हिंदी भाषा और शायरी Hindi bhasha aur shayari

हिंदी भाषा और शायरी

Hindi bhasha aur  shayari 


   हिंदी भारत की राजभाषा है। परंतु अफ़सोस की बात है कि समस्त भारत को एक सूत्र में पिरोने वाली भाषा हिंदी को हमारे देश की राष्ट्रभाषा बनने का गौरव प्राप्त न हो सका।

     हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के अनेक प्रयास किये गए परंतु अपने ही कुछ लोगों के कारण यह राष्ट्रभाषा न बन सकी। 14 सितम्बर 1949 को हिंदी को भारत की राजभाषा घोषित किया गया। तब से प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है।

      हिंदी भाषा के सम्मान में समर्पित शायरी संग्रह :-

1.

सारा जहाँ ये जानता है

ये ही हमारी पहचान है,

संस्कृत से संस्कृति हमारी

हिंदी से हिंदुस्तान है।

2.

जिसमें हैं मैंने ख्वाब बुने

जिससे जुड़ी मेरी हर आशा है,

जिससे है मुझे पहचान मिली

वो मेरी हिंदी भाषा है।

3.

पिता की डांट से माँ की लोरियों तक

स्कूल की किताबों से यारों की टोलियों तक,

जिनसे जो कुछ भी मैंने पाया है

हिंदी भाषा ने इन सब में अपना किरदार निभाया है।

4.

जब भी होता ये दिल भावुक

और ये जुबान लड़खड़ाती है,

ऐसे समय में बस अपनी

मातृभाषा ही काम आती है।

5.

हमारी एकता और अखंडता ही

हमारे देश की पहचान है,

हिन्दुस्तानी हैं हम और

हिंदी हमारी जुबान है।

6.

भारत के हर एक कोने को

आपस में जो साथ मिलाये,

संपर्क सूत्र का काम करे जो

वो भाषा हिंदी कहलाये।

7.

जिससे जुड़े हैं सपने मेरे

जिससे जुड़े हुए अरमान,

हिंदी बस भाषा नहीं

हिंदी है मेरी जान।

8.

हिंदी आशीर्वाद सी है

अंग्रेजी एक आफत है,

हिंदी मात्र भाषा नहीं

हिंदी हमारी विरासत है।

9.

बदलेंगे हालात हमारे

ये धरा भी मुस्कुराएगी,

जन-जन की भाषा हिंदी जब

दिल से अपनाई जाएगी।

10.

देश बढेगा आगे यदि

सबकी आशा एक हो,

मत भी सबका एक हो

भाषा भी सबकी एक हो।

11.

बिछड़ जायेंगे हमारे अपने हमसे

अगर अंग्रेजी टिक जाएगी,

मिट जायेगा वजूद हमारा

अगर हिंदी मिट जाएगी।

12.

सम्मान जो खोया है इसने

हमें उसको वापस लौटाना है,

अस्तित्व न खो दे अपना ये

हिंदी को हमें बचाना है।

13.

विविधताओं से भरे इस देश में

लगी भाषाओं की फुलवारी है,

जिसमें हमको सबसे प्यारी

हिंदी मातृभाषा हमारी है।

14.

बिन इसके अधूरा हूँ मैं

मेरी हालत ऐसी है,

इसके बिना मेरा क्या जीवन

हिंदी मेरी माँ जैसी है।

15.

निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।

बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।

16। 

अंग्रेजी पढ़ि के जदपि, सब गुन होत प्रवीन।

पै निज भाषा ज्ञान बिन, रहत हीन के हीन।।

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