11.2 पत्र लेखन Patr Lekhan- Vigyapan

 11.2 पत्र लेखन Patr Lekhan- Vigyapan


4. विज्ञापन

विज्ञापन का अर्थ है जानकारी देना, सूचित करना। सरकारी अथवा कार्यालयी स्तर पर समय-समय पर समाचार-पत्रों में विज्ञापन प्रकाशित होते रहते हैं। ये विज्ञापन आम जन के हित में उन्हें सूचित करने के लिए भी हो सकते हैं, किसी जानकारी से अवगत कराने के लिए भी हो सकते हैं।

 

विज्ञापन सम्बन्धी पत्रों के नमूने इस प्रकार हैं-

 

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बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना

 

महिलाओं एवं बाल विकास मन्त्रालय, स्वास्थ्य मन्त्रालय और परिवार कल्याण मन्त्रालय एवं मानव संसाधन विकास की एक संयुक्त पहल के रूप में बालिकाओं को संरक्षण और सशक्त करने के लिए बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना की शुरुआत की गई है।

 

योजना के उद्देश्य

 

(i) पक्षपाती लिंग चुनाव की प्रक्रिया का उन्मूलन एवं बालिकाओं का अस्तित्व और सुरक्षा सुनिश्चित करना।

(ii) बालिकाओं की शिक्षा सुनिश्चित करना।

(iii) सुकन्या समृद्धि योजना बेटी बचाओं-बेटी पढ़ाओं के अन्तर्गत दी जाने वाली यह सबसे महत्त्वपूर्ण योजना है।

(iv) यह एक बैंक खाता है जो 10 वर्ष से कम उम्र की बेटियों के लिए शुरू किया गया है। इस खाते पर 9.1 वार्षिक चक्रवर्ती ब्याज दिया जाएगा।

 

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लड़कर लें अपना अधिकार

उपभोक्ता अदालत बनेंगे आपके हथियार

 

जागरूक ग्राहक बनें

 

(i) अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाएँ।

(ii) एगमार्क और ISI अंकित सामान ही खरीदें।

(iii) ग्राहक के रूप में राष्ट्रीय/राजकीय/जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा अपनी शिकायतों पर न्यायोचित सुनवाई की माँग करे।

 

अपने अधिकारों की माँग करे

 

(i) बुनियादी जरूरतों की संतुष्टि का अधिकार

(ii) सुरक्षा का अधिकार

(iii) सूचित करने का अधिकार

(iv) चुनने अथवा चयन करने का अधिकार

 

अधिक जानकारी के लिए सर्म्पक करें

राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन नम्बर- 1800-11-4000

खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मन्त्रालय

उपभोक्ता मामले विभाग, भारत सरकार

(5) व्यापारिक पत्र

व्यापारिक पत्र वैयक्तिक पत्रों की तुलना में काफी भिन्न होते हैं। व्यापारिक पत्रों की भाषा औपचारिक होती है। इनमें द्विअर्थी एवं संदिग्ध बातों का स्थान नहीं होता। ये पत्र किसी भी व्यापारिक संस्थान के लिए आवश्यक होते हैं। व्यापारिक पत्र किन्हीं दो व्यापारियों के बीच व्यापारिक कार्य हेतु लिखे जाते हैं।

 

एक व्यवसायी तभी सफल हो सकता है, जब वह दूसरे व्यवसायी के साथ मधुर सम्बन्ध बनाए। सम्बन्धों को मधुर बनाए रखने एवं व्यापार को कुशलतापूर्वक बढ़ाने के लिए पत्रों को लिखने की आवश्यकता होती है।

 

व्यापारिक पत्र माल का मूल्य पूछने सम्बन्धी जानकारी लेने, बिल का भुगतान करने, बिल की शिकायत करने, साख बनाने, समस्या बताने, सन्दर्भ लेने आदि के विषय में लिखे जाते हैं।

