8.8 कबीर की साखियां Kabir ki sakhiyan TLO 1. विद्यार्थी कबीर जी की साखियों के विषय में जानेंगे। 2. विद्यार्थी ज्ञान, एकाग्रता, समानता, विनम्रता आदि गुणों के महत्त्व के विषय में जानेंगे। 3. हमें सदा प्रिय वाक्य ही बोलने चाहिए तथा किसी को अपशब्द नहीं बोलने चाहिए भाषा के महत्त्व को समझेंगे। प्रश्न-अभ्यास पाठ से - प्रश्न 1: ‘तलवार का महत्त्व होता है, म्यान का नहीं’ – उक्त उदाहरण से कबीर क्या कहना चाहता है? स्पष्ट कीजिए। उत्तर - ‘तलवार का महत्व होता है, म्यान का नहीं’ से कबीर यह कहना चाहता है कि असली चीज़ की कद्र की जानी चाहिए। दिखावटी वस्तु का कोई महत्त्व नहीं होता। इसी प्रकार किसी व्यक्ति की पहचान अथवा उसका मोल उसकी काबलियत के अनुसार तय होता है न कि कुल, जाति, धर्म आदि से। उसी प्रकार ईश्वर का भी वास्तविक ज्ञान जरुरी है। ढोंग-आडंबर तो म्यान के समान निरर्थक है। असली ब्रह्म को पहचानो और उसी को स्वीकारो। प्रश्न 2: पाठ की तीसरी साखी-जिसकी एक पंक्ति हैं ‘मनुवाँ तो दहुँ दिसि फिरै, यह तो सुमिरन नाहिं’ के द्वारा कबीर क्या कहना चाहते हैं? उत्तर - कबीरदास जी इस पंक्ति के द्वारा यह कहना चाहते
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