8 वाक्य व्यवस्था – वाक्य के अंग, वाक्य रचना, पद-बंध और उपवाक्य, वाक्य के प्रकार (रचना व अर्थ के आधार पर), वाक्य रचना की अशुद्धियाँ, वाक्य रूपान्तरण Vakya Vyavashta- vakya ke ang, Vakya Vyavastha, Pad-Bandh, UpVakya, Vakya ke Prakaar, Vakya Rachna Ashudiyan, Vakya Rupantran
हिन्दी भाषा और अनुप्रयुक्त व्याकरण
खंड - क
8 वाक्य व्यवस्था – वाक्य के अंग, वाक्य रचना, पद-बंध और उपवाक्य, वाक्य के प्रकार
(रचना व अर्थ के आधार पर), वाक्य रचना की अशुद्धियाँ, वाक्य रूपान्तरण
वाक्य - वाक्य भाषा की
मूलभूत संप्रेषणात्मक इकाई है। वाक्य में घटकों का स्वरूप और वाक्य द्वारा
अभिव्यक्त सूचना के आधार पर मूलतः इसके दो वर्ग किए जा सकते हैं- (1) मुख्य क्रिया युक्त वाक्य (2) मुख्य
क्रिया हीन वाक्य। यहाँ पर ‘मुख्य क्रिया’ (main verb) शब्द का तात्पर्य
‘कोशीय क्रिया’ (lexical
verb) से है। दूसरे
शब्दों में इन वर्गों को ‘क्रियाप्रधान वाक्य’ और ‘कोप्यूला वाक्य’ भी कह सकते हैं, जैसा कि सूरजभान
सिंह द्वारा ‘हिंदी का वाक्यात्मक व्याकरण’ (2000) में कहा
गया है।
रचना की दृष्टि
से वाक्य में कुछ प्रकार्य-स्थान (slots) होते हैं। इन प्रकार्य-स्थानों पर संज्ञा पदबंध
और अन्य प्रकार के पदबंध आवश्यकतानुसार आते हैं और वाक्य की रचना करते हैं। क्रिया
वाक्य का केंद्र होती है। किसी एक वाक्य की रचना के लिए वह मुख्य क्रिया और
कोप्यूला क्रिया (केवल सहायक क्रिया) दोनों में से किसी एक प्रकार की होती है।
इसके अलावा अन्य प्रकार्य-स्थानों पर आने वाले विभिन्न पदबंधों के माध्यम से वाक्य
बनता है।
वाक्य के घटक के
रूप में इन पदबंधों के दो वर्ग किए जा सकते हैं- अनिवार्य और ऐच्छिक।
वाक्य रचना के
अनिवार्य घटक
वाक्य का केंद्र
क्रिया होती है। अतः किसी भी वाक्य में क्रिया मूलभूत अनिवार्य घटक होती है। वह ‘व्यक्त’ या ‘अनुक्त’ दोनों में से
किसी भी प्रकार की हो सकती है। जैसे-
मोहन घर जाएगा।
इस वाक्य में ‘जाएगा’ मुख्य क्रिया है, जो व्यक्त रूप
में वाक्य में आई ही है। इसी प्रकार-
मोहन घर जाएगा
और रमेश भी।
इस वाक्य में ‘रमेश भी’ के बाद ‘जाएगा’ क्रिया अनुक्त
है।
वाक्य में
क्रिया के अलावा वे सभी घटक जिनकी क्रिया के संपादन हेतु आवश्यकता पड़ती है, अनिवार्य घटक
कहलाते हैं। किसी वाक्य में कितने घटक अनिवार्य होंगे? यह क्रिया के
रूप और अर्थ पर निर्भर करता है। क्रिया और
अनिवार्य घटकों को मिलाकर वाक्य-साँचे (Sentence frames) बनाए जाते हैं।
सूरजभान सिंह द्वारा ‘हिंदी का वाक्यात्मक व्याकरण’ (2000) में हिंदी
के वाक्य-साँचे विस्तार से दिए गए हैं। उनमें से कुछ साँचों के आधार पर वाक्य के
अनिवार्य घटकों को इस प्रकार से समझ सकते हैं-
इनमें हम देख
सकते हैं कि कोप्यूला वाक्यों में तीन अनिवार्यों घटकों की आवश्यकता है-
सं.प. (मुख्य
पदबंध)+सं.प.(पूरक पदबंध)+कोप्यूला क्रिया
(घटक-01) (घटक-02) (घटक-03)
मोहन डॉक्टर है
‘मोहन डॉक्टर है’ एक कोप्यूला
वाक्य है, जिसमें तीनों अनिवार्य घटक आए हुए हैं। यदि इनमें से किसी भी एक अनिवार्य
घटक को कम कर दिया जाए, तो निम्नलिखित वाक्य निर्मित होंगे-
मोहन है।
डॉक्टर है।
इनमें से कोई भी
वाक्य एक पूर्ण कोप्यूला वाक्य नहीं है, क्योंकि कोप्यूला वाक्य निर्मित करने के लिए
आवश्यक तीनों अनिवार्य घटक नहीं आए हैं।
इसी प्रकार ‘अकर्मक क्रिया
वाले वाक्यों’ में ‘अकर्मक क्रिया’ और ‘कर्ता’ अनिवार्य घटक
होते हैं। अतः ऐसे वाक्यों का वाक्य-साँचा इस प्रकार बनेगा-
सं.प. (कर्ता
पदबंध) + अकर्मक क्रिया
(घटक-01) (घटक-02)
मोहन चला
सीता नाचती है
सकर्मक क्रिया
वाले वाक्यों में ‘सकर्मक क्रिया’, ‘कर्ता’ और ‘कर्म’ अनिवार्य घटक
होते हैं। अतः ऐसे वाक्यों का वाक्य-साँचा इस प्रकार बनेगा-
सं.प.(कर्ता
पदबंध) +सं.प. (कर्म पदबंध)+सकर्मक क्रिया
(घटक-01) (घटक-02) (घटक-03)
राम आम खाता है
मोहन किताब
पढ़ता है
इन वाक्यों में
तीनों अनिवार्य घटक आए हुए हैं। इनकी जगह निम्नलिखित वाक्य अपूर्ण माने जाएँगे-
· राम खाता है।
· मोहन पढ़ता है।
वाक्य रचना के
ऐच्छिक घटक
क्रिया वाक्य का केंद्र होती है। उसके स्वरूप के
अनुसार कर्ता, सहकर्ता, कर्म, मुख्यपद और पूरक
पद अनिवार्य घटक होते हैं, जिनकी उदाहरण सहित चर्चा ऊपर की जा चुकी है।
इनके अलावा कुछ अन्य प्रकार्य-स्थानों (slots) की स्थिति इस प्रकार से होती है कि उनसे
संबंधित सूचना देने वाले घटक वाक्य में आ भी सकते हैं और नहीं भी आ सकते हैं। ऐसे घटकों को वाक्य रचना के ऐच्छिक घटक कहते
हैं। इन घटकों से संबंधित सूचना या तो श्रोता को पता होती है या वह संदर्भ से
अनुमान कर लेता है। उदाहरण के लिए ‘अधिकरण’ (Locative) से संबंधित
सूचना लगभग सभी प्रकार के वाक्यों में ऐच्छिक घटक के रूप में होती है, चाहे वह
स्थानाधिकरण (अधिकरण-स्थान) की बात हो या समयाधिकरण की बात हो जैसे-
मैं बैठा हूँ। => अनिवार्य घटक
(कर्ता + क्रिया)
मैं कुर्सी पर
बैठा हूँ। => अनिवार्य घटक (कर्ता + क्रिया); ऐच्छिक घटक
(अधिकरण- स्थान)
आज मैं कुर्सी
पर बैठा हूँ। => अनिवार्य घटक (कर्ता + क्रिया); ऐच्छिक घटक
(अधिकरण-समय + अधिकरण-स्थान)
वाक्य के ऐच्छिक
घटकों के नहीं आ सकने की स्थिति में भी व्याकरण दृष्टि से वाक्य अर्थपूर्ण और
संप्रेषणीय बना रहता है। अतः ऐच्छिक घटक वे घटक हैं, जो वाक्य में
अतिरिक्त सूचनाएँ जोड़ने का काम करते हैं किंतु उनके नहीं होने पर भी वाक्य व्याकरण
और अर्थ की दृष्टि से व्यवहार के योग्य रहता है। इसके विपरीत अनिवार्य घटक वे घटक
हैं, जिनके नहीं होने
पर वाक्य निर्मित ही नहीं होगा। केवल क्रिया और ऐच्छिक घटकों से वाक्य नहीं बनाया
जा सकता, जैसे-
मै कुर्सी पर
बैठा हूँ। => अनिवार्य घटक (कर्ता + क्रिया); ऐच्छिक घटक
(अधिकरण- स्थान)
इस वाक्य में ‘मैं’ और ‘बैठा हूँ’ अनिवार्य घटक
हैं। इनमें से किसी भी घटक को निकाल देने पर वाक्य नहीं बनेगा-
मैं कुर्सी पर।
कुर्सी पर बैठा
हूँ।
जबकि ‘कुर्सी पर’ ऐच्छिक घटक है, अतः इसे निकाल
देने पर भी वाक्य ठीक और संप्रेषणीय रहेगा-
मैं बैठा हूँ।
वाक्य की
परिभाषा - शब्दों का ऐसा सार्थक और व्यवस्थित समूह जो किसी भाव या विचार को
पूर्णत: प्रकट करता हो, वाक्य कहलाता है।
जैसे ==> गौरव पत्र लिखता
है। शब्दों का यह समूह अपेक्षित अर्थ प्रदान कर रहा है , अत: यह वाक्य
है।
वाक्य के अंग :- कर्ता और
क्रिया पक्ष के अनुसार वाक्य के दो अंग
हैं ==>
(क) - उद्देश्य
।
(ख) - विधेय ।
(क)- उद्देश्य==> वाक्य में जिसके
बारे में कुछ कहा जाता है,उसे उद्देश्य कहते हैं।
जैसे ==> 1- बिजली चम-चम चमक रही है।
2 - बच्चे शतरंज़ खेल रहे हैं।
ऊपर के वाक्यों
में ‘बिजली’ और ‘बच्चे’ उद्देश्य हैं; क्योंकि इनके
विषय में कुछ कहा गया है।
(ख) - विधेय ==> उद्देश्य के
बारे में जो कुछ भी कहा जाता है, वह सब कुछ विधेय कहलाता है।
जैसे ==> 1-
बिजली चम-चम चमक रही है।
2- बच्चे शतरंज़ खेल रहे हैं।
ऊपर के वाक्यों
में ‘बिजली’ और ‘बच्चे’ के बारे में
क्रमशः ‘चम-चम चमक रही
है।’ और
‘शतरंज़ खेल रहे
हैं।’ कहा गया है,
अत: ‘चम-चम चमक रही
है।’ और ‘शतरंज़ खेल रहे
हैं।’ विधेय हैं।
वाक्य के भेद या
प्रकार –
(क) अर्थ के
आधार पर- 8 प्रकार
(ख) रचना के
आधार पर- 3 प्रकार (सरल या साधारण, संयुक्त, मिश्र)
अर्थ के आधार पर
वाक्य के भेद - अर्थ के आधार पर वाक्य के निम्नलिखित आठ भेद हैं-
1. विधानवाचक
जिन वाक्यों में
क्रिया के करने या होने की सूचना मिले, उन्हें विधानवाचक वाक्य कहते हैं;
जैसे- मैंने दूध पिया।
वर्षा हो रही है।
2. निषेधवाचक
जिन वाक्यों से
कार्य न होने का भाव प्रकट होता है, उन्हें निषेधवाचक वाक्य कहते हैं;
जैसे- मैंने दूध नहीं पिया।
मैंने खाना नहीं खाया।
3. आज्ञावाचक
जिन वाक्यों में
आज्ञा, प्रार्थना, उपदेश आदि का
ज्ञान होता है, उन्हें आज्ञावाचक वाक्य कहते हैं;
जैसे- बाज़ार जाकर फल ले आओ।
बड़ों का सम्मान करो।
4. प्रश्नवाचक
जिन वाक्यों से
किसी प्रकार का प्रश्न पूछने का ज्ञान होता है, उन्हें
प्रश्नवाचक वाक्य कहते हैं;
जैसे- सीता तुम कहाँ से आ रही हो?