व्यापारिक पत्रों की उपयोगिता

व्यापारिक पत्र एक व्यवसायी के दृष्टिकोण से बहुत उपयोगी होते हैं। इन पत्रों से समय की बचत तो होती ही है, धन भी कम खर्च होता है। ये पत्र व्यापार का प्रचार एवं विज्ञापन का कार्य भी करते हैं।

व्यवसायिक पत्राचार के द्वारा व्यापार के सभी कार्यों के आधार पर भेजे गए पत्रों का रिकॉर्ड तैयार कर दिया जाता है। व्यापार की बातों को यदि व्यापारी कुछ समय के बाद भूलने लगता है, तब यही व्यावसायिक पत्रों के मूल्यवान रिकॉर्ड उनकी सहायता करते हैं।

इस प्रकार व्यापारिक पत्र व्यापारिक साख को बढ़ाने के साथ-साथ विवाद और भ्रम की स्थिति में इसके सहज निवारण में भी काम आते हैं।

व्यापारिक पत्रों की विशेषताएँ

व्यापारिक पत्र की निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं-

(1) स्पष्टता- व्यापारिक पत्र जिस विषय में लिखा गया हो, वह पूर्णतः स्पष्ट होना चाहिए। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि बातों को ज्यादा घुमा-फिराकर न कहा गया हो।

(2) सरलता- व्यापारिक पत्रों की भाषा अत्यन्त सरल होनी चाहिए ताकि उसे पढ़ने वाला आसानी से मूल विषय को समझ सके। ऐसे पत्रों में मुहावरों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

(3) संक्षिप्तता- एक व्यापारी के पास समय का अभाव होता हैं। वह मुख्य बात को जानने का इच्छुक होता है। अतः व्यापारिक पत्रों में संक्षिप्तता होनी चाहिए।

(4) सम्पूर्णता- व्यापारिक पत्र में सम्पूर्णता का अत्यधिक महत्त्व होता है। पत्र में आधी-अधूरी बातें नहीं होनी चाहिए। यदि पत्र में कोई सूचना दी जा रही है, तो वह सभी तथ्यों, आँकड़ों आदि से युक्त होनी चाहिए।

 

(5) त्रुटिहीनता- व्यापारिक पत्र चूँकि दो व्यवसायियों के मध्य संवाद का माध्यम होते हैं, अतः इनमें किसी भी प्रकार की त्रुटि नहीं होनी चाहिए। यदि ऐसा होता है, तो इससे संगठन/व्यक्ति की साख में कमी आ सकती है। यह बात सदैव स्मरण रखें कि छोटी-सी त्रुटि से व्यापार में भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

(6) नम्रता- व्यापारिक पत्र की शैली नम्रतापूर्ण होनी चाहिए। नम्रता से कटुता दूर होती है और मित्र भाव उत्पन्न होता है। सदैव दूसरों की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए और शिष्ट भाषा के प्रयोग द्वारा रूठे हुए लोगों को मनाने का प्रयास करना चाहिए, यही व्यावसायिक सफलता की कुंजी है।

(7) क्रमबद्धता- व्यापारिक पत्र लिखते समय क्रमबद्धता का ध्यान रखना अत्यन्त आवश्यक है। पत्र में प्राथमिकता के आधार पर विभिन्न वाक्यों का क्रम रखा जाना चाहिए। जो बात महत्त्वपूर्ण हो, उसे पहले लिखना चाहिए। वाक्य इस प्रकार क्रमबद्ध रूप से लिखे जाएँ कि पत्र प्राप्तकर्ता पत्र पढ़ते ही उसके मूल भाव को समझ जाए और तत्सम्बन्धी निर्णय हेतु विचार कर सके।

व्यापारिक पत्र के भाग

व्यापारिक पत्र को क्रमबद्ध एवं व्यवस्थित रूप से लिखने के लिए इसके कलेवर को वैयक्तिक पत्रों की भाँति कई भागों में बाँटा गया है।

