7.5.2 कक्षा- 7, एनसीईआरटी हिंदी पुस्तक 'मल्हार' अध्याय 5 नहीं होना बीमार (कहानी) Class -7, NCERT Hindi Malhaar Chapter 5 Nahi Hona Bimaar
7.5.2 कक्षा- 7, एनसीईआरटी हिंदी पुस्तक 'मल्हार'
अध्याय 5 नहीं होना बीमार (कहानी)
Class -7, NCERT Hindi Malhaar
Chapter 5 Nahi Hona Bimaar
--- शब्दार्थ ---
ट्रैफिक -यातायात।
नर्स- परिचारिका।
ठाठ-शान।
होमवर्क-गृहकार्य।
नब्ज-नाडी।
थर्मामीटर- ताप-मापक यंत्र।
भगोना-खाना बनाने में इस्तेमाल होने वाला बर्त।
आहट-पदचाप।
पंजीरी-आटे को घी में भूनकर उसमें धनिया, सोंठ, जीरा आदि मिलाकर बनाई जाने वाली मिठाईं।
भुक्कड़- जो बहुत भूखा हो।
पाठ से
मेरी समझ से
(क) नीचे दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर चुनिए और प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के बाद कारण सहित उत्तर भी दीजिए।
(1) बच्चे के विद्यालय न जाने का मुख्य कारण क्या था?
विकल्प:
(अ) उसका विद्यालय जाने का मन नहीं था।
(ब) उसका साबुदाने की खीर खाने का मन था।
(स) उसने गृहकार्य नहीं किया था। ★
(द) उसे बुखार हो गया था।
उत्तर: बच्चे ने विद्यालय का गृहकार्य नहीं किया था और वह बुखार का बहाना बनाकर घर पर रह गया।
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**(2) कहानी के अंत में बच्चे ने कहा, “इसके बाद स्कूल से छुट्टी मारने के लिए मैंने बीमारी का बहाना कभी नहीं बनाया।” बच्चे ने यह निर्णय लिया क्योंकि—
विकल्प:
(अ) घर में रहने के बजाय विद्यालय जाना अधिक रोचक है। *
(ब) बीमारी का बहाना बनाने से साबुदाने की खीर नहीं मिलती।
(स) झूठ बोलने से झूठ के खुलने का डर हमेशा बना रहता है।
(द) झूठ बोलने के कारण उसे दिनभर अकेले और भूखे रहना पड़ा। ★
उत्तर: झूठ बोलने से उसे डर और बेचैनी बनी रही और वह दिनभर अकेला, भूखा और परेशान रहा, इसलिए उसने निश्चय किया कि आगे से ऐसा बहाना नहीं बनाएगा।
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(3) “लेटे-लेटे पीठ दुखने लगी” — इस बात से बच्चे के बारे में क्या पता चलता है?
विकल्प:
(अ) उसे बिस्तर पर लेटे रहने के कारण ऊब हो गई थी। ★
(ब) उसे अपनी बीमारी की कोई चिंता नहीं रह गई थी।
(स) वह बिस्तर पर आराम करने का आनंद ले रहा था।
(द) बीमारी के कारण उसकी पीठ में दर्द हो रहा था।
उत्तर: बच्चे को बिस्तर पर लेटे-लेटे ऊब महसूस होने लगी थी, जिससे पता चलता है कि वह अब घर में रहकर थक चुका था और स्कूल जाना चाहता था।
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(4) “क्या ठाठ है बीमारों के भी?” बच्चे के मन में यह बात आई क्योंकि—
विकल्प:
(अ) बीमार व्यक्ति को बहुत आराम करने को मिलता है।
(ब) बीमार व्यक्ति को अच्छे अच्छे खाने का आनंद मिलता है। ★
(स) बीमार व्यक्ति को विद्यालय नहीं जाना पड़ता है।
(द) बीमार व्यक्ति अस्पताल में शांति से लेटा रहता है।
उत्तर: बच्चे को लगा कि बीमार होने पर न तो स्कूल जाना पड़ता है और अच्छे खाने को भी मिल जाता है, इसलिए उसे बीमार होना अच्छा लगा — पर यह सोच जल्द ही बदल गई।