तुम क्या पढ़ रहे हो?
5. इच्छावाचक
जिन वाक्यों से
इच्छा आशीष एवं शुभकामना आदि का ज्ञान होता है, उन्हें
इच्छावाचक वाक्य कहते हैं;
जैसे- तुम्हारा कल्याण हो।
भगवान तुम्हें लंबी उम्र दे।
6. संदेहवाचक
जिन वाक्यों से
संदेह या संभावना व्यक्त होती है, उन्हें संदेहवाचक वाक्य कहते हैं;
जैसे- शायद शाम को वर्षा हो जाए। वह आ रहा
होगा, पर हमें क्या
मालूम।
हो सकता है राजेश आ जाए।
7. विस्मयवाचक
जिन वाक्यों से
आश्चर्य, घृणा, क्रोध शोक आदि भावों की अभिव्यक्ति होती है, उन्हें
विस्मयवाचक वाक्य कहते हैं;
जैसे- वाह-कितना सुंदर दृश्य है। उसके
माता-पिता दोनों ही चल बसे।
शाबाश तुमने बहुत अच्छा काम किया।
8. संकेतवाचक
जिन वाक्यों में
एक क्रिया का होना दूसरी क्रिया पर निर्भर होता है। उन्हें संकेतवाचक वाक्य कहते
हैं;
जैसे- यदि
परिश्रम करोगे तो अवश्य सफल होंगे।
पिताजी अभी आते
तो अच्छा होता। अगर वर्षा होगी तो फ़सल भी होगी।
रचना के आधार पर वाक्य भेद – तीन भेद - सरल
या साधारण, संयुक्त, मिश्र
रचना का अर्थ ‘बनावट’ होता है . जब
रचना के आधार पर वाक्य परिवर्तन किया जाता है तब उसकी बनावट में सिर्फ परिवर्तन होता
है उसके अर्थ में किसी प्रकार का कोई परिवर्तन नहीं होता है।
रचना के आधार पर वाक्य के तीन भेद हैं- सरल वाक्य, संयुक्त वाक्य, मिश्र वाक्य
सरल वाक्य
जिस वाक्य में एक उद्देश्य (कर्ता) और एक विधेय (क्रिया)
होता है,उसे सरल वाक्य
या साधारण वाक्य कहते हैं। सरल वाक्य के उदाहरण
- राम ने रावण को मारा।
- आशा अच्छा गाती है।
- परिश्रमी बालक सफल होते
हैं।
- बिजली चमकती है।
- पानी
बरसा।
ऊपर के वाक्यों
में राम, आशा और परिश्रमी बालक आदि उद्देश्य हैं और वाक्यों के
शेष भागों का विधेय कहते है।
संयुक्त
वाक्य
जिस वाक्य में
दो या दो से अधिक वाक्य (उपवाक्य) समुच्चयबोधक शब्द (संयोजक शब्द) द्वारा परस्पर
जुड़े हों, उसे संयुक्त वाक्य कहते हैं .
- रमेश ने काम किया और वह
अपने घर चला गया।
- वह चला तो था, परन्तु रास्ते से लौट
गया।
- राहुल विद्यालय जाता है
और मन लगाकर पढ़ता है।
- वह सुबह गया और शाम को
लौट आया।
- उसने
बहुत परिश्रम किया किन्तु सफलता नहीं मिली।
इसमें परस्पर
जुड़ने वाले एकाधिक वाक्य स्वतंत्र होते हैं; लेकिन स्वतंत्र
कहने का अर्थ यह नहीं है कि इनके बीच कोई अंत:संबंध नहीं होता है। वस्तुतः इनके
बीच एक खास तरह के संबंध होने के कारण ही ये आपस में जुड़ते हैं। इनके बीच बनने
वाले संबंधों को ध्यान में रखते हुए संयुक्त वाक्य को चार भागों में बाँटा गया है-
- संयोजक - और, तथा, फिर, एवं, ही/ही नहीं ……बल्कि
- विभाजक - या, अथवा, या…… या, न…… न, नहीं तो, अन्यथा, चाहे………. चाहे, न कि
- विरोधवाचक - लेकिन, पर, मगर, बल्कि
- परिणामवाचक - इसलिए, अतः, अतएव, सो
संयुक्त वाक्य
के 10 उदाहरण
1)
सुबह हुई और चिड़िया चहकने लगी
2)
कल 15 अगस्त है इसलिए बाजार बंद रहेगा
3)
मैं कल बीमार था सो विद्यालय नहीं गया
4)
वह केवल बोलता ही नहीं बल्कि ध्यानपूर्वक सुनता भी है
5)
तुम घर गए और मैं भी चला गया
6)
उसने एक बार जिद की फिर कभी कुछ नहीं कहा
7)
वह गरीब है मगर बहुत ईमानदार है
8)
हम तुम्हारा बुरा नहीं चाहते बल्कि भला चाहते हैं
9)
अकरम बहुत कमजोर था इसलिए वह दीवार पर चढ़ न सका
10) बाहर बहुत जोर से बारिश हो रही थी परंतु वह
खेलने चला गया
11) चार्ली बाजार गया और
सामान लेकर आया
12) या तुम शहर जाओगे या मैं
जाऊँगा
13) चाहे तुम यह काम कर सकते हो चाहे मैं
14) तुम दूध पियोगे न कि
कॉफी
15) तुम स्टेशन जल्दी पहुँचो अन्यथा एक्सप्रेस ट्रेन
चली जाएगी
मिश्र
वाक्य
जिस वाक्य में
एक प्रधान उपवाक्य तथा उसके अधीन एक या एक से अधिक आश्रित उपवाक्य होते हैं, उसे मिश्र वाक्य
कहते हैं
मिश्र वाक्य के उदाहरण
1)
जब मै घर से निकला तब वर्षा हो रही थी।
2)
यदि तुम आओगे तो हम भी चलेगे।
3)
वह काम हो गया है जिसे करने के लिए आपने कहा था।
4)
जब तुम जाओगे तब मैं भी जाऊँगा
(इस वाक्य में तब मैं जाऊँगा प्रधान उपवाक्य है
और जब तुम जाओगे आश्रित उपवाक्य है)
- मेरा
दृढ़ विश्वास है कि भारत जीतेगा।
- सफल
वही होता है जो परिश्रम करता है।
प्रधान उपवाक्य-
जिस उपवाक्य का उद्देश्य और विधेय मुख्य होता है, उसे प्रधान
उपवाक्य कहते हैं। जैसे- अध्यापक ने कहा कि तुम कक्षा में प्रतिदिन आओ
इस वाक्य में
रेखांकित उपवाक्य प्रधान उपवाक्य है
आश्रित उपवाक्य-
प्रधान उपवाक्य पर जो उपवाक्य निर्भर होता है, उसे आश्रित
उपवाक्य कहते हैं। इस उपवाक्य का उद्देश्य और विधेय प्रधान नहीं होता है
उदाहरण- जैसे ही
सूर्य निकला वैसे ही जानवर जंगल में भाग गए
इस वाक्य में ‘जैसे ही सूर्य
निकला’ आश्रित उपवाक्य
है
प्रधान उपवाक्य
और आश्रित उपवाक्य में अंतर
प्रधान उपवाक्य
किसी पर निर्भर नहीं होता है लेकिन आश्रित उपवाक्य प्रधान उपवाक्य पर निर्भर होता
है
प्रधान उपवाक्य
की क्रिया मुख्य होती है लेकिन आश्रित उपवाक्य की क्रिया मुख्य नहीं होती है
प्रधान उपवाक्य
वाक्य में एक ही होता है लेकिन आश्रित उपवाक्य एक या एक से अधिक हो सकते हैं
प्रधान उपवाक्य
का कोई भेद नहीं है लेकिन आश्रित उपवाक्य के तीन भेद हैं – संज्ञा उपवाक्य, विशेषण उपवाक्य, क्रिया विशेषण
उपवाक्य
संज्ञा उपवाक्य
जो उपवाक्य
वाक्य में संज्ञा का काम करता है, उसे संज्ञा उपवाक्य कहते हैं . इस उपवाक्य का
प्रधान उपवाक्य की क्रिया के कर्म या पूरक के रूप में प्रयोग होता है
उदाहरण-
मेरा मानना है
कि पंचों को न्याय का पक्ष लेना चाहिए
इसमें कोई शक
नहीं है कि तुम परिश्रमी हो
मोहन को यह
देखकर आश्चर्य हुआ कि सभा में कम लोग आए हैं
मुझे पूरा
विश्वास है कि वह कक्षा में अव्वल आएगा
मैंने उससे पूछा
कि कल वाली कमीज कहाँ है ?
बच्चों ने कहा
कि उन्हें आज स्कूल जाना है
संज्ञा उपवाक्य
की शुरुआत 'कि' से होती है।
जैसा कि उपर्युक्त उदाहरणों में देखा जा सकता है लेकिन कहीं-कहीं ‘कि’ का लोप होता है
और कहीं-कहीं इसके प्रयोग पर प्रतिबंध भी होता है पर वे संज्ञा उपवाक्य ही होते
हैं
जैसे-
मुझे पता था आप
दिल्ली जाएँगे (लोप)
आप दिल्ली
जाएँगे मुझे पता था (प्रतिबंध)
याद रहे ‘कि’ से शुरू होने
वाले उपवाक्य हमेशा संज्ञा उपवाक्य नहीं होते हैं
जैसे- आपको शाकाहारी
भोजन चाहिए न कि मांसाहारी (संयुक्त वाक्य)
इस वाक्य में 'कि' का प्रयोग ‘या’ के अर्थ में हुआ
है इसलिए यह संयुक्त वाक्य है
वह इतना दौड़ा
कि थक गया है (मिश्र वाक्य)
इस वाक्य में ‘कि’ ‘इतना’ के साथ आया है
इसलिए यहाँ मिश्र वाक्य है. इसमें ‘थक गया है’ प्रधान उपवाक्य
है
विशेषण उपवाक्य
जो उपवाक्य
प्रधान उपवाक्य की संज्ञा की विशेषता बताता है, उसे विशेषण
उपवाक्य कहते हैं। जैसे-
जो लड़के मेहनती
होते हैं वे हमेशा सफल होते हैं .
इस वाक्य में जो
लड़के मेहनती होते हैं विशेषण उपवाक्य है क्योंकि इससे विशेषता का बोध हो रहा है.
