8.9.2 कक्षा- 8, एनसीईआरटी हिंदी पुस्तक 'मल्हार' अध्याय- 9, आदमी का अनुपात Class- 8, NCERT Hindi Malhaar Chapter- 9, Aadmi Ka Anupaat
8.9.2 कक्षा- 8, एनसीईआरटी हिंदी पुस्तक 'मल्हार'
अध्याय- 9, आदमी का अनुपात
Class- 8, NCERT Hindi Malhaar
Chapter- 9, Aadmi Ka Anupaat
शब्दार्थ –
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उपयुक्त उत्तर के सम्मुख तारा (*) बनाइए। कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं।
(1) कविता के अनुसार ब्रह्मांड में मानव का स्थान कैसा है?
- पृथ्वी पर सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण
- ब्रह्मांड की तुलना में अत्यंत सूक्ष्म *
- सूर्य, चंद्र आदि सभी नक्षत्रों से बड़ा
- समस्त प्रकृति पर शासन करने वाला
उत्तर: ब्रह्मांड की तुलना में अत्यंत सूक्ष्म
कविता में बताया गया है कि मानव और पृथ्वी ब्रह्मांड की विशालता में बहुत छोटे हैं। यह अनुपात कमरे, घर, मोहल्ले, नगर, देश, पृथ्वी और ब्रह्मांड के संदर्भ में समझाया गया है।
(2) कविता में मुख्य रूप से किन दो वस्तुओं के अनुपात को दिखाया गया है?
- पृथ्वी और सूर्य
- देश और नगर
- घर और कमरा
- मानव और ब्रह्मांड *
उत्तर: मानव और ब्रह्मांड
कविता का मुख्य विषय मानव की छोटी सी स्थिति और ब्रह्मांड की विशालता के बीच का अनुपात है। यह दिखाता है कि मानव कितना छोटा है, फिर भी वह अहंकार और नफरत में लिप्त रहता है।
(3) कविता के अनुसार मानव किन भावों और कार्यों में लिप्त रहता है?
- त्याग, ज्ञान और प्रेम में
- सेवा और परोपकार में
- ईर्ष्या, अहं, स्वार्थ, घृणा में *
- उदारता, धर्म और न्याय में
उत्तर: ईर्ष्या, अहं, स्वार्थ, घृणा में
कविता में कहा गया है कि मानव अपने छोटे आकार के बावजूद ईर्ष्या, अहंकार, स्वार्थ, घृणा और अविश्वास जैसे नकारात्मक भावों में डूबा रहता है।
(4) कविता के अनुसार मानव का सबसे बड़ा दोष क्या है?
- वह अपनी सीमाओं और दुर्बलताओं को नहीं समझता। *
- वह दूसरों पर शासन स्थापित करना चाहता है।
- वह प्रकृति के साथ तालमेल नहीं बिठा पाता है।
- वह अपने छोटेपन को भूल अहंकारी हो जाता है। *
उत्तर: वह अपनी सीमाओं और दुर्बलताओं को नहीं समझता।, वह अपने छोटेपन को भूल अहंकारी हो जाता है।
नीचे दी गई पंक्तियों को ध्यानपूर्वक पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। अपने समूह में इनके अर्थ पर चर्चा कीजिए और लिखिए-
(क) “अनगिन नक्षत्रों में/पृथ्वी एक छोटी/करोड़ों में एक ही।"
उत्तर: यह पंक्ति कविता के दूसरे प्रसंग से है, जिसमें कवि ब्रह्मांड की विशालता के सामने पृथ्वी की छोटी स्थिति को दर्शाते हैं। "अनगिन नक्षत्रों" से तात्पर्य है अनगिनत तारे और ग्रह, जिनमें हमारी पृथ्वी सिर्फ एक छोटा सा हिस्सा है। "करोड़ों में एक ही" यह बताता है कि पृथ्वी ब्रह्मांड में बहुत मामूली और अद्वितीय है। यह पंक्ति हमें हमारी छोटी स्थिति को समझाती है और यह सोचने पर मजबूर करती है कि इतने विशाल ब्रह्मांड में हमारी आपसी लड़ाइयाँ कितनी बेमानी हैं।
(ख) “संख्यातीत शंख सी दीवारें उठाता है / अपने को दूजे का स्वामी बताता है।"
उत्तर: यह पंक्ति तीसरे प्रसंग से है, जिसमें कवि मानव के अहंकार और विभाजनकारी प्रवृत्ति को दर्शाते हैं। "संख्यातीत शंख सी दीवारें" का अर्थ है कि इंसान अपने चारों ओर अनगिनत और मजबूत दीवारें खड़ी करता है, जो उसे दूसरों से अलग करती हैं। यह दीवारें सामाजिक, सांस्कृतिक या वैचारिक हो सकती हैं। "अपने को दूजे का स्वामी बताता है" से पता चलता है कि इंसान दूसरों पर हावी होने और खुद को श्रेष्ठ समझने की कोशिश करता है।
(ग) “देशों की कौन कहे/एक कमरे में / दो दुनिया रचाता है।"
उत्तर: यह पंक्ति भी तीसरे प्रसंग से है और मानव की अलगाव की प्रवृत्ति को और गहराई से दर्शाती है। कवि कहते हैं कि इंसान न केवल देशों के बीच दीवारें खड़ी करता है, बल्कि एक छोटे से कमरे में भी दो अलग-अलग दुनियाएँ बना लेता है। इसका मतलब है कि लोग छोटी-छोटी बातों पर आपस में मतभेद पैदा कर लेते हैं और एक-दूसरे से दूरी बना लेते हैं।
नीचे दो स्तंभ दिए गए हैं। अपने समूह में चर्चा करके स्तंभ 1 की पंक्तियों का मिलान स्तंभ 2 में दिए गए सही अर्थ से कीजिए।
कविता को पुनः पढ़िए, पता लगाइए और लिखिए-
(क) कविता के अनुसार मानव किन कारणों से स्वयं को सीमाओं में बाँधता चला जाता है?
