8.5.2 कक्षा- 8, एनसीईआरटी हिंदी पुस्तक 'मल्हार' अध्याय- 5, कबीर के दोहे Class- 8, NCERT Hindi Malhaar Chapter- 5, Kabir Ke Dohe
8.5.2 कक्षा- 8, एनसीईआरटी हिंदी पुस्तक 'मल्हार'
अध्याय- 5, कबीर के दोहे
Class- 8, NCERT Hindi Malhaar
Chapter- 5, Kabir Ke Dohe
मेरी समझ से
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उपयुक्त उत्तर के सम्मुख तारा (★) बनाइए। कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं।
(1) “गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागौं पाँय। बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताय।।” इस दोहे में किसके विषय में बताया गया है?
श्रम का महत्व
गुरु का महत्व (★)
ज्ञान का महत्व
भक्ति का महत्व
(2) “अति का भला न बोलना अति का भला न चूप। अति का भला न बरसना अति की भली न धूप।।” इस दोहे का मूल संदेश क्या है?
हमेशा चुप रहने में ही हमारी भलाई है
बारिश और धूप से बचना चाहिए
हर परिस्थिति में संतुलन होना आवश्यक है (★)
हमेशा मधुर वाणी बोलनी चाहिए
(3) “बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर। पंथी को छाया नहीं फल लागै अति दूर।।” यह दोहा किस जीवन कौशल को विकसित करने पर बल देता है?
समय का सदुपयोग करना
दूसरों के काम आना (★)
परिश्रम और लगन से काम करना
सभी के प्रति उदार रहना
(4) “ऐसी बानी बोलिए मन का आपा खोय। औरन को सीतल करै आपहुँ सीतल होय।।” इस दोहे के अनुसार मधुर वाणी बोलने का सबसे बड़ा लाभ क्या है?
लोग हमारी प्रशंसा और सम्मान करने लगते हैं
दूसरों और स्वयं को मानसिक शांति मिलती है (★)
किसी से विवाद होने पर उसमें जीत हासिल होती है
सुनने वालों का मन इधर-उधर भटकने लगता है
(5) “साँच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप। जाके हिरदे साँच है ता हिरदे गुरु आप।।” इस दोहे से क्या निष्कर्ष निकाला जा सकता है?
सत्य और झूठ में कोई अंतर नहीं होता है
सत्य का पालन करना किसी साधना से कम नहीं है
बाहरी परिस्थितियाँ ही जीवन में सफलता तय करती हैं
सत्य महत्वपूर्ण जीवन मूल्य है जिससे हृदय प्रकाशित होता है (★)
(6) “निंदक नियरे राखिए आँगन कुटी छवाय। बिन पानी साबुन बिना निर्मल करै सुभाय।।” यहाँ जीवन में किस दृष्टिकोण को अपनाने की सलाह दी गई है?
आलोचना से बचना चाहिए
आलोचकों को दूर रखना चाहिए
आलोचकों को पास रखना चाहिए (★)
आलोचकों की निंदा करनी चाहिए
(7) “साधू ऐसा चाहिए जैसा सूप सुभाय। सार-सार को गहि रहै थोथा देइ उड़ाय।।” इस दोहे में ‘सूप’ किसका प्रतीक है?
