संवाद लेखन/ Samvaad Lekhan

 संवाद लेखन / Samvaad Lekhan 


       जब हम किसी से की गई मौखिक बातचीत को लिखित रूप देते हैं, तो उसे संवाद लेखन कहते हैं। संवाद लेखन एक कला है । इसके द्वारा हम अपने भावों को व्यक्त कर सकते हैं । संवाद परिस्थितियों एवं पात्रों के चरित्र को उजागर करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस विधा में अभ्यास नितान्त आवश्यक है। संवाद लेखन में निम्नलिखित बातों का विशेष ध्यान देना चाहिए


1. संवादों की भाषा सरल एवं आम बोलचाल की होनी चाहिए।

2. संवाद छोटे, रोचक और चुटीले होने चाहिए।

3. संवाद पात्रों की अवस्था, संबंध और परिस्थितियों के अनुकूल होने चाहिए।


उदाहरण 


1. छात्र और प्राचार्य के मध्य संवाद 


छात्र : श्रीमान् ! क्या मैं अन्दर आ सकता हूँ? 

प्राचार्य : हाँ आओ !

छात्र : (प्रवेश करके) मैं आपके विद्यालय में प्रवेश चाहता हूँ।

प्राचार्य : पहला विद्यालय क्यों छोड़ना चाहते हो?

छात्र : पिताजी का यहाँ तबादला हो गया है और आपका विद्यालय हमारे घर के पास है।

प्राचार्य : वहाँ कौन-सी कक्षा में पढ़ रहे थे?

छात्र : आठवीं कक्षा में श्रीमान् ! यह है मेरा प्रगति-पत्र और विद्यालय छोड़ने की टी.सी.।

प्राचार्य : (प्रगति-पत्र और टी.सी. देखकर) यह लो प्रवेश आवेदन-पत्र। इसे भरकर पिताजी के हस्ताक्षर करवाकर मेरे पास ले आना।

छात्र : (प्रवेश आवेदन-पत्र लेकर) धन्यवाद श्रीमान् !


2.  दो दोस्तों के बीच जीवन लक्ष्य को लेकर संवाद लेखन –


अनिल: “तुम दसवीं कक्षा के बाद कौन सा विषय लेने की सोच रहे हो?”

आदित्य: “मैं तो विज्ञान के विषय पढूंगा।”

अनिल: “क्यों?”

आदित्य: “क्योंकि मैं बड़े होकर एक डॉक्टर बनना चाहता हूँ। तुम्हारे जीवन का क्या लक्ष्य है?”

अनिल: “मैं एक अध्यापक बनना चाहता हूँ।”

आदित्य: “एक डॉक्टर सबकी सेवा करता है, लोगों के दुःख दर्द दूर करता है। मैं भी बड़े होकर बीमार लोगों की सहायता करना चाहता हूँ।”

अनिल: “मैं विद्यार्थियों को ज्ञान प्रदान करके उनके जीवन को उज्जवल बनाना चाहता हूँ। मेरे विचार में यह सबसे अच्छी मानव सेवा है।”












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