अन्य उदाहरण–
जो तुम्हारा
मित्र हैं मैं उसे पहचानता हूँ।
जिन लोगों ने
परिश्रम किया उन्हें कंपनी द्वारा पुरस्कृत किया गया।
जिसके लिए तुम
इतना कुछ कर रहे हो उसके लिए मैंने पहले ही बहुत कुछ कर रखा है।
जिसने तुम्हें
यह सूचना दी है उसने मुझे भी यही सूचना दी है।
उपर्युक्त
उदाहरणों में (उभरे हुए) उपवाक्य विशेषण उपवाक्य हैं।
इस उपवाक्य की
शुरुआत ‘जो या जो के
विभिन्न रूपों’ से होती है।
जो के विभिन्न
रूप-
जो, जिसने, जिन्होंने, जिससे, जिसको, जिनको, जिसका, जिनका, जिसमें, जिसपर, जिनमें, जिन पर, जिसके लिए, जिनके लिए। एकवचन
और बहुवचन के आधार पर इन रूपों का प्रयोग किया जाता है।
क्रियाविशेषण
उपवाक्य
जो उपवाक्य
प्रधान उपवाक्य की क्रिया की विशेषता बताता है, उसे
क्रियाविशेषण उपवाक्य कहते हैं। यह उपवाक्य वाक्य में क्रियाविशेषण की तरह कार्य
करता है।
जैसे- जब तुम
मेरे घर आओगे तब मैं तुम्हारे साथ जाऊँगा।
इस वाक्य में
रेखांकित उपवाक्य क्रियाविशेषण उपवाक्य है क्योंकि यह मुख्य क्रिया की विशेषता या
समय बारे में बता रहा है।
अन्य उदाहरण-
जैसा उसने कहा
था वैसा मैंने कहा
जहाँ तुम मुझे
बुलाओगे वहाँ मैं आऊँगा
मोहन इतना मोटा
है कि खेल नहीं सकता
रेलगाड़ी ऐसे
धीरे चल रही है जैसे बैलगाड़ी हो
उपर्युक्त
उदाहरणों में रेखांकित उपवाक्य क्रियाविशेषण उपवाक्य हैं
संबंधवाचक शब्द – क्रियाविशेषण
उपवाक्य के साथ आने वाले शब्द संबंधवाचक शब्द कहलाते हैं। जैसे- जब तक, जब, जहाँ, जैसा, जितना, यदि इत्यादि।
क्रिया विशेषण
के साथ आने वाले संबंधसूचक शब्द-
जब, जब तक, जब से, जब कभी, जब-जब, ज्योंहि, जैसे ही, जहाँ, जहाँ तक, जहाँ से, जहाँ-जहाँ, जिधर, जैसा, जैसे, मानो, जैसे-जैसे, जितना, कि, क्योंकि, चूँकि, इसलिए, यदि, अगर, यद्यपि, हालाँकि, जिससे, ताकि, कहीं .
नित्यसंबंधी
शब्द–प्रधान उपवाक्य
के साथ आने वाले शब्द नित्यसंबंधी शब्द कहलाते हैं। जैसे-तब, वैसा, वहाँ, इसलिए, तथापि, ज्यों ही
इत्यादि।
प्रधान उपवाक्य
के साथ आने वाले नित्यसंबंधी शब्द
तब तक, तब, सबसे, कभी, त्योंहि, वैसे ही, वहाँ, वहीं, वहाँ तक, वहाँ से, वहाँ-वहाँ, उधर, वैसा, वैसे, ऐसे, त्यों-त्यों, तैसे-तैसे, इतना, इसलिए, कि, तो, तथापि, फिर, तो भी
वाक्य में
संबंधवाचक शब्द का प्रयोग अनिवार्य माना जाता है लेकिन कहीं-कहीं नित्य संबंधी
शब्दों का प्रयोग ऐच्छिक होता है अर्थात उनका लोप हो जाता है। जैसे- दरवाजा और
खिड़की खोल दो ताकि शुद्ध हवा अंदर आ सके।
पदबंध (Phrase) की परिभाषा
पद - वाक्य से अलग
रहने पर 'शब्द' और वाक्य में
प्रयुक्त हो जाने पर शब्द 'पद' कहलाते हैं।
दूसरे शब्दों
में - वाक्य में प्रयुक्त शब्द पद कहलाता है।
पदबंध - जब दो या
अधिक (शब्द) पद नियत क्रम और निश्चित अर्थ में किसी पद का कार्य करते हैं तो
उन्हें पदबंध कहते हैं।
सरल शब्दों में
- जब दो या दो से अधिक पद मिलकर एक पद का कार्य करते हैं तब उन्हें पदबंध कहा जाता
है।
दूसरे शब्दों
में - कई पदों के योग से बने वाक्यांशो को, जो एक ही पद का
काम करता है, 'पदबंध' कहते है।
डॉ० हरदेव बाहरी
ने 'पदबन्ध' की परिभाषा इस
प्रकार दी है- वाक्य के उस भाग को, जिसमें एक से अधिक पद परस्पर सम्बद्ध होकर अर्थ
तो देते हैं, किन्तु पूरा अर्थ नहीं देते - पदबन्ध या वाक्यांश कहते हैं। जैसे-
(1) सबसे तेज
दौड़ने वाला छात्र जीत गया।
(2) यह लड़की
अत्यंत सुशील और परिश्रमी है।
(3) नदी बहती
चली जा रही है।
(4) नदी कल-कल
करती हुई बह रही थी।
उपर्युक्त
वाक्यों में काला छपे शब्द पदबंध है। पहले वाक्य के 'सबसे तेज दौड़ने
वाला छात्र' में पाँच पद है, किन्तु वे मिलकर एक ही पद अर्थात संज्ञा का
कार्य कर रहे हैं। दूसरे वाक्य के 'अत्यंत सुशील और परिश्रमी' में भी चार पद
हैं, किन्तु वे मिलकर
एक ही पद अर्थात विशेषण का कार्य कर रहे हैं। तीसरे वाक्य के 'बहती चली जा रही
है' में पाँच पद हैं
किन्तु वे मिलकर एक ही पद अर्थात क्रिया का काम कर रहे हैं। चौथे वाक्य के 'कल-कल करती हुई' में तीन पद हैं, किन्तु वे मिलकर
एक ही पद अर्थात क्रिया विशेषण का काम कर रहे हैं।
इस प्रकार रचना
की दृष्टि से पदबन्ध में तीन बातें आवश्यक हैं- एक तो यह कि इसमें एक से अधिक पद
होते हैं। दूसरे ये पद इस तरह से सम्बद्ध होते हैं कि उनसे एक इकाई बन जाती है।
तीसरे, पदबन्ध किसी
वाक्य का अंश होता है।
अँगरेजी में इसे
phrase कहते हैं। इसका
मुख्य कार्य वाक्य को स्पष्ट, सार्थक और प्रभावकारी बनाना है। शब्द-लाघव के
लिए भी इसका उपयोग किया जाता है- खास तौर से समास, मुहावरों और
कहावतों में। ये पदबंध पूरे वाक्य नहीं होते, बल्कि वाक्य के
टुकड़े हैं, किन्तु निश्र्चित अर्थ और क्रम के परिचायक हैं। हिंदी व्याकरण में इनपर अभी
स्वतन्त्र अध्ययन नहीं हुआ है।
पदबंध के भेद
मुख्य पद के
आधार पर पदबंध के पाँच प्रकार होते हैं-
(1)
संज्ञा-पदबंध
(2)
विशेषण-पदबंध
(3) सर्वनाम
पदबंध
(4) क्रिया
पदबंध
(5)
क्रियाविशेषण या अव्यय पदबंध
(1)
संज्ञा-पदबंध- वह पदबंध जो वाक्य में संज्ञा का कार्य करे, संज्ञा पदबंध
कहलाता है।
दूसरे शब्दों
में - पदबंध का अंतिम अथवा शीर्ष शब्द यदि संज्ञा हो और अन्य सभी पद उसी पर आश्रित
हो तो वह 'संज्ञा पदबंध' कहलाता है।
जैसे-
(a) चार ताकतवर
मजदूर इस भारी चीज को उठा पाए।
(b) राम ने लंका
के राजा रावण को मार गिराया।
(c) अयोध्या के राजा
दशरथ के चार पुत्र
थे।
(d) आसमान में उड़ता
गुब्बारा फट गया।
उपर्युक्त
वाक्यों में काला छपे शब्द 'संज्ञा पदबंध' है।
(2) विशेषण
पदबंध - वह पदबंध जो संज्ञा अथवा सर्वनाम की विशेषता बतलाता हुआ विशेषण का कार्य
करे, विशेषण पदबंध
कहलाता है।
दूसरे शब्दों
में- जब एक से अधिक पद मिलकर विशेषण पद का कार्य करें, तो उसे विशेषण
पदबंध कहा जाता हैं।
जैसे-
(a) तेज चलने वाली गाड़ियाँ प्रायः
देर से पहुँचती हैं।
(b) उस घर के कोने
में बैठा हुआ आदमी
जासूस है।
(c) उसका घोड़ा अत्यंत
सुंदर, फुरतीला और आज्ञाकारी है।
(d) बरगद और पीपल की
घनी छाँव से हमें बहुत सुख मिला।
उपर्युक्त
वाक्यों में काला छपे शब्द 'विशेषण पदबंध' है।
(3) सर्वनाम
पदबंध - वह पदबंध जो वाक्य में सर्वनाम का कार्य करे, सर्वनाम पदबंध
कहलाता है।
दूसरे शब्दों
में- जब कई पद मिलकर सर्वनाम पद का कार्य करें, तो उसे सर्वनाम
पदबंध कहा जाता है।
उदाहरण के लिए
निम्नलिखित वाक्य देखिए-
बिजली-सी फुरती
दिखाकर आपने बालक को डूबने से बचा लिया।
शरारत करने वाले
छात्रों में से कुछ पकड़े गए।
विरोध करने वाले
लोगों में से कोई नहीं बोला।
उपर्युक्त
वाक्यों में काला छपे शब्द सर्वनाम पदबंध हैं क्योंकि वे क्रमशः 'आपने' 'कुछ' और 'कोई' इन सर्वनाम
शब्दों से सम्बद्ध हैं।
(4) क्रिया
पदबंध - वह पदबंध जो अनेक क्रिया-पदों से मिलकर बना हो, क्रिया पदबंध
कहलाता है।
दूसरे शब्दों
में- जब कई क्रियाएँ मिलकर एक क्रिया पद का कार्य करें, तो उसे क्रिया
पदबंध कहा जाता है। क्रिया पदबंध में मुख्य क्रिया पहले आती है। उसके बाद अन्य
क्रियाएँ मिलकर एक समग्र इकाई बनाती है। यही 'क्रिया पदबंध' है।
जैसे-
(a) वह बाजार की ओर आया
होगा।
(b) मुझे मोहन छत से
दिखाई दे रहा है।
(c) सुरेश नदी में डूब
गया।
(d) अब दरवाजा खोला
जा सकता है।
उपर्युक्त
वाक्यों में काला छपे शब्द 'क्रिया पदबंध' है।
(5) क्रियाविशेषण
या अव्यय पदबंध- वह पदबंध जो वाक्य में अव्यय का कार्य करे, अव्यय पदबंध
कहलाता है।
दूसरे शब्दों
में- जब कई पद मिलकर क्रियाविशेषण पद का कार्य करते हैं, तो उसे
क्रियाविशेषण या अव्यय पदबंध कहा जाता हैं।
इस पदबंध का
अंतिम शब्द अव्यय होता है। उदाहरण के लिए निम्नलिखित वाक्य देखिए-
अपने सामान के
साथ वह चला गया।
सुबह से शाम तक
वह बैठा रहा।
इन वाक्यों में
काला छपे शब्द अव्यय पदबंध हैं।
संज्ञा पदबंध और
विशेषण पदबंध में अंतर
संज्ञा पदबंध
में संज्ञा के पहले आनेवाले पदबंध प्रायः विशेषण पदबंध ही हुआ करते हैं, इसलिए यदि उन
विशेषण पदबंधों को संज्ञा के साथ मिलाकर लिखा जाए तो वे संज्ञा पदबंध तथा संज्ञा
से अलग करके लिखा जाए तो वे विशेषण पदबंध होते हैं। जैसे-
बेकार बैठनेवाले
लोग जीवन में कभी सफल नहीं होते।
इसमें बेकार
बैठनेवाले लोग संज्ञा पदबंध है, जबकि बेकार बैठनेवाले विशेषण पदबंध।
उपवाक्य
परिभाषा -
उपवाक्य वाक्य का अंश होता है जिसमें उद्देश्य और विधेय होते हैं। अतः पदों का ऐसा
समूह जिसका अपना अर्थ हो, जो सामान्यतः एक वाक्य का भाग हो तथा जिसमें
उद्देश्य एवं विधेय सम्मिलित हो, उपवाक्य कहलाता है। सरल शब्दों में जिन क्रियायुक्त
पदों से आंशिक भाव व्यक्त होता है, उन्हें उपवाक्य कहते है। उपवाक्य में कर्त्ता
और क्रिया का होना आवश्यक है।
मंजू स्कूल नहीं
गयी; क्योंकि पानी
बरस रहा था।
मैं नहीं जानता
कि वह कहाँ रहता है।