मन की कल्पनाओं का
सुख-सुविधाओं का
विवेक और सूझबूझ का (★)
कठोर और क्रोधी स्वभाव का
मिलकर करें मिलान
(क) पाठ से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे स्तंभ 1 में दी गई हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और इन्हें स्तंभ 2 में दिए गए इनके सही अर्थ या संदर्भ से मिलाइए। इसके लिए आप शब्दकोश, इंटरनेट या अपने शिक्षकों की सहायता ले सकते हैं।
क्रम स्तंभ 1 स्तंभ 2
1- 3
2-5
3-6
4-8
5- 7
6-4
7-1
8-2
1. गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागौं पाँय।
गुरु शिष्य का मार्गदर्शन करते हैं और शिष्य गुरु का आदर करते हैं। (3)
2. अति का भला न बोलना, अति का भला न चूप।
जीवन में संतुलन महत्वपूर्ण है। (5)
3. ऐसी बानी बोलिए, मन का आपा खोय।
हमें मधुर वाणी बोलनी चाहिए जिससे मन को शांति प्राप्त हो सके। (6)
4. निंदक नियरे राखिए, आँगन कुटी छवाय।
आलोचकों को अपने पास रखना चाहिए। वे हमें हमारी गलतियाँ बताते हैं। (8)
5. साधु ऐसा चाहिए, जैसा धूप सुभाय
विवेकशील व्यक्ति को अच्छे और बुरे की पहचान होती है। 7
6. कबीरा मन पंछी भया, भावे तनाव जए
मन को नियंत्रित करना और सही दिशा में ले जाना महत्वपूर्ण है 4
7 साँच बराबर तप नहीं
सत्य का पालन कठिन है और झूठ पाप के समान है 1
8 बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर
बड़ा होने के साथ व्यक्ति को उधर भी होना चाहिए 2
पंक्तियों पर चर्चा
पाठ से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यानपूर्वक पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और लिखिए-
(क) कबिरा मन पंछी भया भावै तहवाँ जाय। जो जैसी संगति करै सो तैसा फल पाय”
अर्थ: यह दोहा बताता है कि मनुष्य का मन एक पक्षी की तरह स्वतंत्र होता है और वह जिस संगति में रहता है, उसी के अनुसार उसका व्यवहार और फल बनता है। अच्छी संगति अच्छे परिणाम देती है, जबकि बुरी संगति बुरे परिणाम देती है।
चर्चा: मेरे समूह में हमने माना कि संगति का प्रभाव हमारे विचारों और कार्यों पर पड़ता है। उदाहरण के लिए, यदि हम मेहनती मित्रों के साथ रहें, तो हम भी मेहनत करने लगते हैं।
(ख) “साँच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप। जाके हिरदे साँच है ता हिरदे गुरु आप।।”
अर्थ: यह दोहा कहता है कि सत्य बोलना सबसे बड़ा तप है और झूठ बोलना सबसे बड़ा पाप है। जो व्यक्ति सत्यनिष्ठ है, उसके हृदय में गुरु स्वयं निवास करते हैं।
चर्चा: हमने समूह में चर्चा की कि सत्य हमें आत्मविश्वास देता है और झूठ से बचने से मन शुद्ध रहता है। उदाहरण के लिए, यदि हम परीक्षा में सत्य बोलते हैं, तो हमें डर नहीं लगता।
सोच-विचार के लिए
पाठ को पुनः ध्यान से पढ़िए, पता लगाइए और लिखिए-
(क) “गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागौं पाँय।” इस दोहे में गुरु को गोविंद (ईश्वर) से भी ऊपर स्थान दिया गया है। क्या आप इससे सहमत हैं? अपने विचार लिखिए।
मैं इससे सहमत हूँ क्योंकि गुरु हमें सही मार्ग दिखाते हैं और ईश्वर तक पहुँचने का रास्ता बताते हैं। बिना गुरु के मार्गदर्शन के हम भटक सकते हैं। उदाहरण के लिए, मेरे शिक्षक ने मुझे अनुशासन सिखाया, जिससे मैं बेहतर इंसान बना।
(ख) “बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर।” इस दोहे में कहा गया है कि सिर्फ बड़ा या संपन्न होना ही पर्याप्त नहीं है। बड़े या संपन्न होने के साथ-साथ मनुष्य में और कौन-कौन सी विशेषताएँ होनी चाहिए? अपने विचार साझा कीजिए।
बड़े होने के साथ-साथ मनुष्य में उदारता, दूसरों की मदद करने की भावना, और विनम्रता होनी चाहिए। जैसे खजूर का पेड़ ऊँचा है, पर छाया और फल नहीं देता, वैसे ही व्यक्ति को सिर्फ धनवान नहीं, बल्कि दूसरों के लिए उपयोगी होना चाहिए। उदाहरण के लिए, एक धनी व्यक्ति यदि दान करता है, तो वह समाज के लिए उपयोगी होता है।
(ग) ऐसी बानी बोलिए मन का आपा खोय।” क्या आप मानते हैं कि शब्दों का प्रभाव केवल दूसरों पर ही नहीं स्वयं पर भी पड़ता है? आपके बोले गए शब्दों ने आपके या किसी अन्य के स्वभाव या मनोदशा को कैसे परिवर्तित किया? उदाहरण सहित बताइए।
हाँ, मैं मानता हूँ कि शब्दों का प्रभाव दूसरों और स्वयं दोनों पर पड़ता है। उदाहरण के लिए, एक बार मैंने अपने दोस्त को गुस्से में कठोर शब्द कहे, जिससे वह दुखी हुआ और मुझे भी बाद में पछतावा हुआ। फिर मैंने माफी माँगी और मधुर शब्दों से बात की, जिससे हम दोनों को शांति मिली।
(ङ) “जो जैसी संगति करै सो तैसा फल पाय।।” हमारे विचारों और कार्यों पर संगति का क्या प्रभाव पड़ता है? उदाहरण सहित बताइए।
संगति हमारे विचारों और कार्यों को बहुत प्रभावित करती है। उदाहरण के लिए, यदि हम मेहनती और सकारात्मक मित्रों के साथ रहते हैं, तो हम भी मेहनत और सकारात्मक सोच अपनाते हैं। मेरे एक मित्र ने मुझे किताबें पढ़ने की आदत डाली, जिससे मेरे अंक बेहतर हुए।
अनुमान और कल्पना से
अपने समूह में मिलकर चर्चा कीजिए-
(क) “गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागौं पाँय।”
यदि आपके सामने यह स्थिति होती तो आप क्या निर्णय लेते और क्यों?
