बूँदे
(ख) विद्यार्थी स्वयं करें।
मिलकर करें मिलान
प्रश्न- कविता की कुछ पंकितयाँ नीचेवीगई हैं है। इन यंक्तियों में कुछ शब्व रेखांकित हैं। दाहिनी ओर अ रेखॉंकित शलों के भावारथ बिए गए हैं। इनका मिलान I सो 'कीजिए।
कविता की पंक्तियाँ भावार्थ
1. आसमान में उडता सागर, 1. मेघ-गर्जना
लगा बिजलियों के स्वणिम पर
2. बजा नगाड़े जगा रहे हैं 2. बादल
बादल धरती की तरुणाई
3. नीले नयनों सा यह अम्बर, 3. हरी दूब
काली पुतली-से ये जलधर के स पडी
4. वसुंधरा की रोमावलि-सी. 4. आकाश
हरी बूब पुलकी-मुसकाई।
उत्तर-
1 - 2
2 - 1
3 - 4
4 - 3
सोच-विचार के लिए
प्रश्न- कविता को एक बार फिर से पढिए और निम्नलिखित के बारे में पता लगाकर अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए-
1. बारिश को पहली बूँद से धरती का हर्ष कैसे प्रकट होता है?
उत्तर- धरती के सूखे होंठों पर बारिश को बूँद अमृत के समान गिरती है, मानो वर्षा होने से बेजान और सूखी पडी धरती को नवीन जीवन ही मिल गया हो। इस प्रकार बारिश की पहली बूँद से धरती का हर्ष प्रकट होता हैं।
2. कविता में आकाश और बादलों को किनके समान बताया गया हैं?
उत्तर प्रस्तुत कविता के अनुसार, नीले आकाश को नीली ऑंखों के समान और काले बादल को उन नीली-नीली आँखों को काली पुतली के समान बताया गया है।
शब्द एक अर्थ अनेक
प्रन- "'अंकुर फूट चड़ा धरती से, नव-जीवन की ले अँगडाईं" कविता की इस पॉक्त में "फूटने' का अर्थ पौधे का अंकुरण है। "फूट" का प्रयोंग अलग-अलग अथों में किया जाता है, जैसे- फूट डालना, घड़ा फूटना आदि। अब फूट शब्भ का प्रयोंग ऐसे वाक्यों में कीजिए जहाँ इसके भिन्न-भिन्न अर्थ निकलते हों, जैसे- अंग्रेजों की नीति थी फूट डालो और राज़ करो।
उत्तर
1. दोस्तों में फूट पड गईं।
2. उसका सिर फूट गया।
3. धरती से जल की धारा फूट पड़ी।
4.दीवार से टकराते ही उसकी एक आँख फूट गईं।
अनेक शब्दों के लिए एक शब्द
प्रश्न- नीले नयनों-सा यह अंबर, काली पुतली-से ये जलघर' कविता की इस पंक्ति में जलकर' शब्द आया है। , 'जालंधर' दो शब्दों से बना है, जल और धरा इस प्रकार जलकर का शाब्दिक अर्थ हुआ जल को धारण करने वाला। बादल और समुद्र; दोनों ही जल धारण करते हैं। इसलिए दोनों जलकर हैं वाक्य के संदर्भ या प्रयोग से हम जान सकेंगे कि जलाधार का अर्थ समुद्र है या बादल। शब्दकोश या इंटरनेट को सहायता से घर' से मिलकर बने कुछ शब्द और उनके अर्थ ढूँढकर लिखिए
उत्तर-
शब्द अर्थ
चक्रधर - चक्र को धारण करने वाला अर्थात विष्णु
हलधर - हल को धारण करने वाला अर्थात बलराम
गिरधर - पर्वत को धारण करने वाला अर्थात कृष्ण
मुरलीधर - मुरली को धारण करने वाला अर्थात कृष्ण
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