यह वही घड़ी है
जिसे मैंने कलकत्ते में खरीदी थी।
ऊपर के वाक्यों
में ‘क्योंकि पानी
बरस रहा था’, ‘कि वह कहाँ रहता है’ और ‘जिसे मैंने कलकत्ते में खरीदी थी’ – उपवाक्य हैं।
उद्देश्य और
विधेय
हिन्दी में
वाक्य के दो अंग होते हैं- कर्ता और क्रिया। पक्ष के अनुसार वाक्य के दो पक्ष हो
जाते हैं- उद्देश्य और विधेय।
1.उद्देश्य-
वाक्य में जिस व्यक्ति या वस्तु के सम्बन्ध में कुछ कहा जाता है, उसे उद्देश्य
कहते हैं। जैसे- छात्रों को अनुशासन प्रिय होना चाहिए। इस वाक्य में छात्रों को
कहा गया है कि उन्हें अनुशासन प्रिय होना चाहिए। अत: ‘छात्रों को’ उद्देश्य है।
इसके अंतर्गत कर्ता तथा कर्ता-विस्तार (विशेषण सम्बन्धबोधक, भावबोधक आदि) आ
जाते हैं। सामान्यत: उद्देश्य कोई संज्ञा या संज्ञा की तरह प्रयुक्त शब्द होता है।
अर्थात् वाक्य का कर्ता ही वाक्य का उद्देश्य होता है। जैसे-
तेंदुलकर ने एक
ओवर में पाँच छक्के लगाए। इस वाक्य में ‘तेंदुलकर’ उद्देश्य है।
‘मोहन बाजार जा
रहा है।’ इस वाक्य में ‘मोहन’ उद्देश्य है।
‘मेरा बड़ा भाई
निशांत जासूसी पुस्तकें अधिक पढ़ता है।’ इस वाक्य में मेरा बड़ा भाई उद्देश्य है।
2. विधेय- उद्देश्य (कर्ता) के सम्बन्ध में जो
कहा जाता है उसे विधेय कहते हैं। इसके अन्तर्गत क्रिया, क्रिया विस्तार, कर्म-विस्तार
आदि आ जाते हैं। जैसे-
इस कक्षा का
सर्वश्रेष्ठ धावक राम प्रतियोगिता में भाग लेगा। इस वाक्य में उद्देश्य है ‘इस कक्षा का
सर्वश्रेष्ठ धावक राम’; विधेय है- ‘प्रतियोगिता में
भाग लेगा।’
मेरा छोटा भाई
प्रशांत धार्मिक पुस्तकें अधिक पढ़ता है।’ इस वाक्य में ‘धार्मिक
पुस्तकें अधिक’ विधेय है।
‘मेरा मित्र
राकेश बहुत अच्छा चित्रकार है।’ इस वाक्य में बहुत अच्छा चित्रकार है’ विधेय है।
उपवाक्य के
प्रकार
उपवाक्य तीन
प्रकार के होते हैं- (1) संज्ञा
उपवाक्य (2) विशेषण उपवाक्य (3) क्रिया-विशेषण उपवाक्य
(1) संज्ञा
उपवाक्य
वह उपवाक्य जो
प्रधान या मुख्य उपवाक्य की संज्ञा या कारक के रूप में सहायता करे, उसे संज्ञा
उपवाक्य कहते हैं। उदाहरण –
(क) ‘राम ने कहा कि
मैं पढूँगा’
यहाँ ‘मैं पढूँगा’ संज्ञा-उपवाक्य
है।
(ख) ‘मैं नहीं जानता
कि वह कहाँ है-
इस वाक्य में ‘वह कहाँ है’ संज्ञा-उपवाक्य
है।
(2) विशेषण
उपवाक्य
जो उपवाक्य किसी
दूसरे उपवाक्य में आये संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता प्रकट करता है, उसे विशेषण
उपवाक्य कहते हैं। जैसे- ‘वह विद्यार्थी जो कल अनुपस्थित था, बीमार है।’
(1) वह
विद्यार्थी बीमार है- प्रधान उपवाक्य
(2) जो कल
अनुपस्थित था – विशेषण उपवाक्य ; ‘विद्यार्थी की
विशेषता बतलाता है।
यह जरूरी नहीं
कि विशेषण उपवाक्य प्रधान उपवाक्य में आये हुए ही किसी शब्द की विशेषता प्रकट करे।
यह अन्य उपवाक्य में आये हुए शब्दों की भी विशेषता प्रकट करता है। जैसे- मैंने कहा
कि तुमने यह कलम खरीदी है जो बाजार में सबसे सस्ती है।
(1) मैंने कहा – प्रधान उपवाक्य।
(2) कि तुमने यह
कलम खरीदी है- संज्ञा उपवाक्य, ‘कहा’ क्रिया का कर्म।
(3) जो बाजार
में सस्ती है- विशेषण उपवाक्य संज्ञा उपवाक्य में आये।
(3)
क्रिया-विशेषण उपवाक्य
जो उपवाक्य किसी
क्रिया की विशेषता बताते हैं, उन्हें क्रिया-विशेषण उपवाक्य कहते हैं। जैसे-
जब पानी बरसता है, तब मेंढक बोलते हैं। यहाँ ‘जब पानी बरसता
है‘ क्रियाविशेषण-उपवाक्य
हैं।
ये उपवाक्य
क्रिया का समय, स्थान, कारक, प्रयोजन परिमाण
आदि बताते हैं। इनकी शुरुआत जब, जहाँ, क्योंकि जिससे, अतः, अगर, यद्यपि, चाहे, जो, त्यों, ज्यों, मानों इत्यादि
से होती है। जैसे –
‘जब पानी बरसे
खेत जोत डालना।’ – समय
‘जहाँ सज्जनों का
मान होता है वहाँ लक्ष्मी निवास करती है।’ – स्थान
‘मैं रोटी नहीं
खाऊँगा, क्योंकि पेट में अधिक दर्द है। – कारण
मुझे पुस्तक दे
दो, जिससे मैं पाठ
याद कर लूँ। – प्रयोजन
राम ने कठिन
परिश्रम किया, अतः परीक्षा में उत्तीर्ण हो गया – परिणाम
यदि मोहन यहाँ
आएगा, तो मैं अवश्य
जाऊंगा। – शर्त्त
राम वैसा ही
चतुर है, जैसे- कि तुम हो। – तुलना
जैसे-जैसे- मैं
बोलूँ वैसे-वैसे तुम लिखो। – प्रकार
उपवाक्य के भेद
हिन्दी में
उपवाक्य के भेद जानना जरूरी है तो आइए देखते हैं उपवाक्य के कितने भेद होते हैं? उपवाक्य के
निम्नलिखित दो भेद होते हैं :
1. प्रधान
उपवाक्य (मुख्य उपवाक्य)- प्रधान उपवाक्य वह होता है जिसकी क्रिया मुख्य होती है।
2. आश्रित
उपवाक्य- आश्रित उपवाक्य दूसरे उपवाक्य पर आश्रित होता है। आश्रित उपवाक्यों का
आरम्भ प्राय: ‘कि’, ‘जो’, ‘जिसे’,’यदि’ ‘क्योंकि’, आदि से होता है।
आश्रित उपवाक्य आरंभ, मध्य या अंत में भी आ सकते हैं।
उदाहरण-
अभिमन्यु परिश्रम करता तो, अवश्य सफल होता’ इस वाक्य का सरल
वाक्य इस प्रकार बनेगा- ‘अभिमन्यु परिश्रम करने पर अवश्य सफल होता। यहाँ
‘परिश्रम करता’ क्रिया
रूपांतरित हो गई है। अत: यह आश्रित उपवाक्य है। दूसरी ओर ‘सफल होता‘ क्रिया ज्यों की
त्यों विद्यमान रही। अत: यह प्रधान उपवाक्य है।
उपवाक्य के भेद
के उदाहरण
1.गांधी जी ने
कहा कि सदा सत्य बोलो। इस वाक्य में- गांधी जी ने कहा – प्रधान उपवाक्य, कि सदा सत्य
बोलो – आश्रित उपवाक्य
2. यह वही
व्यक्ति है जिसकी कल पिटाई की गई थी। इस वाक्य में- यह वही व्यक्ति है -प्रधान उपवाक्य, जिसकी कल पिटाई की गई थी -आश्रित उपवाक्य
3.रोशन जो
मुरलीपुरा में रहता है, मेरा मित्र है। इस वाक्य में- रोशन जो
मुरलीपुरा में रहता है – प्रधान उपवाक्य है।मेरा मित्र है – आश्रित उपवाक्य
है।
4.गौरी अभिमन्यू
की छोटी बहन है, जो मुंबई में पढ़ती है। इस वाक्य में- गौरी
अभिमन्यू की छोटी बहन है – प्रधान उपवाक्य, जो मुंबई में
पढ़ती है- आश्रित उपवाक्य है।
विविध उदाहरण
जिसकी लाठी उसकी
भैंस।
मैंने सुना है
सुरैया ने निकाह कर लिया है।
तुम जिसे चाहे, चुन लो।
जो करेगा, सो भरेगा।
वह कौन सा
व्यक्ति है, जिसने महात्मा गांधी का नाम न सुना हो।
यद्यपि वह गरीब
है तथापि ईमानदार है।
मैंने सुना है
कि नीना पास हो गई है।
चाहे रात बीत
जाए, मुझे गृहकार्य
पूरा करना है।
मैं उस लड़की से
मिला था, जिसकी किताब खो गई थी।
आश्रित उपवाक्य
के भेद
मिश्र वाक्य में
प्रयुक्त होने वाले गौण उपवाक्य तीन प्रकार के होते हैं-
(क) संज्ञा
उपवाक्य- जो उपवाक्य प्रधान वाक्य की किसी संज्ञा या संज्ञा-पदबंध के स्थान पर
प्रयुक्त हुआ हो, उसे संज्ञा उपवाक्य कहते हैं, जैसे-अभिमन्यु
ने कहा कि हम लड़ाई नहीं चाहते। यहाँ ‘हम लड़ाई नहीं चाहते’ यह संज्ञा
उपवाक्य है जो अभिमन्यु ने कहा इस प्रधान उपवाक्य के कर्म के रूप में प्रयुक्त हुआ
है। अत: यह संज्ञा उपवाक्य है।
(ख) विशेषण
उपवाक्य- जो आश्रित उपवाक्य प्रधान उपवाक्य की किसी संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता
बताता है, उसे विशेषण उपवाक्य कहते हैं, जैसे- यह वही आदमी है, जिसने कल मुझे
थप्पड़ मारा था । उपर्युक्त वाक्य में ‘जिसने कल थप्पड़ मारा था’ ऐसा आश्रित
उपवाक्य हैं, जो क्रमशः ‘आदमी’ संज्ञा तथा ‘उसे’ सर्वनाम की
विशेषता बताता है।
अन्य उदाहरण-
‘यह वही लड़का है
जिसने कल चोरी की थी।’ इस वाक्य में विशेषण उपवाक्य है।
‘जहाँ-जहाँ वह
गया उसका बहुत सम्मान हुआ।’
विशेषण उपवाक्य
का प्रारम्भ सर्वनाम ‘जो’ अथवा इसके किसी रूप (यथा- जिसने, जिसे, जहाँ जिससे, जिनके लिए आदि)
से होता है।
(ग) क्रिया
विशेषण उपवाक्य- जिस आश्रित उपवाक्य का प्रयोग क्रिया-विशेषण की
भाँति किया जाता है। अर्थात् उपवाक्य प्रधान, उपवाक्य की
क्रिया की विशेषता बताता है उसे क्रिया-विशेषण उपवाक्य कहते हैं। यदि बोलना नहीं
आता, तो भी बोलने की
कोशिश कीजिए। उपर्युक्त वाक्य में शब्द मुख्य उपवाक्य की क्रिया विशेषताएँ (समय और
शर्त) बता रहे हैं, अत: यह क्रिया-विशेषण उपवाक्य हैं।
इसके पाँच भेद
होते हैं
(i) काल सूचक
उपवाक्य – जब मैं घर पहुँचा, तब वह जा रही थी।
(ii) स्थानवाचक
उपवाक्य- जिधर हम जा रहे हैं, उधर एक शेर है।
(iii) रीतिवाचक
उपवाक्य- बच्चे वैसे ही करते हैं, जैसा वे बड़ों से सीखते हैं।
(iv) परिमाणवाचक
उपवाक्य- जैसे-जैसे गर्मी बढ़ेगी, वैसे-वैसे पसीना आयेगा।
(v) परिणाम अथवा
हेतु सूचक उपवाक्य- वह इसलिए आएगा ताकि आपसे शादी कर सके।
प्रधान उपवाक्य - आश्रित उपवाक्य
(उपवाक्य का
प्रकार)
सुशील ने कहा - कि मैं गाँव नहीं जाऊँगा (संज्ञा उपवाक्य)
वे सफल होते हैं
- जो
परिश्रम करते हैं।
(विशेषण उपवाक्य)
श्याम को गाड़ी
नहीं मिली - क्योंकि वह समय पर नहीं गया। (क्रिया विशेषण
उपवाक्य)
प्रधान उपवाक्य
की पहचान -
प्रधान उपवाक्य
के अधिकत्तर कि, जिससे, जिसे, जिसको, जिसमें, ताकि, जो, जितना, ज्यों-त्यों, चूंकि, क्योंकि, यदि, यद्यपि, जब, जहां, इत्यादि से शुरू
होते हैं।
उपवाक्य के भेद
प्रश्न
1.उपवाक्य कितने प्रकार के होते हैं?
