8.1.2 कक्षा- 8, एनसीईआरटी हिंदी पुस्तक 'मल्हार' अध्याय 1 स्वदेश (कविता) Class -8, NCERT Hindi Malhaar Chapter 1 Svadesh (Kavita/Poem)

 8.1.2 कक्षा- 8,  एनसीईआरटी हिंदी पुस्तक 'मल्हार' 

अध्याय 1 स्वदेश (कविता)

Class -8, NCERT Hindi Malhaar  

Chapter 1 Svadesh (Kavita/Poem)

                            --- शब्दार्थ --- 


 मेरी समझ से   

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए: 

1. “वह हृदय नहीं है पत्थर है” — इस पंक्ति में हृदय के पत्थर होने से तात्पर्य है—

संवेदनहीनता से  

(यह पंक्ति बताती है कि जिस व्यक्ति के मन में अपने देश के लिए प्रेम और भावना नहीं है, उसका हृदय संवेदनशून्य, कठोर पत्थर जैसा है।) 

2. निम्नलिखित में से कौन-सा विषय इस कविता का मुख्य भाव है?

देश के प्रति प्रेम

(इस कविता में कवि ने मातृभूमि के प्रति अगाध प्रेम, त्याग, और समर्पण की भावना को व्यक्त किया है।) 

---

प्रश्न 3:

"हम हैं जिसके राज-रानी" — इस पंक्ति में 'हम' शब्द किसके लिए आया है?  

उत्तर: देश के समस्त नागरिकों के लिए  

इस पंक्ति में 'हम' शब्द देश के समस्त नागरिकों के लिए आया है।

👉 क्योंकि कविता में ‘हम’ का प्रयोग उस आत्मीय भाव से हुआ है जो पूरे देश की संस्कृति, ज्ञान, कला, संगीत और भावना में रचा-बसा है। यह ‘हम’ देश के हर नागरिक की साझी पहचान को दर्शाता है।

---

प्रश्न 4: कविता के अनुसार कौन-सा हृदय पत्थर के समान है?

उत्तर: जिसमें देश-प्रेम का भाव नहीं है। 

कविता के अनुसार वह हृदय पत्थर के समान है —

"जिसमें देश-प्रेम का भाव नहीं है।" 

👉 कवि यह कहना चाहता है कि अगर किसी के हृदय में अपने देश के लिए प्रेम, भावना और समर्पण नहीं है, तो वह हृदय निस्संवेदना से भरा पत्थर समान है।  

---

मिलाकर करें मिलान 

क्रम स्तंभ 1       स्तंभ 2

1. जिसने साहस को छोड़ दिया, वह पहुँच सकेगा पार नहीं। 2. जिस प्रकार युद्ध में तोप और तलवार की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार मनुष्य की उन्नति के लिए साहस और इच्छाशक्ति की आवश्यकता होती है। 

2. जो जीवन में जोश जगा न सका, उस जीवन में कुछ सार नहीं। 4. जो स्वयं के साथ ही दूसरों को भी प्रेरित और उत्साहित कर सके, उसका जीवन निश्चित रूप से सार्थक और प्रभावशाली होता है। 

3. जिस पर ज्ञानी भी मरते हैं, जिस पर है दुनिया दीवानी। 1. जिस देश की ज्ञान-संपदा से सम्पूर्ण विश्व प्रभावित है। 

4. सब कुछ है अपने हाथों में, क्या तोप नहीं तलवार नहीं। 3. जिसने किसी कार्य को करने का साहस छोड़ दिया है वह किसी सफलता को प्राप्त नहीं कर सकता।  

1 - 2

2 - 4

3 - 1

4 - 3 



पंक्तियों पर चर्चा 

(क) "निश्चित है निःसंदेह निश्चित,

है जान एक दिन जानी को।

है काल-दीप जलता हरदम,

जल जाना है परवानों को।"

उत्तर: 

इन पंक्तियों में कवि ने जीवन की अनिश्चितता और बलिदान की भावना को दर्शाया है। कवि कहते हैं कि मृत्यु निश्चित है, एक दिन सबको जाना है। जैसे काल (समय) का दीपक निरंतर जलता है, वैसे ही परवाने (बलिदानी व्यक्ति) उसमें जलकर अपना जीवन न्योछावर कर देते हैं। यह पंक्तियाँ हमें प्रेरित करती हैं कि मातृभूमि के लिए बलिदान देना ही सच्चा जीवन है।

---

(ख) "सब कुछ है अपने हाथों में,

क्या तोप नहीं तलवार नहीं

वह हृदय नहीं है, पत्थर है,

जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं।" 

उत्तर:

इन पंक्तियों में देशभक्ति की भावना का महत्व बताया गया है। कवि कहते हैं कि हमारे पास सभी साधन हैं—तोप और तलवार जैसे हथियार भी, लेकिन यदि किसी के हृदय में अपने देश के लिए प्रेम नहीं है, तो ऐसा हृदय पत्थर के समान है। यह पंक्तियाँ देश के प्रति प्रेम और समर्पण की अनिवार्यता को उजागर करती हैं। 

--- 

(ग) "जो भरा नहीं है भावों से,

बहती जिसमें रस-धार नहीं

वह हृदय नहीं है पत्थर है,

जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं।" 

उत्तर:

यहाँ कवि भावनाओं के महत्व को रेखांकित करते हैं। एक ऐसा हृदय जो भावों और रस-धारा से रिक्त है, और जिसमें देशप्रेम नहीं है, वह वास्तव में हृदय नहीं, एक कठोर पत्थर है। इन पंक्तियों से हमें यह शिक्षा मिलती है कि सच्चा इंसान वही है जिसके दिल में अपने वतन के लिए प्यार और संवेदना हो। 

---

निष्कर्ष: 

तीनों पंक्तियाँ देशभक्ति, त्याग, और हृदय की संवेदनशीलता का महत्व समझाती हैं। ये हमें प्रेरित करती हैं कि हम अपने देश के प्रति प्रेम, भावनात्मक लगाव और जरूरत पड़ने पर बलिदान के लिए सदा तत्पर रहें।


सोच-विचार के लिए 

(क) “हूं मैं जिसके राजा-रानी” पंक्ति में राजा-रानी किसे और क्यों कहा गया है?