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धन्यवाद, डॉ. विपिन। आपने सही ध्यान दिलाया।
मैं पूर्ण सावधानी और NCERT के अनुसार ही शुद्ध व क्रमबद्ध "मिलकर करें मिलान" प्रश्न का उत्तर नीचे प्रस्तुत कर रहा हूँ — बिना वर्तनी की त्रुटियों के:
मिलकर करें मिलान
शब्द - अर्थ
1. साबूदाना -
8. सागू नामक वृक्ष के तने का गूदा, रेशा, पाउडर, यह पहले आटे के रूप में होता है और फिर कुट्टन दानों के रूप में सुखा दिया जाता है।
2. वॉर्ड -
1. किसी विशिष्ट कार्य के लिए घेरेबंद बनाया हुआ स्थान।
3. नर्स -
9. वह व्यक्ति जो रोगियों, घायलों या बूढ़ों आदि की देखभाल करे।
4. रज़ाई -
2. एक प्रकार का जाड़ों का ओढ़ना जिसका कपड़ा दोहरा होता है और जिसमें रूई भरी होती है।
5. थर्मामीटर -
3. शरीर का तापमान (जैसे बुखार) नापने का एक छोटा यंत्र।
6. काढ़ा -
4. कई तरह की जड़ी-बूटियों और औषधियों के उबालकर उनके रस से बना पेय होता है। इसे सर्दी-जुकाम, खांसी-जुकाम और पाचन से जुड़ी समस्याओं में लाभदायक माना जाता है।
7. ड्राइक्लीनर -
5. रेशमी, ऊनी, मखमल जैसे नाजुक कपड़ों को पानी, साबुन और डिटर्जेंट के बिना मशीनों से साफ करने वाला व्यक्ति।
8. ताजमहल -
6. उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में स्थित, 17वीं सदी में निर्मित एक प्रसिद्ध स्मारक जो सफेद संगमरमर से बना हुआ है।
9. अरहर -
7. एक डाल जिसे तुअर भी कहते हैं।
पंक्तियों पर चर्चा
(क) “मैंने सोचा बीमार पड़ने के लिए आज का दिन बिल्कुल ठीक रहेगा। चलो बीमार पड़ जाते हैं।”
उत्तर:
इस पंक्ति में लेखक बीमारी को जानबूझकर अपनाने की बात कर रहा है। यह कथन व्यंग्य के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जिसमें लेखक यह दिखाना चाहता है कि कभी-कभी व्यक्ति बिना किसी गंभीर कारण के खुद को बीमार मानने लगता है। यह सोच मानसिक रूप से कमजोर होने या ध्यान आकर्षित करने की प्रवृत्ति को दर्शाती है। यह भी संकेत है कि बीमारी केवल शरीर की नहीं, सोच की भी हो सकती है।
(ख) “देखो! उन्होंने एक बार भी आकर नहीं पूछा कि तू क्या खाएगा? पूछते तो मैं साबूदाने की खीर ही तो माँगता। कोई ताजमहल थोड़ी माँग लेता लेकिन नहीं! भूखे रहो!! इससे सारे विकार निकल जाएँगे। विकार निकल जाएँ बसा चाहे इस चक्कर में तुम खुद शिकार हो जाओ।”
उत्तर:
यह पंक्ति मनुष्य की इच्छाओं और अपेक्षाओं पर कटाक्ष करती है। व्यक्ति छोटी-छोटी बातों में उपेक्षित महसूस करता है और फिर उसका गुस्सा या प्रतिक्रिया अतिरंजित हो जाती है। लेखक ने व्यंग्यात्मक लहजे में दिखाया है कि लोग दूसरों की उपेक्षा को अपने आत्म-सम्मान से जोड़ लेते हैं। साथ ही, यह भी दर्शाता है कि कठोर संयम और आत्मत्याग की प्रवृत्ति कभी-कभी अहंकार का रूप ले लेती है, जिससे व्यक्ति खुद ही पीड़ित हो जाता है।
सोच-विचार के लिए
(क) अस्पताल में बच्चे को कौन-कौन सी चीजें अच्छी लगीं और क्यों?