(क) एक (ख) दो
(ग) तीन (घ) चार उत्तर: (ग)
प्रश्न 2 .
क्रिया विशेषण उपवाक्य के कितने भेद है?
(क) पाँच (ख) चार
(ग) तीन (घ) दो
उत्तर: (क)
प्रश्न 3. जब
पानी बरसता है, तब मेंढक बोलते हैं, कौनसा उपवाक्य
है?
(क) संज्ञा
उपवाक्य (ख) विशेषण उपवाक्य (ग)
क्रिया-विशेषण उपवाक्य (घ) विशेषण
उपवाक्य उत्तर: (ग)
प्रश्न 4 .
निम्न में से कौनसा उपवाक्य का भेद नहीं है?
(क) प्रधान
उपवाक्य (मुख्य उपवाक्य) (ख) आश्रित
उपवाक्य (ग) नया उपवाक्य (घ) कोई नहीं
उत्तर: (ग)
प्रश्न 5 . निम्न
में से कौनसा संज्ञा उपवाक्य का भेद है?
(क) यद्यपि वह
गरीब है तथापि ईमानदार है। (ख) वह
विद्यार्थी जो कल अनुपस्थित था, बीमार है।
(ग) वह कौन सा
व्यक्ति है जिसने महात्मा गांधी का नाम न सुना हो। (घ) राम ने कहा कि मैं पढूँगा।
उत्तर: (घ)
प्रश्न 6.
आश्रित उपवाक्य कितने प्रकार के होते हैं?
(क) एक (ख) दो
(ग) तीन (घ) चार
उत्तर: (ग)
प्रश्न 7. वाक्य
का ऐसा भाग जिसका अपना स्वतंत्र अर्थ हो, जिसमें उद्देश्य और विधेय हो वह क्या कहलाता है?
(क)
उपवाक्य (ख) संज्ञा उपवाक्य (ग) विशेषण उपवाक्य (घ) क्रिया-विशेषण उपवाक्य उत्तर: (क)
प्रश्न 8.
उपवाक्य में वाक्य के कितने तत्त्व या अंग होते हैं?
(क) एक (ख) दो
(ग) तीन (घ) चार
उत्तर: (ख)
प्रश्न 9. वाक्य
में जिस व्यक्ति या वस्तु के सम्बन्ध में कुछ कहा जाता है, उसे क्या कहते
हैं?
(क)
उपवाक्य (ख) कर्ता (ग) संज्ञा
(घ) उद्देश्य उत्तर: (घ)
प्रश्न 10. मेरा
छोटा भाई प्रशांत धार्मिक पुस्तकें अधिक पढ़ता है’, इसमें विधेय
क्या है?
(क) मेरा छोटा
भाई (ख) धार्मिक पुस्तकें अधिक’ (ग) प्रशांत
(घ) अधिक पढ़ता है उत्तर: (ख)
प्रश्न 11.
उपवाक्य के कितने प्रकार हैं ?
उपवाक्य तीन
प्रकार के होते हैं– (1) संज्ञा उपवाक्य (2) विशेषण उपवाक्य (3)
क्रिया-विशेषण उपवाक्य
प्रश्न 12.
आश्रित उपवाक्य का तीसरा भेद कौनसा है?
क्रिया विशेषण
उपवाक्य
प्रश्न 13.
मिश्र वाक्य क्या होता है?
मिश्र वाक्य उसे
कहते हैं, जिसमें एक सरल वाक्य के अतिरिक्त उसके अधीन कोई अन्य अंग वाक्य हो।
जैसे- वह कौन-सा
भारतीय है जिसने महात्मा गाँधी का नाम न सुना हो।
प्रश्न 14.
संज्ञा आश्रित उपवाक्य का उदाहरण ?
जैसे-अभिमन्यु
ने कहा कि हम लड़ाई नहीं चाहते। यहाँ ‘हम लड़ाई नहीं चाहते’ यह संज्ञा
उपवाक्य है जो अभिमन्यु ने कहा इस प्रधान उपवाक्य के कर्म के रूप में प्रयुक्त हुआ
है, यह संज्ञा
उपवाक्य के उदाहरण है ।
प्रश्न 15. विशेषण
उपवाक्य किसे कहते हैं ?
जो उपवाक्य किसी
दूसरे उपवाक्य में आए संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता प्रकट करता है, उसे विशेषण
उपवाक्य कहते हैं।
जैसे- ‘वह विद्यार्थी
जो कल अनुपस्थित था, बीमार है।’
(क) वह
विद्यार्थी बीमार है- प्रधान उपवाक्य
(ख) जो कल
अनुपस्थित था – विशेषण उपवाक्य ; ‘विद्यार्थी की
विशेषता बतलाता है।
अन्य प्रश्न
- प्रधान उपवाक्य किसे
कहते है ?
प्रधान उपवाक्य
(मुख्य उपवाक्य)- प्रधान उपवाक्य वह होता है जिसकी क्रिया मुख्य होती है।
- उद्देश्य किसे कहते है ? उदाहरण सहित बताएं ।
वाक्य में जिस
व्यक्ति या वस्तु के सम्बन्ध में कुछ कहा जाता है, उसे उद्देश्य
कहते हैं। जैसे- “छात्रों को अनुशासन प्रिय होना चाहिए।” उक्त वाक्य में
छात्रों को कहा गया है कि उन्हें अनुशासन प्रिय होना चाहिए। अत: ‘छात्रों को’ उद्देश्य है।
- उपवाक्य के कितने भेद
है ?
उपवाक्य के
निम्नलिखित दो भेद होते हैं : 1.प्रधान उपवाक्य (मुख्य उपवाक्य) 2.आश्रित उपवाक्य
- मिश्र वाक्य में
प्रयुक्त होने वाले गौण उपवाक्य तीन प्रकार के होते हैं ?
(क) संज्ञा
उपवाक्य (ख) विशेषण उपवाक्य (ग) क्रिया विशेषण उपवाक्य
- संज्ञा उपवाक्य का
उदाहरण बताइए ?
जैसे- ‘राम ने कहा कि
मैं पढूँगा’ यहाँ ‘मैं पढूँगा’ संज्ञा-उपवाक्य
है।
‘मैं नहीं जानता
कि वह कहाँ है- इस वाक्य में ‘वह कहाँ है’ संज्ञा-उपवाक्य
है।
- उपवाक्य किसे कहते हैं?
उपवाक्य वाक्य
का अंश होता है जिसमें उद्देश्य और विधेय होते हैं। अतः पदों का ऐसा समूह जिसका
अपना अर्थ हो, जो सामान्यतः एक वाक्य का भाग हो तथा जिसमें
उद्देश्य एवं विधेय सम्मिलित हो, उपवाक्य कहलाता है।
- उपवाक्य के कितने भेद
हैं?
उपवाक्य के दो
भेद होते हैं-
1.प्रधान
उपवाक्य (मुख्य उपवाक्य)
2.आश्रित
उपवाक्य
- विशेषण उपवाक्य किसे
कहते हैं?
जो आश्रित
उपवाक्य प्रधान उपवाक्य की किसी संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताता है, उसे विशेषण
उपवाक्य कहते हैं, जैसे- यह वही आदमी है, जिसने कल मुझे
थप्पड़ मारा था । उपर्युक्त वाक्य में ‘जिसने कल थप्पड़ मारा था’ ऐसा आश्रित
उपवाक्य हैं, जो क्रमशः ‘आदमी’ संज्ञा तथा ‘उसे’ सर्वनाम की
विशेषता बताता है।
पदबन्ध और
उपवाक्य में अन्तर है-
उपवाक्य (Clause) भी पदबन्ध (Phrase) की तरह पदों का
समूह है, लेकिन इससे केवल आंशिक भाव प्रकट होता है, पूरा नहीं।
पदबन्ध में क्रिया नहीं होती, उपवाक्य में क्रिया रहती है; जैसे-'ज्योंही वह आया, त्योंही मैं चला
गया।' यहाँ 'ज्योंही वह आया' एक उपवाक्य है, जिससे पूर्ण
अर्थ की प्रतीति नहीं होती।
वाक्य रचना की
अशुद्धियाँ
वाक्य – रचना संबंधी
अशुद्धियाँ प्रायः तीन प्रकार की होती हैं –
1. अन्विति
संबंधी 2. पदक्रम
संबंधी 3. वाच्य संबंधी
अन्विति के नियम - अन्वय या अन्विति का अर्थ
है—’मेल’। वाक्य के विभिन्न पदों के
लिंग, वचन, पुरुष की क्रिया के साथ
अनुरूपता को अन्वय कहते हैं। हिन्दी में अन्वय के नियम इस प्रकार हैं –
(क)
कर्ता-क्रिया –
1. विभक्ति रहित कर्त्ता वाले
वाक्य की क्रिया सदा कर्ता के अनुसार होती है। यदि कर्त्ता के साथ ‘ने’ विभक्ति जुड़ी हो तो सकर्मक
क्रिया कर्म के लिंग-वचन के अनुसार होती है। जैसे – लड़की पुस्तक पढ़ती है।
(कर्ता के अनुसार) लड़का पुस्तक पढ़ता है (कर्ता के अनुसार)
लडके ने पुस्तक पढ़ी। (कर्म
के अनुसार)
2. कर्ता और कर्म दोनों विभक्ति
सहित हों तो क्रिया पुंल्लिग एकवचन में होती है। जैसे—प्रधानाचार्य ने अध्यापिका
को बुलाया।
3. समान लिंग के विभक्ति रहित
अनेक कर्त्तापद और से जुड़ें हों तो क्रिया उसी लिंग में बहुवचन में होती है ।
जैसे—गीता, चित्रा और मधु आएँगी ।
4. या से जुड़े विभक्ति रहित
कर्ता पदों की क्रिया अंतिम कर्ता के अनुसार होती है। जैसे- भाई या बहन आएगी।
5. विभिन्न लिंगों के अनेक
कर्त्ता यदि ‘और’ से जुड़े हों तो क्रिया
पुंल्लिंग बहुवचन में होती है। जैसे — गणतंत्र दिवस परेड को लाखों बालक, वृद्ध, नर और नारी देख रहे थे।
6. यदि कर्ता भिन्न-भिन्न
पुरुषों के हों तो उनका क्रम होगा—पहले मध्यम पुरुष, फिर अन्य पुरुष और अंत में
उत्तम पुरुष। क्रिया अन्तिम कर्त्ता के लिंग के अनुसार बहुवचन में होगी। जैसे—तुम, रीता और मैं सिनेमा देखने
चलेंगें।
7.कर्ता का लिंग अज्ञात हो तो
क्रिया पुंल्लिग में होगी । जैसे—देखो, कौन आया है ?