व्यापारिक पत्र के मुख्य भाग अग्रलिखित हैं-

(1) शीर्षक- शीर्षक में पत्र लेखक/संस्था का नाम, डाक का पता, टेलीफोन नं., ई-मेल का पता आदि होता है। शीर्षक पृष्ठ के ऊपरी भाग में बायीं ओर छपा रहता है।

(2) पत्रांक/पत्र संख्या एवं दिनांक- व्यापारिक पत्रों में पत्रांक एवं दिनांक का अत्यधिक महत्त्व होता है। पत्र-व्यवहार में पिछले सन्दर्भ देने और वैधानिक आवश्यकता के समय पत्रांक एवं दिनांक का उल्लेख किया जाता है। पत्रांक और दिनांक पत्र के बायीं ओर शीर्षक के नीचे लिखनी चाहिए।

(3) सन्दर्भ संख्या- व्यापारिक पत्र में यदि सम्भव हो, तो सन्दर्भ संख्या का उल्लेख अवश्य करना चाहिए। सन्दर्भ संख्या द्वारा संस्था को पुराने पत्रों से विषय के सम्बन्ध में सम्पूर्ण ब्यौरा उपलब्ध हो जाता है।

(6)अन्दर लिखा जाने वाला पता- जिस व्यक्ति या संस्था को पत्र लिखा जा रहा है, उसका नाम व पता पत्र में बायीं ओर दिनांक के नीचे और अभिवादन के ऊपर लिखना चाहिए।

(7) विषय- विषय की जानकारी एक पंक्ति में 'महोदय' से पूर्व दी जाती है।

(8) सम्बोधन- व्यापारिक पत्र में सम्बोधन के लिए सामान्यतः 'महोदय/महोदया' लिखते हैं। सम्बोधन पत्र के बायीं ओर लिखते हैं।

(9) पत्र का मुख्य भाग- यह व्यापारिक पत्र का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण भाग होता है। पत्र द्वारा दी जाने वाली सूचना इसी भाग में लिखी जाती है। पत्र का यह भाग सामान्यतः तीन भागों में विभाजित होता है-

(1) प्रथम भाग- जिसमें विषय का परिचय होता है अथवा प्रेषिती (Addressee) द्वारा अब तक भेजे गए पत्रों का सन्दर्भ दिया जाता है। पत्र का यह भाग या अनुच्छेद छोटा होता है।

(2) द्वितीय भाग- जिसमें तथ्यों एवं सूचनाओं का विवरण होता है। यह कई छोटे-छोटे अनुच्छेदों में भी बँटा हो सकता है।

(3) तृतीय भाग- जिसमें आगामी कार्य-व्यापार पर बल दिया जाता है। यह मुख्य भाग का अन्तिम भाग होता है।

समाप्ति हेतु अन्तिम आदरसूचक शब्द व्यापारिक पत्रों में शिष्टाचारपूर्ण अन्त, पत्र के नीचे बायीं ओर हस्ताक्षर के ऊपर सामान्यतः 'भवदीय' लिखकर किया जाता है।

पत्र लेखक के हस्ताक्षर पत्र के अन्त में सबसे नीचे 'भवदीय' आदि के बाद अपने हस्ताक्षर करने चाहिए। यदि व्यापारिक पत्र किसी संस्था/संगठन द्वारा लिखा गया है, तो संस्था का कोई भागीदार भी संस्था की ओर से हस्ताक्षर कर सकता है।

सूचना सम्बन्धी पत्र

ऐसे व्यापारिक पत्र जिनका उद्देश्य सूचना प्राप्त करना अथवा सूचना देना होता है, 'सूचना सम्बन्धी पत्र' कहलाते हैं। सूचना सम्बन्धी पत्रों के माध्यम से एक कम्पनी अपनी वर्तमान स्थितियों की जानकारी देती है। इसके अलावा एक व्यक्ति अथवा फर्म किसी दूसरी फर्म/संस्था से सूचना पत्र के माध्यम से जानकारी लेता एवं देता है।

 

जानकारी लेने, कोटेशन मँगवाने, पत्रों के उत्तर देने, ग्राहकों को नई बातें बताने आदि के लिए सूचना सम्बन्धी पत्रों का प्रयोग किया जाता है।

कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं-

 

(1) डाकघर के डाकपल महोदय को पते में हुए परिवर्तन की सूचना देते हुए पत्र लिखिए।

 

लाला हरदयाल एन्ड सन्स,

पंजाब।

 

दिनांक 26 अप्रैल, 20XX

 

सेवा में,

डाकपाल महोदय,

जगराँव डाकघर,

पंजाब।

 

विषय- पते में हुए परिवर्तन की सूचना देने हेतु।

 

महोदय,

हम इस पत्र के माध्यम से अपने डाक के पते में हुए परिवर्तन से सम्बन्धी सूचना दे रहे हैं। अब हमारा मुख्य कार्यालय जालन्धर रोड से जगराँव स्थानान्तरित हो गया है। अतः आपसे अनुरोध है कि कृपया सम्बन्धित क्षेत्र के डाकिए को निर्देशित करें कि अब वह हमारे पत्र, पार्सल, धनादेश व डाक से आने वाली अन्य चीजे हमारे नए पते पर ही पहुँचाए।

आपसे सहयोग की अपेक्षा में।

 

धन्यवाद।

 

भवदीय,

हस्ताक्षर.......

(कुलदीप सिंह)

लाला हरदयाल एन्ड सन्स

 

(2) बुक कराए गए पार्सल की बुकिंग निरस्त कराने की सूचना देते हुए पत्र लिखिए।

 

सरस्वती हाउस प्रा. लि.

नई दिल्ली।

 

दिनांक 10 अप्रैल, 20XX

 

सेवा में,

मुख्य पार्सल लिपिक,

उत्तरी रेलवे,

नई दिल्ली।

 

विषय- पार्सल की बुकिंग निरस्त कराने हेतु।

 

महोदय,

अपने पार्सल की बुकिंग निरस्त कराने के सम्बन्ध में सूचना देने के लिए हम आपको यह पत्र लिख रहे हैं। हमने अपने ग्राहक को पुस्तकें भेजने हेतु आपके यहाँ आज ही R/R संख्या 32241/69 से एक पार्सल बुक कराया है। अभी-अभी हमारे ग्राहक ने सूचना दी है कि उक्त ऑर्डर को निरस्त करते हुए माल न भेजा जाए। पत्र के साथ R/R की मूल प्रति संलग्न है।

 

जैसा कि माल भाड़ा अदा कर दिया है, तो आपसे प्रार्थना है कि माल भाड़े में से उपयुक्त निरस्तीकरण अधिभार की कटौती कर बाकी रकम वापस कर दी जाए।

 

धन्यवाद।

 

भवदीय,

हस्ताक्षर.......

(नीरज बंसल)

सरस्वती हाउस प्रा. लि.

 

(3) ग्राहकों को नकद खरीद पर छूट देने की सूचना देते हुए पत्र लिखिए।

 

जे. जे. एक्सपोर्ट्स,

9, इन्डस्ट्रियल एरिया,

कानपुर।

 

दिनांक 27 मई. 20XX

 

सेवा में,

सूरत क्लॉथ हाउस,

कमला नगर,

भोपाल।

 

विषय- नकद खरीद पर छूट देने के सन्दर्भ में।

 

महोदय,

आप हमारे उन प्रमुख ग्राहकों में से हैं, जो देय राशियों का समय पर शीघ्रता से भुगतान कर देते हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए हम आपको दो सप्ताह के अन्दर भुगतान किए जाने पर 2% की विशेष छूट प्रदान करना चाहते हैं। आपको सूचित कर दें कि आपका अप्रैल माह का भुगतान अभी तक नहीं हुआ। आप चाहें तो शीघ्र भुगतान कर इस छूट का लाभ उठा सकते हैं।

आशा है आपको हमारा यह प्रस्ताव पसन्द आएगा और आप इसका अवश्य ही लाभ उठाएँगे।

 

धन्यवाद।

 

भवदीय,

हस्ताक्षर ....