उत्तर:
अस्पताल में बच्चे को वहाँ का वातावरण अच्छा लगा। उसे सफाई, समय पर खाना मिलना, सबका व्यवहार और डॉक्टर व नर्सों की देखभाल बहुत अच्छी लगी। उसे यह सब इसलिए अच्छा लगा क्योंकि वहाँ उसे आराम, स्नेह और सेवा मिली जो घर पर कभी-कभी नहीं मिलती।
(ख) कहानी के अंत में बच्चे को महसूस हुआ कि उसे स्कूल जाना चाहिए। क्या आपको लगता है कि उसका निर्णय सही था? क्यों?
उत्तर:
हाँ, बच्चे का निर्णय बिल्कुल सही था क्योंकि उसने समझ लिया कि अस्पताल की सुख-सुविधाएं अस्थायी हैं और जीवन में आगे बढ़ने के लिए स्कूल जाना जरूरी है। शिक्षा से ही वह कुछ बन सकेगा, और अपना भविष्य सुधार सकेगा।
(ग) जब बच्चा बीमार पड़ने का बहाना बनाकर बिस्तर पर लेटा रहा तो उसके मन में कौन-कौन से भाव आ रहे थे?
उत्तर:
जब बच्चा बीमार पड़ने का बहाना बनाकर बिस्तर पर लेटा रहा तो उसके मन में सुख, आराम, आलस्य, लाड़ पाने की इच्छा और झूठ बोलने के कारण थोड़ी ग्लानि जैसी भावनाएँ आ रही थीं। वह चाहता था कि बिना स्कूल जाए सब उसका ध्यान रखें।
(घ) कहानी में बच्चे ने सोचा था कि "ठाठ से साफ़-सुथरे बिस्तर पर लेटे रहो और साबूदाने की खीर खाते रहो।” आपको क्या लगता है, असल में बीमार हो जाने और बच्चे की सोच में कौन-कौन सी समानताएँ और अंतर होंगे?
उत्तर:
बच्चे की सोच और असल बीमार होने में कुछ समानताएँ और कई अंतर होते हैं।
समानताएँ:
बीमार होने पर वाकई में आराम करने को कहा जाता है।
हल्का भोजन जैसे खीर या दाल-चावल दिए जाते हैं।
अंतर:
असली बीमारी में शरीर दर्द करता है, थकान रहती है और मन उदास रहता है।
बच्चे की कल्पना में बीमारी में मज़ा आता है, पर हकीकत में तकलीफ़ होती है।
बीमारी में मनपसंद चीजें खाने की इच्छा भी नहीं होती, जबकि बच्चे को खीर खाने की लालसा थी।
निष्कर्षतः, बच्चे की सोच कल्पनात्मक है, जबकि हकीकत में बीमारी एक कठिन अनुभव होता है।
(ड) नानीजी और नानाजी ने बच्चे को बीमारी की दवा दी और उसे आराम करने को कहा। बच्चे को खाना नहीं दिया गया। क्या आपको लगता है कि उन्होंने सही किया? आपको ऐसा क्यों लगता है?
उत्तर:
हाँ, मुझे लगता है कि नानीजी और नानाजी ने सही किया। जब कोई बीमार होता है, तो उसे बिना डॉक्टर की सलाह के कुछ भी नहीं देना चाहिए, विशेष रूप से भोजन। बच्चे को पहले आराम और दवा दी गई, जिससे उसकी तबीयत जल्दी ठीक हो सके।
अगर बीमार बच्चे को तुरंत भारी खाना खिला दिया जाए, तो उसकी हालत और बिगड़ सकती है। इसलिए उनका निर्णय समझदारी भरा और सही था।
अनुमान और कल्पना से
(क) कहानी के अंत में बच्चा नानाजी और नानीजी को सब कुछ सच-सच बताने का निर्णय कर लेता तो कहानी में आगे क्या होता?
(संकेत — उसका दिन कैसे बदल जाता? उसकी सोच और अनुभव कैसे होते?)
