7.1.2 कक्षा 7, एनसीईआरटी हिंदी पुस्तक 'मल्हार' अध्याय 1 "माँ, कह एक कहानी" 7.1 Class -7, NCERT Hindi Malhaar Maa Kaha ek Kahani

7.1.2 कक्षा- 7,  एनसीईआरटी हिंदी पुस्तक 'मल्हार' 

अध्याय 1 "माँ, कह एक कहानी"

7.1.2 Class -7, NCERT Hindi Malhaar  

Chapter 1 Maa Kaha ek Kahani

  

  प्रश्नों के उत्तर 

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मेरी समझ से


(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सबसे सही उत्तर कौन-सा है? उनके सामने तारा (*) बनाइए। कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं।


1. माँ अपने बेटे को करुणा और न्याय की कहानी क्यों सुनाती है?


राजाओं की कहानियों से उसका मनोरंजन करने के लिए।


उसमें सही और गलत की समझ विकसित करने के लिए। (*)


उसे परिवार की विरासत और पूर्वजों के बारे में बताने के लिए।


उसे प्रकृति और जानवरों के बारे में जानकारी देने के लिए। 



उत्तर: उसमें सही और गलत की समझ विकसित करने के लिए। 



2. कविता में घायल पक्षी की कहानी का उपयोग किस लिए किया गया है?


निर्दोष पक्षी के प्रति आखेटक की क्रूरता दिखाने के लिए। (*)


पिता की वीरता और साहस पर ध्यान दिलाने के लिए।


करुणा और हिंसा के बीच के संघर्ष को दिखाने के लिए। (*)


मित्रता और निष्ठा के महत्व को उजागर करने के लिए। 



उत्तर: निर्दोष पक्षी के प्रति आखेटक की क्रूरता दिखाने के लिए।, करुणा और हिंसा के बीच के संघर्ष को दिखाने के लिए। 



3. कविता के अंत तक पहुँचते-पहुँचते बच्चे को क्या समझ में आने लगता है?


न्याय सदैव करुणा के साथ होना चाहिए। (*)


निर्णय लेते समय सदैव निडर रहना चाहिए।


आखेटकों का सदैव विरोध करना चाहिए।


जानवरों की हर स्थिति में रक्षा करनी चाहिए। 



उत्तर: न्याय सदैव करुणा के साथ होना चाहिए। 




(ख) हो सकता है कि आपके समूह के साथियों ने अलग-अलग उत्तर चुने हों। अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?


उत्तर: मैंने उपरोक्त उत्तर इसलिए चुने क्योंकि कविता का मुख्य उद्देश्य राहुल को नैतिक मूल्य सिखाना है। माँ की कहानी करुणा और न्याय पर आधारित है, जो बच्चे में सही-गलत की समझ विकसित करती है। घायल पक्षी की कहानी क्रूरता और दया के बीच के संघर्ष को दिखाती है, और अंत में राहुल का जवाब दर्शाता है कि वह न्याय में करुणा के महत्व को समझ गया है। अपने मित्रों के साथ चर्चा करके मैं उनके दृष्टिकोण को समझ सकता हूँ, जैसे कि कुछ लोग मनोरंजन या प्रकृति के बारे में सोच सकते हैं, लेकिन कविता का मुख्य संदेश नैतिकता और करुणा है। 



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मिलकर करें मिलान


प्रश्न: इस पाठ में आपने माँ और पुत्र के बीच की बातचीत को एक कविता के रूप में पढ़ा है। इस कविता में माँ अपने पुत्र को उसके पिता की एक कहानी सुना रही हैं। क्या आप जानते हैं कि ये माँ, पुत्र और पिता कौन हैं? अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और उन्हें पहचानकर सूचीबद्ध कीजिए। 


उत्तर: यह कविता यशोधरा और उनके पुत्र राहुल के बीच का संवाद है। सिद्धार्थ (गौतम बुद्ध) उनके पिता हैं, जिनके बारे में कहानी सुनाई जा रही है। 



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सोच-विचार के लिए


(क) आपके विचार से इस कविता में कौन-सी पंक्ति सबसे महत्वपूर्ण है? आप उसे ही सबसे महत्वपूर्ण क्यों मानते हैं?


उत्तर: मेरे विचार से सबसे महत्वपूर्ण पंक्ति है: "न्याय दया का दानी!" यह पंक्ति कविता का मुख्य संदेश देती है कि न्याय हमेशा करुणा के साथ होना चाहिए। राहुल इस पंक्ति में अपनी समझ व्यक्त करता है कि निर्दोष की रक्षा करना और दया के साथ न्याय करना सही है। यह कविता का निष्कर्ष और नैतिक संदेश है। 


(ख) आखेटक और बच्चे के पिता के बीच तर्क-वितर्क क्यों हुआ था?


उत्तर: आखेटक और बच्चे के पिता (सिद्धार्थ) के बीच तर्क-वितर्क इसलिए हुआ क्योंकि आखेटक ने एक निर्दोष हंस को तीर मारकर घायल कर दिया था। सिद्धार्थ ने हंस को बचाया और उसका इलाज किया। आखेटक ने घायल हंस को वापस माँगा, लेकिन सिद्धार्थ ने उसे देने से इनकार कर दिया, क्योंकि वे निर्दोष की रक्षा करना चाहते थे। दोनों अपनी-अपनी बात पर अड़े थे, जिसके कारण विवाद हुआ। 


(ग) माँ ने पुत्र से “राहुल, तू निर्णय कर इसका” क्यों कहा?