उत्तर: कविता के अनुसार मानव खुद को सीमाओं में बाँधता चला जाता है क्योंकि उसके अंदर ईर्ष्या, अहंकार, स्वार्थ, घृणा और अविश्वास जैसे नकारात्मक भाव भरे रहते हैं। इन भावों के कारण वह अपने चारों ओर "संख्यातीत शंख सी दीवारें" खड़ी करता है, मतलब अनगिनत मजबूत दीवारें जो उसे दूसरों से अलग करती हैं। वह खुद को दूसरों का स्वामी समझता है और छोटी-छोटी जगहों जैसे एक कमरे में भी दो अलग दुनियाएँ रच लेता है। इससे वह अपनी छोटी स्थिति को भूलकर और ज्यादा सीमित हो जाता है, जबकि ब्रह्मांड इतना विशाल है।
(ख) यदि आपको इस कविता की एक पंक्ति को दीवार पर लिखना हो, जो आपको प्रतिदिन प्रेरित करे तो आप कौन-सी पंक्ति चुनेंगे और क्यों?
उत्तर: मैं चुनूंगा: "यह है अनुपात आदमी का विराट से"।
क्यों: यह पंक्ति मुझे हर दिन याद दिलाएगी कि मैं ब्रह्मांड की विशालता में कितना छोटा हूं, इसलिए मुझे अहंकार, ईर्ष्या या नफरत नहीं रखनी चाहिए। यह मुझे विनम्र बनाएगी और मिल-जुलकर रहने की प्रेरणा देगी, ताकि मैं छोटी बातों पर न लड़ूं।
(ग) कवि ने मानव की सीमाओं और कमियों की ओर ध्यान दिलाया है, लेकिन कहीं भी क्रोध नहीं दिखाया। आपको इस कविता का भाव कैसा लगा- व्यंग्य, करुणा, चिंता या कुछ और? क्यों?
उत्तर: मुझे कविता का भाव चिंता का लगा।
क्यों: कवि मानव की छोटी स्थिति को ब्रह्मांड से तुलना करके दिखाते हैं और उसकी नकारात्मक आदतों पर ध्यान दिलाते हैं, लेकिन क्रोध की बजाय चिंता जताते हैं कि इतने विशाल ब्रह्मांड में हम क्यों लड़ते हैं। यह चिंता मानवता के बेहतर भविष्य के लिए है, जैसे एक बुद्धिमान शिक्षक की सलाह, न कि व्यंग्य या करुणा।
(घ) आपके अनुसार 'दीवारें उठाना' केवल ईंट-पत्थर से जुड़ा काम है या कुछ और भी हो सकता है? अपने विचारानुसार समझाइए।
उत्तर: मेरे अनुसार 'दीवारें उठाना' केवल ईंट-पत्थर से जुड़ा काम नहीं है, बल्कि यह भावनात्मक और सामाजिक स्तर पर भी हो सकता है। जैसे, लोग ईर्ष्या या अहंकार से दोस्तों या परिवार के बीच मतभेद पैदा कर दीवारें खड़ी कर लेते हैं, जो रिश्तों को तोड़ती हैं। उदाहरण के लिए, समाज में जाति, धर्म या अमीर-गरीब की दीवारें बन जाती हैं, जो लोगों को अलग करती हैं। कविता में यह प्रतीक है कि इंसान खुद को दूसरों से अलग करके अपनी दुनिया सीमित कर लेता है, जबकि हमें इन दीवारों को गिराकर एकजुट होना चाहिए।
(ङ) मानवता के विकास में सहयोग, समर्पण और सहिष्णुता जैसी सकारात्मक प्रवृत्तियाँ ईर्ष्या, अहं, स्वार्थ और घृणा जैसी नकारात्मक प्रवृत्तियों से कहीं अधिक प्रभावी हैं। उदाहरण देकर बताइए कि सहिष्णुता या सहयोग के कारण समाज में कैसे परिवर्तन आए हैं?
उत्तर: हाँ, सकारात्मक प्रवृत्तियाँ ज्यादा प्रभावी हैं क्योंकि वे लोगों को जोड़ती हैं और प्रगति लाती हैं, जबकि नकारात्मक वाली बाँटती हैं।
उदाहरण:
- सहयोग से परिवर्तन: भारत की स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गांधी ने अहिंसा और सहयोग की नीति अपनाई। लाखों लोग एकजुट होकर ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ लड़े, जिससे 1947 में आजादी मिली। बिना सहयोग के यह संभव नहीं था, और इससे समाज में एकता बढ़ी।
- सहिष्णुता से परिवर्तन: नेल्सन मंडेला ने दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के खिलाफ लड़ाई लड़ी और सत्ता में आने पर बदला लेने की बजाय सहिष्णुता दिखाई। उन्होंने सभी जातियों को साथ लिया, जिससे देश में शांति आई और नया संविधान बना। इससे समाज में घृणा कम हुई और विकास तेज हुआ, जैसे अर्थव्यवस्था में सुधार और शिक्षा का प्रसार।
ये उदाहरण दिखाते हैं कि सहयोग और सहिष्णुता से समाज मजबूत और खुशहाल बनता है।

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