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Showing posts from June, 2024

विद्यालय पत्रिका के लिए संदेश

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  विद्यालय पत्रिका के लिए संदेश /  Vidyalaya Pattrika sandesh/  Message for school magzine kvs   प्रिय छात्र-छात्राओं, समस्त विद्यालय परिवार के सदस्यों को मेरा नमस्कार। यह समय हमारे लिए विशेष है, जब हम विद्यालय रमन सदन पत्रिका (हाउस मैगज़ीन) के माध्यम से हमारे अनुभवों, उत्कृष्टताओं और संस्कारों को साझा कर सकते हैं। इस पत्रिका  का उद्देश्य हमें एक-दूसरे के साथ जुड़ने, सीखने और प्रेरणा देने और प्रेरित होने का माध्यम प्रदान करना है। शिक्षा का महत्व हमारे समाज में अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह न केवल हमें ज्ञान की प्राप्ति करने में मदद करती है, बल्कि हमें अच्छे नागरिक और मानव बनाने का मार्ग भी दिखलाती है।   विद्या ददाति विनयं, विनयाद् याति पात्रताम्।  पात्रत्वाद् धनमाप्नोति, धनाद् धर्मं ततः सुखम्।  इस श्लोक से हमें यह शिक्षा प्राप्त होती है कि शिक्षा हमें विनय (विनम्रता) देती है, और विनय से हम पात्रता की ओर बढ़ते हैं। पात्रता हमें धन की प्राप्ति कराती है, और धन से हम धर्म का पालन करते हैं, और धर्म से हमें सुख प्राप्त होता है। इसी प्रकार, हमें हमारी शिक्षा के अनुभवों को साझा करना चाहिए, ताकि हम

8.8 सुदामा चरित/ Sudama Charit प्रश्न-अभ्यास

  8.8 सुदामा चरित/  Sudama Charit  प्रश्न-अभ्यास प्रश्न 1. सुदामा की दीनदशा देखकर श्रीकृष्ण की क्या मनोदशा हुई? अपने शब्दों में लिखिए। उत्तर: सुदामा की दीनदशा को देखकर दुख के कारण श्री कृष्ण की आँखों से अश्रुधारा बहने लगी। उन्होंने सुदामा के पैरों को धोने के लिए पानी मँगवाया। परन्तु उनकी आँखों से इतने आँसू निकले की उन्ही आँसुओं से सुदामा के पैर धुल गए। प्रश्न 2 पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सों पग धोए।” पंक्ति में वर्णित भाव का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए। उत्तर: प्रस्तुत दोहे में यह कहा गया है कि जब सुदामा दीन-हीन अवस्था में कृष्ण के पास पहुँचे तो कृष्ण उन्हें देखकर व्यथित हो उठे। श्रीकृष्ण ने सुदामा के आगमन पर उनके पैरों को धोने के लिए परात में पानी मँगवाया परन्तु सुदामा की दुर्दशा देखकर श्रीकृष्ण को इतना कष्ट हुआ कि वे स्वयं रो पड़े और उनके आँसुओं से ही सुदामा के पैर धुल गए। अर्थात् परात में लाया गया जल व्यर्थ हो गया। प्रश्न 3  चोरी की बान में हौ जू प्रवीने।” (क) उपर्युक्त पंक्ति कौन, किससे कह रहा है? (ख) इस कथन की पृष्ठभूमि स्पष्ट कीजिए। (ग) इस उपालंभ (शिकायत) के पीछे कौन-स

8.4 भगवान के डाकिये / Bhagwaan ke Dakiye प्रश्न-अभ्यास

  8.4 भगवान के डाकिये / Bhagwaan ke Dakiye  प्रश्न-अभ्यास कविता से  प्रश्न 1. कवि ने पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए क्यों बताया हैं? स्पष्ट कीजिए। उत्तर : कवि ने पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए इसलिए कहा है क्योंकि जिस प्रकार डाकिए संदेश लाने का काम करते हैं, उसी प्रकार पक्षी और बादल भगवान का संदेश हम तक पहुँचाते हैं। उनके लाए संदेश को हम भले ही न समझ पाए, पर पेड़, पौधे, पानी और पहाड़ उसे भली प्रकार पढ़-समझ लेतें हैं। जिस तरह बादल और पक्षी दूसरे देश में जाकर भी भेदभाव नहीं करते उसी तरह हमें भी आचरण करना चाहिए।   प्रश्न 2: पक्षी और बादल द्वारा लाई गई चिट्ठियों को कौन-कौन पढ़ पाते हैं? सोच कर लिखिए। उत्तर : पक्षी और बादल द्वारा लायी गई चिट्ठियों को पेड़-पौधे, पानी और पहाड़ पढ़ पाते हैं। प्रश्न  3: किन पंक्तियों का भाव है : (क) पक्षी और बादल प्रेम, सद्भाव और एकता का संदेश एक देश से दूसरे देश को भेजते हैं। (ख) प्रकृति देश-देश में भेद भाव नहीं करती। एक देश से उठा बादल दूसरे देश में बरस जाता है। उत्तर : (क) पक्षी और बादल, ये भगवान के डाकिए हैं, जो एक महादेश से दूसरे महादेश को जाते हैं। हम तो सम

ICARD 2024-25

 https://drive.google.com/file/d/1LTL-jUfA3KiGElV9w1Fj6QtHnrqEVS67/view?usp=drivesdk Icard 2024-25    Excel   https://docs.google.com/spreadsheets/d/1epBJ25Wv-FQpmrbwtfA4LUIWXTNUB30rtwjUmyYQWOA/edit?usp=drivesdk