उत्तर: माँ ने राहुल से “राहुल, तू निर्णय कर इसका” इसलिए कहा ताकि वह स्वयं सोच-विचार करके सही और गलत का निर्णय ले सके। माँ चाहती थी कि राहुल कहानी से नैतिक शिक्षा ग्रहण करे और करुणा व न्याय के महत्व को समझे। यह प्रश्न राहुल की सोच को प्रोत्साहित करने और उसे स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने के लिए प्रेरित करने के लिए था। 


(घ) यदि कहानी में आप उपवन में होते तो घायल हंस की सहायता के लिए क्या करते? आपके अनुसार न्याय कैसे किया जा सकता था?


उत्तर: अगर मैं उपवन में होता, तो मैं घायल हंस को उठाकर उसका इलाज करता, जैसे कि उसके घाव को साफ करके उसे सुरक्षित स्थान पर रखता। मैं आखेटक से कहता कि निर्दोष प्राणी को मारना गलत है और उसे ऐसा नहीं करना चाहिए। न्याय के लिए: मैं दोनों पक्षों (आखेटक और हंस को बचाने वाले) की बात सुनता। चूँकि हंस निर्दोष था, मैं हंस को बचाने वाले का पक्ष लेता और आखेटक को समझाता कि हिंसा गलत है। न्याय में दया को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, और हंस को आजाद करना सही होता। 


(ङ) कविता में माँ और बेटे के बीच बातचीत से उनके बारे में क्या-क्या पता चलता है?


उत्तर:


माँ (यशोधरा): माँ बहुत दयालु, बुद्धिमान और शिक्षक की तरह है। वह अपने बेटे को कहानी के माध्यम से नैतिक मूल्य सिखाती है। वह राहुल को सोचने और निर्णय लेने के लिए प्रोत्साहित करती है। 


बेटा (राहुल): राहुल जिज्ञासु और उत्सुक है। वह बार-बार वही कहानी सुनना चाहता है, जिससे उसका कहानी के प्रति प्रेम झलकता है। वह कहानी सुनकर नैतिकता और दया के बारे में सीखता है और अंत में अपनी समझ व्यक्त करता है। 


संबंध: माँ और बेटे के बीच प्रेमपूर्ण और शिक्षाप्रद संबंध है। माँ धैर्यपूर्वक राहुल के सवालों का जवाब देती है और उसे सही दिशा में ले जाती है। 




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अनुमान और कल्पना से


(क) माँ ने अपने बेटे को कहानी सुनाते समय अंत में कहानी को स्वयं पूरा नहीं किया, बल्कि उसी से निर्णय करने के लिए कहा। यदि आप किसी को यह कहानी सुना रहे होते तो कहानी को आगे कैसे बढ़ाते?


उत्तर: अगर मैं यह कहानी सुना रहा होता, तो मैं कहानी को इस तरह आगे बढ़ाता: न्यायालय में सभी ने दोनों पक्षों की बात सुनी। दयालु व्यक्ति (सिद्धार्थ) ने कहा कि निर्दोष हंस को मारना गलत है और उसकी रक्षा करना हमारा कर्तव्य है। आखेटक ने कहा कि उसने हंस को शिकार के लिए मारा, जो उसका अधिकार है। न्यायाधीश ने दया और नैतिकता को प्राथमिकता दी और फैसला सुनाया कि हंस को आजाद किया जाए। आखेटक को समझाया गया कि हिंसा छोड़कर करुणा अपनाए। हंस ठीक होकर आकाश में उड़ गया, और सभी ने इस फैसले की प्रशंसा की। 


(ख) मान लीजिए कि कहानी में हंस और तीर चलाने वाले के बीच बातचीत हो रही है। कल्पना से बताइए कि जब उसने हंस को तीर से घायल किया तो उनमें क्या बातचीत हुई होगी?


उत्तर:


हंस: "हे आखेटक, तुमने मुझे क्यों मारा? मैं तो निर्दोष हूँ और केवल आकाश में उड़ रहा था।" 


आखेटक: "मैं एक शिकारी हूँ, और शिकार करना मेरा काम है। तुम मेरे निशाने पर आ गए, इसलिए मैंने तीर चलाया।" 


हंस: "पर मेरा क्या अपराध था? मैंने तुम्हारा कोई नुकसान नहीं किया। सभी प्राणियों को जीने का अधिकार है।" 


आखेटक: "यह जंगल है, और यहाँ शिकार करना स्वाभाविक है। मुझे तुम्हारा मांस चाहिए।" 


हंस: "क्या तुम्हें मेरी पीड़ा नहीं दिखती? दया करो और मुझे बचाओ, मैं तुम्हें कभी नहीं भूलूँगा।" 


आखेटक: "मुझे दया की नहीं, अपने शिकार की जरूरत

 है।" 



विश्लेषण: हंस करुणा और अपने जीने के अधिकार की बात करता है, जबकि आखेटक अपने शिकार को सही ठहराता है। यह बातचीत द


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