8. आदर देने के लिए एकवचन
कर्त्ता के साथ क्रिया बहुवचन में प्रयुक्त होती है। जैसे—मुख्यमंत्री भाषण दे रहे
हैं।
9. सम्बन्ध कारक का लिंग उसके
सम्बन्धी के लिंग के अनुसार होता है यदि ये रूप भिन्न-भिन्न लोगों के हों तथा और
से जुड़े हों तो संज्ञा-सर्वनाम का सम्बन्ध कारक का लिंग प्रथम सम्बन्धी के अनुसार
होगा।
जैसे—मेरे भाई-बहन पढ़ रहे है।
(ख) विशेष्य और
विशेषण की अन्विति —
1. विशेषण का लिंग-वचन अपने
विशेष्य के अनुसार होता है । जैसे—यहाँ उदार और परिश्रमी लोग रहते हैं।
2. यदि एक से अधिक विशेष्य हों
तब भी उपर्युक्त नियम का ही पालन होता है। जैसे-वह आसमान में उड़ती चिड़ियों को
देखती रही।
(ग) सर्वनाम और
संज्ञा की अन्विति–
1.सर्वनाम उसी संज्ञा के
लिंग-वचन का अनुसरण करता है जिसके स्थान पर आया है। जैसे—मैंने मंजू को देखा, वह आ रही थी।
2. आदर के लिए बहुवचन सर्वनाम
का प्रयोग होता है—मामाजी आए हैं। वे एक सप्ताह
रुकेंगे ।
3. वर्ग का प्रतिनिधि अपने लिए ‘मैं’ के स्थान पर ‘हम’ का प्रयोग करता है मन्त्री
ने कहा, हमें अपने देश से गरीबी दूर करना है।
पदक्रम - किसी वाक्य के सार्थक
शब्दों को यथास्थान रखने की क्रिया को ‘पदक्रम’ कहते हैं। इसके कुछ सामान्य नियम इस प्रकार हैं –
1. हिन्दी वाक्य के आरम्भ में
कर्ता, मध्य में कर्म और अन्त में
क्रिया होना चाहिए। जैसे- मोहन ने भोजन किया । यहाँ कर्त्ता ‘मोहन’, कर्म ‘भोजन’ . और अन्त में क्रिया ‘किया’ है।
2.उद्देश्य या कर्ता के
विस्तार को कर्ता के पहले और विधेय या क्रिया के विस्तार को विधेय के पहले रखना
चाहिए। जैसे — अच्छे लड़के धीरे-धीरे पढ़ते हैं।
3. कर्ता और कर्म के बीच अधिकरण, अपादान, सम्प्रदान और करण कारक क्रमशः
आते हैं। जैसे—मुरारि ने घर में (अधिकरण)
आलमारी से (अपादान) श्याम के लिए (सम्प्रदान) हाथ से (करण) पुस्तक निकाली।
4. सम्बोधन आरम्भ में आता है।
जैसे— हे प्रभु, मुझपर दया करें।
5. विशेषण विशेष्य या संज्ञा के
पहले आता है । जैसे—मेरी लाल टोपी कहीं खो गयी।
अन्विति संबंधी
अशुद्धियाँ —
अशुद्ध – रोगी ने प्राण त्याग दिया।
शुद्ध –रोगी ने प्राण त्याग दिए ।
पदक्रम की
अशुद्धियाँ—
अशद्ध – सावित्री जो सत्यवान की
पत्नी थी, वह एक पतिव्रता नारी थी।
शद्ध – सत्यवान की पत्नी सावित्री
एक पतिव्रता नारी थी।
वाच्य की
अशुद्धियाँ—
अशुद्ध — प्रस्तुत पंक्तियाँ
सरोज-स्मृति से ली है।
शुद्ध – प्रस्तुत पंक्तियाँ
सरोज-स्मृति से ली गई हैं।
संज्ञा, सर्वनाम और क्रिया
के अशुद्ध प्रयोग
अशुद्ध – उसने बम्बई जाना है।
शुद्ध – उसे बम्बई जाना है।
बहुवैकल्पिक
प्रश्नोत्तर
1. निम्नलिखित में
कौन-सा वाक्य शुद्ध है ?
(A) श्रीकृष्ण के अनेकों नाम
हैं। (B) हमारी सौभाग्यवती कन्या का
विवाह होने जा रहा है।
(C) मेरा नाम श्री कमल किशोर जी
है। (D) मैं गाने का अभ्यास कर रहा
हूँ।
उत्तर⇒(D) मैं गाने का
अभ्यास कर रहा हूँ।
2. निम्नलिखित में
कौन-सा वाक्य शुद्ध है ?
(A) बन्दूक एक
बहुत ही उपयोगी अस्त्र है। (B) उसने एक फूल
की माला बनायी।
(C) मैं गाने की
कसरत कर रहा हूँ। (D) कई रेलवे के
कर्मचारियों की छंटनी हुई
उत्तर⇒(A) बन्दूक एक बहुत
ही उपयोगी अस्त्र है।
3. निम्नलिखित में
कौन-सा वाक्य शुद्ध है ?
(A) हम तो अवश्य ही
जायेंगे। (B) थोड़ी देर बाद वे लौट आये।
(C) छात्रों ने शिक्षामंत्री को
अभिनन्दन-पत्र प्रदान किया। (D) लड़का मिठाई लेकर भागता हुआ
घर आया।
उत्तर⇒(B) थोड़ी देर बाद वे
लौट आये।
4. निम्नलिखित में
कौन-सा वाक्य शुद्ध है ?
(A) हमारे यहाँ नवयुवकों की
शिक्षा का अच्छा प्रबंध है। (B) इस समय आपकी आयु चालीस वर्ष
की है।
(C) बाघ और बकरी एक घाट पर पानी
पीती है। (D) हमारी सौभाग्यवती कन्या का
विवाह होने जा रहा है।
उत्तर⇒(A) हमारे यहाँ
नवयुवकों की शिक्षा का अच्छा प्रबंध है।
5. निम्नलिखित में
कौन-सा वाक्य अशुद्ध है ?
(A) इस समय आपकी अवस्था चालीस
वर्ष है। (B) हमारे शिक्षक प्रश्न पूछते
हैं ।
(C) मुझसे यह काम संभव
नहीं। (D) उसने मुक्तहस्त धन लुटाया ।
उत्तर⇒(B) हमारे शिक्षक
प्रश्न पूछते हैं
6. निम्नलिखित में
कौन-सा वाक्य अशुद्ध है ?
(A) मेरे शिक्षक प्रश्न करते
हैं। (B) मैं आपके दर्शन को आया हूँ।
(C) मेरा, नाम कमल किशोर है। (D) शोक है आपने मेरे पत्रों का कोई उत्तर नहीं दिया।
उत्तर⇒(D) शोक है आपने मेरे
पत्रों का कोई उत्तर नहीं दिया।
7.निम्नलिखित में
कौन-सा वाक्य शुद्ध है ?
(A) आजकल तबीयत अच्छी नहीं रहती
है। (B) आज आपका दर्शन हुआ।
(C) आपको अनेकों बार चेतावनी
। (D) गाय काला है, पर दूध मीठी है।
उत्तर⇒(A) आजकल तबीयत अच्छी
नहीं रहती है।
8. निम्नलिखित में
कौन-सा वाक्य शुद्ध है ?
(A) रावण का प्रलयी हुंकार सुनकर
बन्दर सब डर गए। (B) राजू दण्ड देने के योग्य है।
(C) रेडियो से यह समाचार कहा
गया। (D) गाय काली है, पर दूध मीठा है।
उत्तर⇒(D) गाय काली है, पर दूध मीठा है।
9. निम्नलिखित में
कौन-सा वाक्य शुद्ध है ?
(A) राधा चरखा कातती है। (B) रेडियो से यह समाचार
प्रसारित हुआ।
(C) एक-एक करके सभी मर गए । (D) जबरदस्ती से आप जो चाहे कराएँ ।
उत्तर⇒(B) रेडियो से यह
समाचार प्रसारित हुआ।
10. निम्नलिखित में
कौन-सा वाक्य अशुद्ध है ?
(A) रावण का प्रलयंकर हुंकार
सुनकर बन्दर डर गए। (B) राजू दण्डनीय है।
(C) मोहन अब आयोग्य हो गया
है। (D) एक-एक कर सभी मर गए।
उत्तर⇒(C) मोहन अब आयोग्य
हो गया है।
11. निम्नलिखित में
कौन-सा वाक्य अशुद्ध है ?
(A) राधा चरखा चलाती है। (B) राम ने मुक्तहस्त से दान दिया।
(C) श्यामा ने मुझसे कही । (D) आपके बाद फिर वह आया।
उत्तर⇒(D) आपके बाद फिर वह
आया।
12. निम्नलिखित में
कौन-सा वाक्य अशुद्ध है ?
(A) राम ने मुक्तहस्त दान दिया। (B) मोहन अब निरोग हो गया ।
(C) श्यामा ने मुझसे कहा । (D) आप कुशलतापूर्वक ही होंगे।
उत्तर⇒(D) आप कुशलतापूर्वक
ही होंगे।
13. निम्नलिखित में
कौन-सा वाक्य शुद्ध है ?
(A) निम्न वाक्यों पर ध्यान
दो। (B) आपके बाद वह आया ।
(C) उसे मृत्युदंड की सजा दी
गई। (D) आपने अपनी कविता स्वयं पढ़कर
सुनाई।
उत्तर⇒(B) आपके बाद वह आया
।
14. निम्नलिखित में
कौन-सा वाक्य अशुद्ध है ?
(A) पूज्यवर पिताजी को चरण में
सादर प्रणाम । (B) निम्नांकित वाक्यों पर ध्यान दो ।
(C) उसे मृत्युदंड दी गई। (D) आपने अपनी कविता सुनाई।
उत्तर⇒(A) पूज्यवर पिताजी
को चरण में सादर प्रणाम ।
15. निम्नलिखित में
कौन-सा वाक्य शुद्ध है ?
