Posts

Showing posts from June, 2023

शिक्षक - कविता (Shikshak)

  शिक्षक -  कविता  (shikshak)  शिक्षण एक व्यवसाय नहीं यह एक मर्यादा है, युगों से शिक्षक ने ही राष्ट्र को बनाया है। शिक्षक में ज्ञान हो, धैर्य हो, आत्मसम्मान हो,  विनम्रता और अपनत्व प्रत्येक विद्यार्थी एक समान हो।   शिक्षक ही गुरु है गुरु देव समान है,  विद्या से ही जीवन अपना विद्या से समस्त संसार है।   - डॉ. विपिन  

हमने अबतक क्या है पाया? - कविता

 हमने अबतक क्या है पाया? - कविता         एक दिन यूं ही बैठे-बैठे ,   हमें एक खयाल है आया  जीवन भर दौड़ कर भी,       हमने अबतक क्या है पाया    बचपन से अब तक,         हमें बस यही सिखाया है   मेहनत कर आगे बढ़ना है            यही राग सुनाया है     पर फिर भी सब कुछ पाकर,    खाली-खाली लगता है।    जीवन का हर एक सपना         अधूरा-अधूरा लगता है ।        सुबह से शाम तक         दिन यूहीं गुजरता है।     हररात कुछ करने की      प्रतिज्ञा नित करता है।              जिंदगी की वह सब खुशियां       जिन्हें मैं ढूंढता गया।    जिन्हें पाने की चाहत में        लम्हा हर गुजारता गया।      आंखों के सामने का मंजर,      सूना नजर आता है।   दिल के कोने में बैठा बच्चा,       खोया नजर आता है।           जीवन में खुशी है कहां            हमको यह बतला दो।    सुखचैन की जगह पर               हमें तुम पहुंचा दो।      आसमान के नीचे सोना         अब भी याद आता है।   बंद कमरों में सोना हमें         बिल्कुल नहीं भाता है।     जिन्दगी एक दिन होगी रोशन       दिलमें यही आशा है। इसी सोच में हर एक दिन     हर लम्हा गुजरता जाता है। - वि

मेरा घर है कहाँ? कविता

          मेरा घर है कहाँ? कविता  मेरा घर मेरा परिवार  ढूंढता हूँ मैं आज कोई मुझे बतला दो मेरा घर है कहाँ?      जन्म किसी स्थान पर लिया      पढ़ने कहीं और गया      नौकरी कहीं और की       मेरा घर है कहाँ?      सोचा एक घर बनाएं      मिलकर उसे आज सजाएं      आंधी चली पत्ता उड़ा       मेरा घर है कहाँ?            सुकून मेरा है कहाँ        आराम अब मिलेगा कहाँ       चैन अब तक न पाए है      मेरा घर है कहाँ?        अंत समय कहाँ गुजरेगा        मोक्ष मुझे कब मिलेगा        यह सोच दिल में आये         मेरा घर है कहाँ? - विपिन शर्मा      

विद्यालय है एक उपवन - कविता Hindi Poem

         विद्यालय है एक उपवन - कविता Hindi Poem 1) विद्यालय है एक उपवन, कुसुम हो तुम उसके । खाद है माता पिता, शिक्षक माली हैं इसके।। 2) शिक्षा लेने आए हो, शिक्षित होना ही होगा तुम्हें।  माता पिता देश की, आशा पूरी करनी है तुम्हें ।। 3) समाज को है आशा तुमसे, उसे तुम करना पूर्ण ।  उसी से आशा तुम्हारी, ना रहेगी कोई अपूर्ण।। 4) डॉक्टर इंजिनीरिंग या वकील, या बनो तुम देश के रक्षक । देश सेवा करनी है तुम्हें, न बनना तुम इसके भक्षक।। 5) देश को है उन्नत बनाना, रखना तुम इसे साफ। यह मातृभूमि है तुम्हारी, करना ना शत्रुओं को माफ।।                        ------------------------------- डॉ. विपिन शर्मा प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (संस्कृत)

क्या आप जानते हैं (Do you know- Hindi)