(अजीत निगम)

जे. जे. एक्सपोर्ट्स

 

(4) बिजली के बल्बों के ऑर्डर के निरस्तीकरण की सूचना देते हुए पत्र लिखिए।

 

रामनिवास कॉन्ट्रेक्टर्स,

धौरीमन्न,

बाड़मेर।

 

दिनांक 25 मार्च, 20XX

 

सेवा में,

रोशनी इलैक्ट्रिकल सप्लायर्स,

नेहरू प्लेस,

नई दिल्ली।

 

विषय- ऑर्डर निरस्त करवाने हेतु।

 

महोदय,

हमने आपको 2500 बिजली के बल्बों का ऑर्डर दिया था, जिनकी आपूर्ति इस माह के अन्तिम सप्ताह में होनी है, परन्तु हमें खेद के साथ आपको यह कहना पड़ रहा है कि बल्बों का यह ऑर्डर निरस्त कर दिया जाए।

दरअसल, हमें इस आर्डर को निरस्त करवाने के लिए विवश होना पड़ रहा है, क्योंकि उक्त 100 वाट के 2500 बल्ब स्थानीय नगर निगम में आपूर्ति हेतु मँगवाए जा रहे थे। परन्तु नगर निगम ने आन्तरिक बजट की समस्या के चलते कुछ समय के लिए इस आपूर्ति पर रोक लगा दी है।

इस प्रकार इस ऑर्डर को निरस्त करवाना हमारी विवशता थी, परन्तु जैसे ही नगर निगम में बजट सम्बन्धी समस्या का समाधान हो जाएगा, हम आपसे इस माल की आपूर्ति हेतु पुनः निवेदन करेंगे।

 

आपको हुई असुविधा के लिए हमें खेद है।

 

धन्यवाद।

 

भवदीय,

हस्ताक्षर ......

(गणेश दत्त)

 

(5) व्यापारिक गतिविधियों में वृद्धि होने के कारण बैंक की नवीन शाखा के शुभारम्भ की सूचना ग्राहकों को देते हुए पत्र लिखिए।

 

पंजाब नेशनल बैंक,

मुखर्जी नगर,

दिल्ली।

 

दिनांक 21, अप्रैल, 20XX

 

विषय- बैंक की नवीन शाखा खुलने के सन्दर्भ में।

 

प्रिय ग्राहकों,

आपके शहर में व्यापारिक गतिविधियों में होने वाली लगातार वृद्धि के कारण हमारी निरंकारी कालोनी शाखा में कार्य का भार इतना हो गया था कि ग्राहकों को अपने खातों में लेन-देन करने तथा बैंक सम्बन्धित अन्य कार्यों के संचालन हेतु लम्बी लाइनों में खड़े रहकर घण्टों इन्तजार करना पड़ता था। इससे ग्राहकों का बहुमूल्य समय नष्ट हो जाता था। इस समस्या के समाधान के लिए हम लम्बे समय से प्रयासरत थे, जिसका फल अब मिला है। हम अपनी एक नवीन शाखा का शुभारम्भ 25 अप्रैल से मुखर्जी नगर में HDFC बैंक के नजदीक करने जा रहे हैं। हमारी यह शाखा पूर्णतः कम्प्यूटरीकृत तथा ए टी एम एवं लॉकर सुविधा से युक्त है।

कृपया हमारी इस शाखा द्वारा प्रदत्त सुविधाओं एवं सेवाओं का लाभ उठाएँ। हम सदैव आपकी सेवा में तत्पर हैं।

 

धन्यवाद।

 

भवदीय,

हस्ताक्षर ......

