शिक्षक - कविता (Shikshak)
शिक्षक - कविता
(shikshak)
शिक्षण एक व्यवसाय नहीं
यह एक मर्यादा है,
युगों से शिक्षक ने ही
राष्ट्र को बनाया है।
शिक्षक में ज्ञान हो,
धैर्य हो, आत्मसम्मान हो,
विनम्रता और अपनत्व
प्रत्येक विद्यार्थी एक समान हो।
शिक्षक ही गुरु है
गुरु देव समान है,
विद्या से ही जीवन अपना
विद्या से समस्त संसार है।
- डॉ. विपिन
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