            क्या आप जानते हैं (Do you know- Hindi) विश्व में सबसे ऊंचा डाकघर हिमाचल के लाहौर स्पिति जिले के रामपुर बुशहर के हीक्किम HIKKIM  में है जो  14567 /15500  फीट की ऊंचाई पर स्थित है। -------   संविधान सभा ने  हिंदी भाषा को अधिकारिक रूप में 14 सितंबर उन्नीस सौ 1949 को चुना था इसी वजह से 14 सितंबर को हर साल हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। -------- क्या आप जानते हैं की दुनिया में हर साल करीब 1500 करोड़ पेड़ काटे जाते हैं जबकि लगाए जाने वाले पेड़ों की संख्या मात्र 521 करोड़ है यानी सिर्फ एक तिहाई नए पेड़। ------- दुनिया का सबसे ज्यादा  डाकघरों की संख्या भारत में हैं। भारत में  लगभग 1,55,531 (एक लाख, पचपन हज़ार पांच सौ इकत्तीस) डाकघर है जिसमें लगभग 5,66,000 (पांच लाख छयासट हज़ार)   कर्मचारी कार्य करते हैं। (23aug2019) ------ In 1854, India created history and became the first country to issue postage stamp from the post office in the province of Sind (then in British India).

हिंदी भाषा और शायरी Hindi bhasha aur shayari

हिंदी भाषा और शायरी Hindi bhasha aur  shayari     हिंदी भारत की राजभाषा है। परंतु अफ़सोस की बात है कि समस्त भारत को एक सूत्र में पिरोने वाली भाषा हिंदी को हमारे देश की राष्ट्रभाषा बनने का गौरव प्राप्त न हो सका।      हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के अनेक प्रयास किये गए परंतु अपने ही कुछ लोगों के कारण यह राष्ट्रभाषा न बन सकी। 14 सितम्बर 1949 को हिंदी को भारत की राजभाषा घोषित किया गया। तब से प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है।       हिंदी भाषा के सम्मान में समर्पित शायरी संग्रह :- 1. सारा जहाँ ये जानता है ये ही हमारी पहचान है, संस्कृत से संस्कृति हमारी हिंदी से हिंदुस्तान है। 2. जिसमें हैं मैंने ख्वाब बुने जिससे जुड़ी मेरी हर आशा है, जिससे है मुझे पहचान मिली वो मेरी हिंदी भाषा है। 3. पिता की डांट से माँ की लोरियों तक स्कूल की किताबों से यारों की टोलियों तक, जिनसे जो कुछ भी मैंने पाया है हिंदी भाषा ने इन सब में अपना किरदार निभाया है। 4. जब भी होता ये दिल भावुक और ये जुबान लड़खड़ाती है, ऐसे समय में बस अपनी मातृभाषा ही काम आती है। 5. हमारी एकता और अखंडता ही हमारे देश

8.5 क्या निराश हुआ जाए ( kya Nirash Hua Jaaye)

  8.5 क्या निराश हुआ जाए   ( kya Nirash Hua Jaaye)  लक्षित अधिगम बिंदु (TLO) 1. जीवन में सदा आशावादी रहने का संदेश प्राप्त होता है। 2. विद्यार्थियों में देशभक्ति की भावना का विकास होगा। 3. निबंध लेखन विधा के विषय में जानेंगे।  4. नूतन शब्दों के परिचय होगा।   प्रश्न-अभ्यास प्रश्न 1: लेखक ने स्वीकार किया है कि लोगों ने उन्हें भी धोखा दिया है फिर भी वह निराश नहीं हैं। आपके विचार से इस बात का क्या कारण हो सकता है? उत्तर: लेखक ने अपने व्यक्तिगत अनुभवों का वर्णन करते हुए कहा है कि उसने जीवन में धोखा तो  खाया है परंतु ऐसा जीवन में हमेशा नहीं हुआ।  उसका मानना है कि अगर वो इन धोखों को याद रखेगा तो उसके लिए विश्वास करना बहुत कठिन  होगा और ऐसी घटनाएँ भी बहुत कम नहीं हैं जब लोगों ने अकारण उनकी सहायता की है, निराश मन को ढाँढस दिया है और हिम्मत बढाई है।  उदाहरण के रूप में टिकट बाबू द्वारा बचे हुए पैसे लेखक को लौटाना, बस कंडक्टर द्वारा दूसरी बस व बच्चों के लिए दूध लाना आदि ऐसी घटनाएँ हैं। इसलिए उसे विश्वास है कि समाज में मानवता, प्रेम, आपसी सहयोग समाप्त नहीं हो सकते। पर्दाफ़ाश प्रश्न 1: दोषों का पर्दा