क्षेत्रीय प्रबन्धक

 

(6) चेक खो जाने के कारण बैंक को चेक का भुगतान न करने की सूचना देते हुए पत्र लिखिए।

 

24, नेहरू विहार,

दिल्ली।

 

दिनांक 20 मई, 20XX

 

सेवा में,

प्रबन्धक महोदय,

बैंक ऑफ महाराष्ट्र,

मुखर्जी नगर,

दिल्ली।

 

विषय- बैंक को चेक का भुगतान न करने हेतु।

 

महोदय,

मैंने 8 हजार का एक चेक संख्या 46451 श्री उमेश शर्मा को दिनांक 22 मई, 20XX का दिया है। मुझे आज ही उन्होंने सूचित किया है कि उक्त चेक उनसे खो गया है। अतः आपसे निवेदन है कि उस चेक का भुगतान किसी को भी, किसी भी दशा में न किया जाए। यदि भुगतान किया गया, तो मैं उत्तरदायी नहीं होऊँगा।

जवाब की अपेक्षा में।

धन्यवाद।

 

भवदीय,

रामसुमेर

खाता संख्या : 254645876451

(7) उद्योग कम्पनी के निर्यातकर्ता द्वारा ग्राहक को माल पहुँचाने की सूचना देते हुए पत्र लिखिए।

 

बैनारा उद्योग लि.

आगरा।

 

दिनांक 15 मई, 20XX

 

सेवा में,

मैं. स्टुअर्ट एन्ड सन्स,

लन्दन।

 

विषय- ग्राहक को माल पहुँचाने की सूचना हेतु।

 

महोदय,

आपको सूचित करते हुए हमें हर्ष हो रहा है कि हमने आपकी आकस्मिकता को पूरा करते हुए आपकी माँग के अनुसार एस.एस. सागर द्वारा बॉल बेयरिंग आपके पते पर भेज दी हैं। यह माल लकड़ी की 15 पेटियों में पैक किया गया है।

आपके माल की बीमा हमारे शिपिंग एजेण्ट मै. मैकमोहन एण्ड ब्रदर्स, कोलाबा, मुम्बई द्वारा कराया गया है।

इस पत्र के साथ हम 1500 पौण्ड का बिल संलग्न कर रहे हैं, जिसका भुगतान 90 दिनों के भीतर लिया जाएगा।

आशा है, आपका माल समय पर एवं सुरक्षित पहुँच जाएगा।

आगामी ऑर्डर की अपेक्षा के साथ।

 

धन्यवाद।

 

भवदीय,

हस्ताक्षर.....

(अजय जैन)

बैनारा उद्योग लि.

 

(8) सामान का भुगतान न किए जाने के कारण क़ानूनी कार्यवाही करने की सूचना देते हुए पत्र लिखिए।

 

टाटा ऑटोमोटिव लिमिटेड,

पैडर रोड,

मुम्बई।

 

दिनांक 10 मई, 20XX

 

सेवा में,

मै. शंकर ऑटोमोबाइल्स,

प्रतापगढ़ (उ. प्र.)।

 

विषय- क़ानूनी कार्यवाही हेतु।

 

महोदय,

हमें खेद के साथ लिखना पड़ रहा है कि आपने हमारे 35, 000 के भुगतान के सम्बन्ध में हमारे पूर्व पत्रों का अभी तक जवाब नहीं दिया है। पूर्व में आपके द्वारा किए गए भुगतान समय पर हो जाया करते थे। यदि कोई भुगतान आपकी तरफ से कभी रुका भी, तो हमने इस मामले में आपको सदैव ही सहयोग दिया है और भुगतान के सम्बन्ध में कभी-भी दबाव नहीं डाला है। परन्तु आपने उक्त भुगतान के सम्बन्ध में हमारे किसी भी पत्र का जवाब नहीं दिया है।

सम्भव है कि आपके द्वारा भुगतान न किए जाने के पीछे कुछ विशेष कारण हो, अतः अभी भी सम्भव है कि हम बातचीत कर इस मामले को सुलझा लें। परन्तु इस सम्बन्ध में आपको हमें पत्र लिखना होगा।

यदि इस पत्र के एक हफ़्ते के भीतर आपकी ओर से कोई जवाब नहीं आता है, तब हमें मजबूरन आपके खिलाफ क़ानूनी कार्यवाही करनी पड़ सकती है। परन्तु इससे पूर्व हमारा आपसे अनुरोध है कि आप हमें बताएँ कि इस भुगतान के सम्बन्ध में आप क्या कहना चाहते हैं।

 

धन्यवाद।

 

भवदीय,

हस्ताक्षर ......