उत्तर:
अगर बच्चा नानाजी और नानीजी को सब कुछ सच-सच बताने का निर्णय कर लेता, तो उसका मन हल्का हो जाता। वह डर और झूठ से मुक्त होकर चैन की सांस लेता। नानाजी-नानीजी उसकी ईमानदारी से प्रसन्न होते और प्यार से समझाते कि बीमारी छिपाना सही नहीं है।
उसका दिन पहले की तुलना में बहुत बेहतर बीतता क्योंकि उसे अब किसी बात का डर नहीं रहता। वह सच्चाई और ईमानदारी का महत्व समझता और यह अनुभव उसे जीवन में आगे भी सच बोलने की प्रेरणा देता। उसकी सोच में परिपक्वता आती और वह आत्मविश्वास से भर जाता।
(ख) कहानी में बच्चे की नानीजी के स्थान पर आप हैं। आप सारे नाटक को समझ गए हैं लेकिन चाहते हैं कि बच्चा सारी बात आपको स्वयं बता दे। अब आप क्या करेंगे?
उत्तर:
यदि मैं नानीजी की जगह होता/होती, तो मैं बच्चे के साथ हँसी-मजाक करता/करती, उसे प्यार से समझाता/समझाती और कोई मजेदार खेल खेलता/खेलती जिससे वह सहज होकर खुद सारी बात बता देता। मैं उसे डाँटने या दबाव देने की बजाय, उसके मन में विश्वास और अपनापन पैदा करता/करती।
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(ग) कहानी में बच्चे के स्थान पर आप हैं और घर में अकेले हैं। अब ऊबने से बचने के लिए क्या-क्या करेंगे?
उत्तर:
अगर मैं बच्चे की जगह होता/होती और घर में अकेला होता/होती, तो मैं किताब पढ़ता/पढ़ती, ड्राइंग करता/करती, अपनी पसंद का संगीत सुनता/सुनती या कुछ लिखता/लिखती। मैं अपने खिलौनों से खेलता/खेलती या अपने दिमाग में नई-नई कहानियाँ बनाता/बनाती जिससे समय आनंदपूर्वक बीतता।
(घ) कहानी के अंत में बच्चे को लगा कि उसे स्कूल जाना चाहिए था। कल्पना कीजिए, अगर वह स्कूल जाता तो उसका दिन कैसा होता? अगले दिन जब वह स्कूल गया होगा तो उसने क्या-क्या किया होगा?
उत्तर:
अगर बच्चा स्कूल गया होता तो वह अपने दोस्तों से मिला होता, मज़े से पढ़ाई की होती और खेल-कूद में भाग लिया होता। उसे शिक्षक से नई बातें सीखने को मिलतीं और वह दिन आनंददायक बीतता। अगले दिन वह स्कूल गया होगा, तो अपनी पिछली गलती पर मुस्कराया होगा और पूरे उत्साह से कक्षा में भाग लिया होगा।
(ङ) कहानी में नानाजी और नानीजी ने बच्चे की बीमारी ठीक करने के लिए उसे दवाई दी और खाने के लिए कुछ नहीं दिया। अगर आप नानाजी या नानीजी की जगह होते तो क्या-क्या करते?
उत्तर:
अगर मैं नानाजी या नानीजी की जगह होता/होती, तो बच्चे को दवाई के साथ हल्का-फुल्का स्वादिष्ट भोजन भी देता/देती जैसे खिचड़ी, सूप या फल। मैं उसे प्यार से बैठाकर खिलाता/खिलाती और उसकी पसंद का कुछ ऐसा बनाता/बनाती जिससे उसका मन बहले और वह अच्छा महसूस करे।
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विराम चिह्न
विराम चिह्न कहां प्रयोग किया जाता है
1 पूर्ण विराम (।)
जब वाक्य पूरा हो जाता है, तब उसके अंत में पूर्ण विराम लगाया जाता है।
2 अल्प विराम (,)
एक ही वाक्य में अलग-अलग हिस्सों या वस्तुओं को अलग करने के लिए अल्प विराम लगाया जाता है।
3 प्रश्नवाचक चिन्ह (?)
जब किसी वाक्य में प्रश्न पूछा जाता है, तो उसके अंत में प्रश्नवाचक चिन्ह लगाया जाता है।
4 विस्मयादिबोधक चिन्ह (!)
आश्चर्य, भावनाओं या आदेश को व्यक्त करने वाले वाक्यों के अंत में विस्मयादिबोधक चिन्ह का प्रयोग होता है।
5 उद्धरण चिन्ह (“ ”)
जब किसी के कहे हुए वाक्य को ज्यों का त्यों दोहराना होता है, तब उद्धरण चिन्ह का प्रयोग किया जाता है।
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