(A) शिक्षक लड़के चुनेंगे। (B) शब्द तो केवल संकेत मात्र
है।
(C) राम थोड़ी देर बाद ही वापस
लौट आया। (D) आप कुशलपूर्वक ही होंगे।
उत्तर⇒(D) आप कुशलपूर्वक ही
होंगे।
16. निम्नलिखित में
कौन-सा वाक्य अशुद्ध है ?
(A) शिक्षक लड़का चुनेंगे। (B) शब्द तो केवल संकेत हैं।
(C) यह कहना आपकी भूल थी। (D) राम थोड़ी देर बाद ही लौट
आया।
उत्तर⇒(C) यह कहना आपकी भूल
थी।
17. निम्नलिखित में
कौन-सा वाक्य शुद्ध है ?
(A) यह कहना मेरी गलती थी। (B) तमाम देश भर में खुशियाली छा
गई।
(C) धन ही झगड़ा का कारण
बना। (D) वास्तव में वह बड़ा आदमी है।
उत्तर⇒(A) यह कहना मेरी
गलती थी।
18. निम्नलिखित में
कौन-सा वाक्य अशुद्ध है ?
(A) देशभर खुशियाली छा गई। (B) धन ही विवाद का कारण बना।
(C) मैंने एक नाग को मारा । (D) वह बड़ा आदमी है।
उत्तर⇒(C) मैंने एक नाग को
मारा ।
19. निम्नलिखित में
कौन-सा वाक्य शुद्ध है ?
(A) जल्द से यह काम करना
है। (B) लड़की बोली कि मैं घर
जाऊँगी।
(C) लड़की कहिस की मैं घर
जाउँगी। (D) तलवार बहादुरों लोगों का अस्त्र है।
उत्तर⇒(B) लड़की बोली कि
मैं घर जाऊँगी।
20. नीचे लिखे गए वाक्यों
में कौन-सा वाक्य शुद्ध नहीं है ?
(A) रामचरितमानस के रचयिता
तुलसीदास हैं। (B) यहाँ की जलवायु मेरे अनुकूल है।
(C) में सकुशलपूर्वक घर पहुँच
गया। (D) जगदेव के लड़की हुई है।
उत्तर⇒(C) में सकुशलपूर्वक
घर पहुँच गया।
21. नीचे लिखे गए
वाक्यों में कौन-सा वाक्य शुद्ध है ?
(A) सबलोग सब राय दें। (B) आपने मुझपर संदेह किया।
(C) यहाँ नहीं आओ। (D) तुम तुम्हारा काम करो।
उत्तर⇒(B) आपने मुझपर संदेह
किया।
22. नीचे लिखे गए वाक्यों में कौन-सा वाक्य शुद्ध है ?
(A) सबों ने मेरी बात मान
लिया। (B) सबों को मैंने अपनी बात मनवा
ली।
(C) सबने मेरी बात मान ली। (D) सबको मैं अपनी बात मानने पर विवश कर कर दी।
उत्तर⇒(C) सबने मेरी बात
मान ली।
23. नीचे लिखे गए
वाक्यों में कौन-सा वाक्य शुद्ध नहीं है ?
(A) उसका प्राण सूख गया । (B) उसके प्राण सूख गये।
(C) यहाँ मत लिखो (D) गुफा में बहुत अँधेरा है।
उत्तर⇒(B) उसके प्राण सूख
गये।
वाक्य-विग्रह (Analysis)
परिभाषा - वाक्य के
विभिन्न अंगों को अलग-अलग किये जाने की प्रक्रिया को वाक्य-विग्रह कहते हैं। इसे 'वाक्य-विभाजन' या 'वाक्य-विश्लेषण' भी कहा जाता
है।
सरल वाक्य का
विग्रह करने पर एक उद्देश्य और एक विद्येय बनते है। संयुक्त वाक्य में से योजक को
हटाने पर दो स्वतंत्र उपवाक्य (यानी दो सरल वाक्य) बनते हैं। मिश्र वाक्य में से
योजक को हटाने पर दो अपूर्ण उपवाक्य बनते है।
सरल वाक्य= 1 उद्देश्य + 1 विद्येय
संयुक्त वाक्य=
सरल वाक्य + सरल वाक्य
मिश्र वाक्य=
प्रधान उपवाक्य + आश्रित उपवाक्य
वाक्यों का रूपान्तरण
परिभाषा - किसी वाक्य में अर्थ परिवर्तन किए
बिना उसकी संचरना में परिवर्तन की प्रक्रिया वाक्यों का रूपान्तरण कहलाती है। एक
प्रकार के वाक्य को दूसरे प्रकार के वाक्यों में बदलना वाक्य परिवर्तन या वाक्य
रचनान्तरण कहलाता है।
अर्थ में परिवर्तन लाए बिना वाक्य की रचना में
परिवर्तन किया जा सकता है। सरल वाक्यों से संयुक्त अथवा मिश्र वाक्य बनाए जा सकते
हैं। इसी प्रकार संयुक्त अथवा मिश्र वाक्यों को सरल वाक्यों में बदला जा सकता है।
ध्यान रखिए कि इस परिवर्तन के कारण कुछ शब्द, योजक चिह्न या
संबंधबोधक लगाने या हटाने पड़ सकते हैं।
वाक्य परिवर्तन की प्रक्रिया में इस बात का
विशेष ध्यान रखना चाहिए कि वाक्य का केवल प्रकार बदला जाए, उसका अर्थ या
काल आदि नहीं।
वाक्य परिवर्तन करते समय ध्यान रखने योग्य
बातें
वाक्य परिवर्तन करते समय निम्नलिखित बातें
ध्यान रखनी चाहिए।
(i) केवल वाक्य
रचना बदलनी चाहिए, अर्थ नहीं।
(ii) सरल वाक्यों
को मिश्र या संयुक्त वाक्य बनाते समय कुछ शब्द या सम्बन्धबोधक अव्यय अथवा योजक आदि
से जोड़ना। जैसे- क्योंकि, कि, और, इसलिए, तब आदि।
(iii)
संयुक्त/मिश्र वाक्यों को सरल वाक्यों में बदलते समय योजक शब्दों या सम्बन्धबोधक
अव्ययों का लोप करना।
सरल वाक्य से
संयुक्त वाक्य में परिवर्तन
(1) सरल वाक्य- अस्वस्थ रहने
के कारण वह परीक्षा में सफल न हो सका।
संयुक्त
वाक्य- वह अस्वस्थ था और इसलिए परीक्षा में सफल न हो
सका।
(2) सरल वाक्य- सूर्योदय होने
पर कुहासा जाता रहा।
संयुक्त
वाक्य- सूर्योदय हुआ और कुहासा जाता रहा।
(3) सरल वाक्य- गरीब को लूटने
के अतिरिक्त उसने उसकी हत्या भी कर दी।
संयुक्त
वाक्य- उसने न केवल गरीब को लूटा, बल्कि उसकी
हत्या भी कर दी।
(4) सरल वाक्य- पैसा साध्य न
होकर साधन है।
संयुक्त
वाक्य- पैसा साध्य नहीं है, किन्तु साधन
है।
(5) सरल वाक्य- अपने गुणों के
कारण उसका सब जगह आदर-सत्कार होता है।
संयुक्त
वाक्य- उसमें गुण थे इसलिए उसका सब जगह आदर-सत्कार
होता था।
(6) सरल वाक्य- दोनों में से कोई
काम पूरा नहीं हुआ।
संयुक्त
वाक्य- न एक काम पूरा
हुआ न दूसरा।
(7) सरल वाक्य- पंगु होने के
कारण वह घोड़े पर नहीं चढ़ सकता।
संयुक्त
वाक्य- वह पंगु है इसलिए घोड़े पर नहीं चढ़ सकता।
(8) सरल वाक्य- परिश्रम करके
सफलता प्राप्त करो।
संयुक्त
वाक्य- परिश्रम करो और सफलता प्राप्त करो।
(9) सरल वाक्य- रमेश दण्ड के
भय से झूठ बोलता रहा।
संयुक्त
वाक्य- रमेश को दण्ड
का भय था, इसलिए वह झूठ बोलता रहा।
(10) सरल वाक्य- वह खाना खाकर
सो गया।
संयुक्त
वाक्य- उसने खाना खाया और सो गया।
(11) सरल वाक्य- उसने गलत काम
करके अपयश कमाया।
संयुक्त
वाक्य- उसने गलत काम किया और अपयश कमाया।
संयुक्त वाक्य
से सरल वाक्य में परिवर्तन
(1) संयुक्त
वाक्य- सूर्योदय हुआ और कुहासा जाता रहा।
सरल वाक्य- सूर्योदय होने
पर कुहासा जाता रहा।
(2) संयुक्त
वाक्य- जल्दी चलो, नहीं तो पकड़े
जाओगे।
सरल वाक्य- जल्दी न चलने
पर पकड़े जाओगे।
(3) संयुक्त
वाक्य- वह धनी है पर लोग ऐसा नहीं समझते।
सरल वाक्य- लोग उसे धनी
नहीं समझते।
(4) संयुक्त
वाक्य- वह अमीर है फिर भी सुखी नहीं है।
सरल वाक्य- वह अमीर होने
पर भी सुखी नहीं है।
(5) संयुक्त
वाक्य- बाँस और बाँसुरी दोनों नहीं रहेंगे।
सरल वाक्य- न रहेगा बाँस
न बजेगी बाँसुरी।
(6) संयुक्त
वाक्य- राजकुमार ने भाई को मार डाला और स्वयं राजा बन
गया।
सरल वाक्य- भाई को मारकर
राजकुमार राजा बन गया।
सरल वाक्य से
मिश्र वाक्य में परिवर्तन
(1) सरल वाक्य- उसने अपने
मित्र का पुस्तकालय खरीदा।
मिश्र वाक्य- उसने उस
पुस्तकालय को खरीदा, जो उसके मित्र का था।
(2) सरल वाक्य- अच्छे लड़के
परिश्रमी होते हैं।
मिश्र वाक्य- जो लड़के अच्छे
होते है, वे परिश्रमी होते हैं।
(3) सरल वाक्य- लोकप्रिय कवि
का सम्मान सभी करते हैं।
मिश्र वाक्य- जो कवि
लोकप्रिय होता है, उसका सम्मान सभी करते हैं।
(4) सरल वाक्य- लड़के ने अपना
दोष मान लिया।
मिश्र वाक्य- लड़के ने माना
कि दोष उसका है।
(5) सरल वाक्य- राम मुझसे घर
आने को कहता है।
मिश्र वाक्य- राम मुझसे
कहता है कि मेरे घर आओ।
(6) सरल वाक्य- मैं तुम्हारे
साथ खेलना चाहता हूँ।
मिश्र वाक्य- मैं चाहता हूँ
कि तुम्हारे साथ खेलूँ।
(7) सरल वाक्य- आप अपनी
समस्या बताएँ।
मिश्र वाक्य- आप बताएँ कि
आपकी समस्या क्या है ?
(8) सरल वाक्य- मुझे पुरस्कार
मिलने की आशा है।
मिश्र वाक्य- आशा है कि
मुझे पुरस्कार मिलेगा।
(9) सरल वाक्य- महेश सेना में
भर्ती होने योग्य नहीं है।
मिश्र वाक्य- महेश इस योग्य
नहीं है कि सेना में भर्ती हो सके।
(10) सरल वाक्य- राम के आने पर
मोहन जाएगा।
मिश्र वाक्य- जब राम जाएगा
तब मोहन आएगा।
(11) सरल वाक्य- मेरे बैठने की
जगह कहाँ है ?