(एस. के. खुराना)

महाप्रबन्धक

टाटा ऑटोमोटिव लि.

 

(9) इन्श्योरेन्स कम्पनी की ओर से बीमा पॉलिसी के नवीनीकरण की सूचना कम्पनी को देते हुए पत्र लिखिए।

 

ओरियण्टल इन्श्योरेन्स कम्पनी,

नई दिल्ली।

 

दिनांक 9 अप्रैल, 20XX

 

सेवा में,

मै. अय्यर एण्ड कम्पनी,

28 बी, इण्डस्ट्रियल एरिया,

ओखला, फेज-।।

नई दिल्ली।

 

विषय- बीमा पॉलिसी का नवीनीकरण करवाने हेतु।

 

महोदय,

हम आपको सूचना देना चाहते हैं कि आपकी बीमा पॉलिसी जिसकी सं. 27236 है, की अवधि 30 अप्रैल, 20XX को समाप्त हो रही है।

 

यदि आप इस पॉलिसी को वर्ष 20XX-20XX के लिए चालू रखना चाहते हैं, तो कृपया 3,954 का चेक भेजें।

आपने पिछले 5 वर्षों में कोई क्षतिपूर्ति नहीं ली है, इस सन्दर्भ में हम आपको बता दें कि यदि आप अपना चेक 30 अप्रैल से पूर्व भेज देते हैं, तो आपको प्रीमियम राशि में 550 की छूट प्रदान की जाएगी। देय तिथि के बाद किए गए भुगतान पर कोई छूट नहीं दी जाएगी।

यदि पॉलिसी समाप्त होने की तिथि के 60 दिन के भीतर नवीनीकरण नहीं कराया जाता, तो उक्त पॉलिसी समाप्त हो जाएगी।

आपके जवाब की प्रतीक्षा में एवं सदैव आपकी सेवा में तत्पर।

 

धन्यवाद।

 

भवदीय,

हस्ताक्षर .....

(एम. डी. गोयल)

प्रबन्धक

(ओ. आई. सी.)

पूछताछ सम्बन्धी पत्र

पूछताछ सम्बन्धी पत्रों से तात्पर्य ऐसे पत्रों से है, जिनके माध्यम से किसी माल के गुण, उपयोगिता एवं व्यापारिक शर्तो आदि की जानकारी जुटाई जाती है।

पूछताछ सम्बन्धी पत्र उन वस्तुओं के नियमित खरीदार व्यापारी भी लिखते हैं, जिन वस्तुओं के मूल्य से उतार-चढ़ाव होता रहता है। इन पत्रों के तहत निर्माता द्वारा व्यापारी को माँगी गई सभी सूचनाएँ पूर्ण विवरण सहित देनी चाहिए; जैसे- वस्तु की गुणवत्ता, मात्रा, आकार इत्यादि। पूछताछ सम्बन्धी पत्रों के कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं-

(1) कम्पनी की प्रगति के सम्बन्ध में पूछताछ करने हेतु पत्र लिखिए।

 

18, शान्ति विहार,

नरेला,

दिल्ली।

 

दिनांक 24 मई. 20XX

 

सेवा में,

अध्यक्ष महोदय,

गोदरेज इण्डिया प्रा. लि.

नेहरू प्लेस,

नई दिल्ली।

 

विषय- कम्पनी की प्रगति के सम्बन्ध में पूछताछ हेतु।

 

महोदय,

मैं पिछले 8 वर्ष से आपकी कम्पनी का अंशधारी हूँ। मुझे यह जानकर अत्यन्त ख़ुशी हो रही है कि कम्पनी सन्तोषजनक प्रगति कर रही है। आपकी कम्पनी में अपना अंश बढ़ाने की दृष्टि से मेरे लिए आवश्यक है कि मैं आपसे उक्त बात की आधिकारिक पुष्टि करूँ कि क्या कम्पनी वास्तव में, अच्छी प्रगति कर रही है और क्या इस वर्ष किसी बड़े लाभांश की घोषणा होने वाली है? आशा करता हूँ कि आप मेरी जिज्ञासाओं को शान्त करते हुए, मेरे प्रश्नों का जल्द ही जवाब देंगे।

 

धन्यवाद।

 

भवदीय,

हस्ताक्षर....