मैं गुरु के चरणों में प्रणाम करता क्योंकि गुरु ही हमें ईश्वर तक पहुँचने का रास्ता दिखाते हैं। मेरे शिक्षक ने मुझे सही-गलत का ज्ञान दिया, जिससे मैं बेहतर निर्णय ले सका।
यदि संसार में कोई गुरु या शिक्षक न होता तो क्या होता?
बिना गुरु के लोग भटक जाते, सही-गलत का ज्ञान नहीं होता, और समाज में अज्ञानता बढ़ जाती। उदाहरण के लिए, बिना शिक्षक के हमें गणित या विज्ञान समझने में कठिनाई होती।
(ख) “अति का भला न बोलना, अति का भला न चूप।”
*यदि कोई व्यक्ति बहुत अधिक बोलता है या बहुत चुप रहता है तो उसके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ सकता है?
बहुत अधिक बोलने से लोग उसे गंभीरता से नहीं लेते, और बहुत चुप रहने से वह अपनी बात व्यक्त नहीं कर पाता। दोनों ही स्थिति में संतुलन की कमी से रिश्ते खराब हो सकते हैं।
*यदि वर्षा आवश्यकता से अधिक या कम हो तो क्या परिणाम हो सकते हैं?
अधिक वर्षा से बाढ़ आ सकती है, और कम वर्षा से सूखा पड़ सकता है, जिससे फसलें नष्ट हो सकती हैं।
*आवश्यकता से अधिक मोबाइल या मल्टीमीडिया का प्रयोग करने से क्या परिणाम हो सकते हैं?
अधिक मोबाइल उपयोग से समय बर्बाद होता है, आँखें खराब हो सकती हैं, और पढ़ाई में ध्यान कम लगता है।
(ग) “साँच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप।”
झूठ बोलने पर आपके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ सकता है?
झूठ बोलने से लोग हम पर भरोसा नहीं करते, और हमें पछतावा होता है। उदाहरण के लिए, यदि मैं होमवर्क न करने का झूठ बोलूँ, तो शिक्षक को पता चलने पर सजा मिल सकती है।
कल्पना कीजिए कि आपके शिक्षक ने आपके किसी गलत उत्तर के लिए अंक दे दिए हैं, ऐसी परिस्थिति में आप क्या करेंगे?
मैं शिक्षक को सत्य बताऊँगा और गलती सुधारने की कोशिश करूँगा, क्योंकि सत्य बोलने से मन शांत रहता है।
(घ) “ऐसी बानी बोलिए, मन का आपा खोय।”
यदि सभी मनुष्य अपनी वाणी को मधुर और शांति देने वाली बना लें तो लोगों में क्या परिवर्तन आ सकते हैं?
लोग एक-दूसरे से प्रेम और सम्मान से बात करेंगे, जिससे झगड़े कम होंगे और समाज में शांति बढ़ेगी।
क्या कोई ऐसी परिस्थिति हो सकती है जहाँ कटु वचन बोलना आवश्यक हो? अनुमान अनुमान लगाइए।
हाँ, यदि कोई गलत काम कर रहा हो, तो उसे रोकने के लिए कठोर शब्द बोलना पड़ सकता है। जैसे, यदि कोई नियम तोड़ रहा हो, तो उसे चेतावनी देना जरूरी है।
(ङ) “बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर।”
यदि कोई व्यक्ति अपने बड़े होने का अहंकार रखता हो तो आप इस दोहे का उपयोग करते हुए उसे ‘बड़े होने या संपन्न होने’ का क्या अर्थ बताएँगे या समझाएँगे?