उत्तर: 

इस पंक्ति में ‘राजा-रानी’ से तात्पर्य देश के नागरिकों से है। कवि ने अपने देश के नागरिकों को राजा-रानी कहा है क्योंकि वे स्वाभिमानी, स्वतंत्र और आत्मनिर्भर हैं। उनके लिए उनका देश ही सबसे बड़ा गौरव है। 

(ख) ‘संसार-संग’ चलने से आप क्या समझते हैं? जो व्यक्ति ‘संसार-संग’ नहीं चलता, संसार उसका क्यों नहीं हो पाता है?

उत्तर: 

‘संसार-संग’ चलने का अर्थ है – समय और समाज के साथ मिलकर आगे बढ़ना। जो व्यक्ति परिवर्तन को स्वीकार नहीं करता, समाज और देश के साथ कदम से कदम मिलाकर नहीं चलता, वह पीछे रह जाता है और समाज उसे अपनाता नहीं। 

(ग) “उस पर है नहीं पसीजा जो/क्या है वह भू का भार नहीं” पंक्ति से आप क्या समझते हैं? बताइए।

उत्तर: 

इस पंक्ति का अर्थ है कि जो व्यक्ति अपने देश और समाज के लिए करुणा, सेवा या प्रेम का भाव नहीं रखता, वह केवल धरती का बोझ है। उसका जीवन व्यर्थ है क्योंकि उसमें देश के प्रति कोई संवेदना नहीं है। 

(घ) कविता में देश-प्रेम के लिए बहुत-सी बातें आई हैं। आप ‘देश-प्रेम’ से क्या समझते हैं? बताइए।

उत्तर: 

देश-प्रेम का अर्थ है – अपने देश के प्रति श्रद्धा, निष्ठा और सेवा-भाव रखना। देश की उन्नति, सुरक्षा और सम्मान के लिए तन, मन, धन से योगदान देना ही सच्चा देश-प्रेम है।

(ङ) यह रचना एक आह्वान गीत है जो हमें देश-प्रेम के लिए प्रेरित और उत्साहित करती है। इस रचना की अन्य विशेषताएँ ढूँढ़िए और लिखिए।

उत्तर:

इस रचना की प्रमुख विशेषताएँ हैं – 

1. यह कविता देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत है।

2. यह युवाओं को देश के लिए कुछ कर दिखाने का आह्वान करती है।

3. इसमें आत्मगौरव, आत्मबल और आत्मनिर्भरता का संदेश है।

4. कविता में ओज, उत्साह और प्रेरणा देने वाली भाषा है।

5. यह पाठकों के हृदय में देश के प्रति कर्तव्य का भाव जगाती है।

---

भाषा की बात  

(क) शब्द से जुड़े शब्द   

नीचे दिग गए रिक्त स्थानों में स्वदेश से जुड़े शब्द अपने समूह में चर्चा करके लिखिए।

फिर मित्रों से मिलाकर अपनी सूची बढ़ाइए -  

* देश (desh - country)

 * वतन (vatan - homeland)

 * मातृभूमि (matribhumi - motherland)

 * राष्ट्र (rashtra - nation)

 * भारत (Bharat - India, if you are in India)

 * संस्कृति (sanskriti - culture)

 * परंपरा (parampara - tradition)

 * पहचान (pehchan - identity)

 * गरिमा (garima - dignity)

 * प्रेम (prem - love)

 * भक्ति (bhakti - devotion) 

 * गौरव (gaurav - pride)


विराम  चह्नों को समझें  

"जो चल न सका संसार-संग" = संसार के संग

'बहती जिसमें रस-धार नहीं"= रस की धार

"पाया जिसमें दाना-पानी"=  दाना और पानी

"हैं माता-पिता बंधु जिसमें"=  माता और पिता

"हम है जिसके राजा-रानी" = राजा और रानी

"जिससे न जाति-उद्धार हुआ"=  जाति का उद्धार 

---

(घ) समानार्थी शब्द

मूल शब्द - समानार्थी शब्द 1, समानार्थी शब्द 2


भू (भूमि)- धरा,  पृथ्वी

दीप- दीपक, प्रदीप

हृदय- दिल, जी

तलवार- कृपाण, असि

दुनिया- जग, संसार

पत्थर - पाषाण, पाहन   

---





Comments

Popular posts from this blog

HHW 7.1 अवकाश-गृह-कार्य (ग्रीष्म-कालीन 10 दिन) Holidays Homework (Summer Vacation 10 Days)

HHW 6.1 अवकाश-गृह-कार्य (ग्रीष्म-कालीन 10 दिन) Holidays Homework (Summer Vacation 10 Days) कक्षा- 6 (VI)

शीतकालीन अवकाश गृह कार्य Holidays Homework (HHW) WINTER