मिश्र वाक्य- वह जगह कहाँ
है जहाँ मैं बैठूँ ?
(12) सरल वाक्य- मैं तुम्हारे
साथ व्यापार करना चाहता हूँ।
मिश्र वाक्य- मैं चाहता हूँ
कि तुम्हारे साथ व्यापार करूँ।
मिश्र वाक्य
से सरल वाक्य में परिवर्तन
(1) मिश्र वाक्य- उसने कहा कि
मैं निर्दोष हूँ।
सरल वाक्य- उसने अपने को
निर्दोष घोषित किया।
(2) मिश्र वाक्य- मुझे बताओ कि
तुम्हारा जन्म कब और कहाँ हुआ था।
सरल वाक्य- तुम मुझे अपने
जन्म का समय और स्थान बताओ।
(3) मिश्र वाक्य- जो छात्र
परिश्रम करेंगे, उन्हें सफलता अवश्य मिलेगी।
सरल वाक्य- परिश्रमी
छात्र अवश्य सफल होंगे।
(4) मिश्र वाक्य- ज्यों ही मैं
वहाँ पहुँचा त्यों ही घण्टा बजा।
सरल वाक्य- मेरे वहाँ
पहुँचते ही घण्टा बजा।
(5) मिश्र वाक्य- यदि पानी न
बरसा तो सूखा पड़ जाएगा।
सरल वाक्य- पानी न बरसने
पर सूखा पड़ जाएगा।
(6) मिश्र वाक्य- उसने कहा कि
मैं निर्दोष हूँ।
सरल वाक्य- उसने अपने को
निर्दोष बताया।
(7) मिश्र वाक्य- यह निश्चित
नहीं है कि वह कब आएगा?
सरल वाक्य- उसके आने का
समय निश्चित नहीं है।
(8) मिश्र वाक्य- जब तुम लौटकर
आओगे तब मैं जाऊँगा।
सरल वाक्य- तुम्हारे
लौटकर आने पर मैं जाऊँगा।
(9) मिश्र वाक्य- जहाँ राम रहता
है वहीं श्याम भी रहता है।
सरल वाक्य- राम और श्याम
साथ ही रहते हैं।
(10) मिश्र वाक्य- आशा है कि वह
साफ बच जाएगा।
सरल वाक्य- उसके साफ बच
जाने की आशा है।
संयुक्त वाक्य
से मिश्र वाक्य में परिवर्तन
(1) संयुक्त
वाक्य- सूर्य निकला और कमल खिल गए।
मिश्र वाक्य- जब सूर्य
निकला, तो कमल खिल
गए।
(2) संयुक्त
वाक्य- छुट्टी की घंटी बजी और सब छात्र भाग गए।
मिश्र वाक्य- जब छुट्टी की
घंटी बजी, तब सब छात्र भाग गए।
(3) संयुक्त
वाक्य- काम पूरा कर डालो नहीं तो जुर्माना होगा।
मिश्र वाक्य- यदि काम पूरा
नहीं करोगे तो जुर्माना होगा।
(4) संयुक्त
वाक्य- इस समय सर्दी है इसलिए कोट पहन लो।
मिश्र वाक्य- क्योंकि इस
समय सर्दी है, इसलिए कोट पहन लो।
(5) संयुक्त
वाक्य- वह मरणासन्न था, इसलिए मैंने
उसे क्षमा कर दिया।
मिश्र वाक्य- मैंने उसे
क्षमा कर दिया, क्योंकि वह मरणासन्न था।
(6) संयुक्त
वाक्य- वक्त निकल जाता है पर बात याद रहती है।
मिश्र वाक्य- भले ही वक्त
निकल जाता है, फिर भी बात याद रहती है।
(7) संयुक्त
वाक्य- जल्दी तैयार हो जाओ, नहीं तो बस
चली जाएगी।
मिश्र वाक्य- यदि जल्दी
तैयार नहीं होओगे तो बस चली जाएगी।
(8) संयुक्त
वाक्य- इसकी तलाशी लो और घड़ी मिल जाएगी।
मिश्र वाक्य- यदि इसकी
तलाशी लोगे तो घड़ी मिल जाएगी।
(9) संयुक्त
वाक्य- सुरेश या तो स्वयं आएगा या तार भेजेगा।
मिश्र वाक्य- यदि सुरेश
स्वयं न आया तो तार भेजेगा।
मिश्र वाक्य
से संयुक्त वाक्य में परिवर्तन
(1) मिश्र वाक्य- वह उस स्कूल
में पढ़ा जो उसके गाँव के निकट था।
संयुक्त
वाक्य- वह स्कूल में पढ़ा और वह स्कूल उसके गाँव के
निकट था।
(2) मिश्र वाक्य- मुझे वह
पुस्तक मिल गई है जो खो गई थी।
संयुक्त
वाक्य- वह पुस्तक खो गई थी परन्तु मुझे मिल गई है।
(3) मिश्र वाक्य- जैसे ही उसे
तार मिला वह घर से चल पड़ा।
संयुक्त
वाक्य- उसे तार मिला और वह तुरन्त घर से चल पड़ा।
(4) मिश्र वाक्य- काम समाप्त हो
जाए तो जा सकते हो।
संयुक्त
वाक्य- काम समाप्त करो और जाओ।
(5) मिश्र वाक्य- मुझे विश्वास
है कि दोष तुम्हारा है।
संयुक्त
वाक्य- दोष तुम्हारा है और इसका मुझे विश्वास है।
(6) मिश्र वाक्य- आश्चर्य है कि
वह हार गया।
संयुक्त
वाक्य- वह हार गया परन्तु यह आश्चर्य है।
(7) मिश्र वाक्य- जैसा बोओगे
वैसा काटोगे।
संयुक्त
वाक्य- जो जैसा बोएगा वैसा ही काटेगा।
कर्तृवाचक से
कर्मवाचक वाक्य में परिवर्तन
(1) कर्तृवाचक
वाक्य- लड़का रोटी
खाता है।
कर्मवाचक
वाक्य- लड़के से रोटी खाई जाती है।
(2) कर्तृवाचक
वाक्य- तुम व्याकरण पढ़ाते हो।
कर्मवाचक
वाक्य- तुमसे व्याकरण पढ़ाया जाता है।
(3) कर्तृवाचक
वाक्य- मोहन गीत गाता
है।
कर्मवाचक
वाक्य- मोहन से गीत गाया जाता है।
अर्थ की
दृष्टि से वाक्य में परिवर्तन
अर्थ की दृष्टि से वाक्य के आठ भेद हम पढ़ चुके
हैं। उनका भी रूपान्तरण हो सकता है। एक वाक्य का उदाहरण देखिए-
विधानवाचक- अनुपमा पुस्तक
पढ़ेगी।
निषेधवाचक- अनुपमा पुस्तक
नहीं पढ़ेगी।
प्रश्नवाचक- क्या अनुपमा
पुस्तक पढ़ेगी ?
विस्मयवाचक- अरे! अनुपमा
पुस्तक पढ़ेगी।
आज्ञावाचक- अनुपमा, पुस्तक पढ़ो।
इच्छावाचक- अनुपमा पुस्तक
पढ़ती होगी।
संकेतवाचक- अनुपमा पुस्तक
पढ़े तो ......
विधिवाचक से
निषेधवाचक वाक्य में परिवर्तन
(1) विधिवाचक
वाक्य- वह मुझसे बड़ा है।
निषेधवाचक- मैं उससे बड़ा
नहीं हूँ।
(2) विधिवाचक
वाक्य- अपने देश के लिए हरएक भारतीय अपनी जान देगा।
निषेधवाचक
वाक्य- अपने देश के लिए कौन भारतीय अपनी जान न देगा ?
विधानवाचक
वाक्य से निषेधवाचक वाक्य में परिवर्तन
(1) विधानवाचक
वाक्य- यह प्रस्ताव सभी को मान्य है।
निषेधवाचक- इस प्रस्ताव
के विरोधाभास में कोई नहीं है।
(2) विधानवाचक
वाक्य- तुम असफल हो जाओगे।
निषेधवाचक- तुम सफल नहीं
हो पाओगे।
(3) विधानवाचक
वाक्य- शेरशाह सूरी एक बहादुर बादशाह था।
निषेधवाचक- शेरशाह सूरी
से बहादुर कोई बादशाह नहीं था।
(4) विधानवाचक
वाक्य- रमेश सुरेश से बड़ा है।
निषेधवाचक- रमेश सुरेश से
छोटा नहीं है।
(5) विधानवाचक
वाक्य- शेर गुफा के अन्दर रहता है।
निषेधवाचक- शेर गुफा के बाहर
नहीं रहता है।
(6) विधानवाचक
वाक्य- मुझे सन्देह हुआ कि यह पत्र आपने लिखा।
निषेधवाचक- मुझे विश्वास
नहीं हुआ कि यह पत्र आपने लिखा।
(7) विधानवाचक
वाक्य- मुगल शासकों में अकबर श्रेष्ठा था।
निषेधवाचक- मुगल शासकों
में अकबर से बढ़कर कोई नहीं था।
निश्चयवाचक वाक्य
से प्रश्नवाचक वाक्य में परिवर्तन
(1) निश्चयवाचक- आपका भाई यहाँ
नहीं हैं।
प्रश्नवाचक- आपका भाई कहाँ
है ?
(2) निश्चयवाचक- किसी पर भरोसा
नहीं किया जा सकता है।
प्रश्नवाचक- किस पर भरोसा
किया जाए ?
(3) निश्चयवाचक- गाँधीजी का
नाम सबने सुन रखा है।
प्रश्नवाचक- गाँधीजी का
नाम किसने नहीं सुना?
(4) निश्चयवाचक- तुम्हारी
पुस्तक मेरे पास नहीं हैं।
प्रश्नवाचक- तुम्हारी
पुस्तक मेरे पास कहाँ है?
(5) निश्चयवाचक- तुम किसी न
किसी तरह उत्तीर्ण हो गए।
प्रश्नवाचक- तुम कैसे
उत्तीर्ण हो गए?
(6) निश्चयवाचक- अब तुम बिल्कुल
स्वस्थ हो गए हो।
प्रश्नवाचक- क्या तुम अब
बिल्कुल स्वस्थ हो गए हो?
(7) निश्चयवाचक- यह एक
अनुकरणीय उदाहरण है।
प्रश्नवाचक- क्या यह
अनुकरणीय उदाहरण नहीं हैं?
विस्मयादिबोधक
वाक्य से विधानवाचक वाक्य में परिवर्तन
(1)
विस्मयादिबोधक- वाह! कितना सुन्दर नगर है!
विधानवाचक
वाक्य- बहुत ही सुन्दर नगर है!
(2) विस्मयादिबोधक- काश! मैं जवान
होता।
विधानवाचक
वाक्य- मैं चाहता हूँ कि मैं जवान होता।
(3) विस्मयादिबोधक- अरे! तुम फेल
हो गए।
विधानवाचक
वाक्य- मुझे तुम्हारे फेल होने से आश्चर्य हो रहा है।
(4) विस्मयादिबोधक- ओ हो! तुम खूब
आए।
विधानवाचक
वाक्य- मुझे तुम्हारे आगमन से अपार ख़ुशी है।
(5) विस्मयादिबोधक- कितना क्रूर!
विधानवाचक
वाक्य- वह अत्यन्त क्रूर है।
(6) विस्मयादिबोधक- क्या! मैं भूल
कर रहा हूँ!
विधानवाचक
वाक्य- मैं तो भूल नहीं कर रहा।
(7) विस्मयादिबोधक- हाँ हाँ! सब
ठीक है।
विधानवाचक
वाक्य- मैं अपनी बात का अनुमोदन करता हूँ।
Comments
Post a Comment