मैं कहूँगा कि बड़ा होना सिर्फ धन या पद से नहीं, बल्कि दूसरों की मदद करने और उदार होने से होता है। जैसे खजूर का पेड़ ऊँचा है, पर बेकार है, वैसे ही व्यक्ति को उपयोगी होना चाहिए।
खजूर, नारियल आदि ऊँचे वृक्ष अनुपयोगी नहीं होते हैं। वे किस प्रकार से उपयोगी हो सकते हैं? बताइए।
खजूर के फल खाए जाते हैं, और नारियल का पानी, तेल और गूदा उपयोगी होता है। ये पेड़ भोजन, छाया और अन्य संसाधन प्रदान करते हैं।
आप अपनी कक्षा का कक्षा नायक या नायिका (मॉनीटर) चुनने के लिए किसी विद्यार्थी की किन-किन विशेषताओं पर ध्यान देंगे?
मैं अनुशासित, मेहनती, मददगार, और सभी के साथ मधुर व्यवहार करने वाले विद्यार्थी को चुनूँगा।
च) “निंदक नियरे राखिए, आँगन कुटी छवाय।”
यदि कोई आपकी गलतियों को बताता रहे तो आपको उससे क्या लाभ होगा?
आलोचना से हमें अपनी कमियाँ पता चलती हैं, जिससे हम सुधार कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, मेरे दोस्त ने बताया कि मैं जल्दी गुस्सा हो जाता हूँ, तो मैंने उस आदत को सुधारा।
यदि समाज में कोई भी एक-दूसरे की गलतियाँ न बताए तो क्या होगा?
लोग अपनी गलतियाँ नहीं सुधार पाएँगे, और समाज में गलत कार्य बढ़ जाएँगे।
(छ) “साधू ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय।”
कल्पना कीजिए कि आपके पास ‘सूप’ जैसी विशेषता है तो आपके जीवन में कौन-कौन से परिवर्तन आएँगे?
मैं अच्छे-बुरे में अंतर कर पाऊँगा, सही निर्णय लूँगा, और बेकार चीजों को छोड़ दूँगा। इससे मेरा जीवन व्यवस्थित और शांत होगा।
यदि हम बिना सोचे-समझे हर बात को स्वीकार कर लें तो उसका हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
हम गलत राह पर जा सकते हैं और धोखा खा सकते हैं। उदाहरण के लिए, गलत जानकारी मानने से पढ़ाई में नुकसान हो सकता है।
(ज) “कबिरा मन पंछी भया, भावै तहवाँ जाय।”
यदि मन एक पंछी की तरह उड़ सकता तो आप उसे कहाँ ले जाना चाहते और क्यों?
मैं अपने मन को प्रकृति के बीच ले जाना चाहूँगा, जैसे पहाड़ों या जंगल में, क्योंकि वहाँ शांति और प्रेरणा मिलती है।
संगति का हमारे जीवन पर क्या-क्या प्रभाव पड़ सकता है?
अच्छी संगति हमें सकारात्मक बनाती है, जबकि बुरी संगति गलत आदतें डाल सकती है। उदाहरण के लिए, मेहनती दोस्तों के साथ रहने से मैं भी मेहनत करने लगा।
दोहे और कहावतें
कहावतें ऐसे वाक्य होते हैं जिन्हें लोग अपनी बात को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए प्रयोग करते हैं। इसमें सामान्यतः जीवन के गहरे अनुभव को सरल और संक्षेप में बता दिया जाता है।
अब आप ऐसी अन्य कहावतों का प्रयोग करते हुए अपने मन से कुछ वाक्य बनाकर लिखिए।
1 जैसा बोए वैसा काटे:
मेहनत से पढ़ाई करने वाला विद्यार्थी अच्छे अंक पाता है।
2 जैसा संग वैसा रंग:
अच्छे मित्रों के साथ रहने से मेरा व्यवहार सकारात्मक हो गया।
3 मुँह में राम, बगल में छूरी:
कुछ लोग मीठा बोलते हैं, पर मन में बुराई रखते हैं।
4 नौ दिन चले अढ़ाई कोस:
धीमा काम करने से लक्ष्य प्राप्ति में देरी होती है।
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