(वीरेन्द्र नागर)

 

(2) बैंक द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं और सेवाओं की पूछताछ करने हेतु पत्र लिखिए।

 

राम एण्ड सन्स,

हजरतंगज,

लखनऊ।

 

दिनांक 28 मई, 20XX

 

सेवा में,

प्रबन्धक महोदय,

देना बैंक,

स्टेशन रोड,

लखनऊ।

 

विषय- बैंक द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं की पूछताछ हेतु।

 

महोदय,

हम आपके बैंक के 10 वर्ष पुराने ग्राहक हैं। आपके बैंक में हमारा चालू खाता है। साथ ही हमारे परिवार के कई लोगों के बचत खाते भी आपके बैंक में खुले हुए हैं। हम आपके बैंक द्वारा वर्तमान समय में प्रदान की जाने वाली विभिन्न सुविधाओं और सेवाओं की जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं।

आपसे अनुरोध है कि कृपया इस सम्बन्ध में सभी जानकारियाँ देने का कष्ट करें।

 

धन्यवाद।

 

भवदीय,

हस्ताक्षर......

(जीवन कुमार)

राम एण्ड सन्स

 

(3) सावधि जमा पर ब्याज दर सम्बन्धी पूछताछ करते हुए बैंक को पत्र लिखिए।

 

बी 222,

जहाँगीरपुरी,

दिल्ली।

 

दिनांक 24 मार्च, 20XX

 

सेवा में,

प्रबन्धक महोदय,

भारतीय स्टेट बैंक,

जहाँगीरपुरी,

दिल्ली।

 

विषय- सावधि जमा योजना के अन्तर्गत ब्याज दर सम्बन्धी पूछताछ हेतु।

 

महोदय,

मैं आपके बैंक की सावधि जमा योजना के अन्तर्गत तीन वर्ष के लिए 50,000 जमा करना चाहता हूँ। कृपया इस सन्दर्भ में अवगत कराएँ कि इस जमा पर मुझे कितने प्रतिशत ब्याज प्राप्त होगा।

 

धन्यवाद।

 

भवदीय,

हस्ताक्षर......

(अजय कुमार)

 

(4) रेलगाड़ी से भेजे जाने वाले माल की बीमा राशि सम्बन्धी पूछताछ के लिए पत्र लिखिए।

 

ख़ुशी हर्बल्स प्रा. लि.

27, करोल बाग,

नई दिल्ली।

 

दिनांक 14 मई, 20XX

 

सेवा में,

प्रबन्धक महोदय

ओरियण्टल इन्श्योरेन्स कं.,

चावड़ी बाजार,

नई दिल्ली।

 

विषय- रेलगाड़ी से भेजे जाने वाले माल की बीमा राशि सम्बन्धी पूछताछ हेतु।

 

महोदय,

हम 75 डिब्बों में विभिन्न प्रकार के हर्बल लोशन और क्रीम की शीशियाँ प्रयागराज एक्सप्रेस से भेज रहे हैं। इस माल की कीमत 2 लाख है। यह माल नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से रेलगाड़ी में चढ़ाया जाएगा और इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर उतारा जाएगा।

हम उक्त माल का चोरी, आग और अन्य टूट-फूट से सुरक्षा हेतु बीमा करवाना चाहते हैं। इस सामान की पैंकिंग जुनेजा पैकेजिंग के द्वारा की गई है।

 

कृपया हमें उक्त माल की बीमा राशि बताने का कष्ट करें।

 

धन्यवाद।

 

भवदीय,

हस्ताक्षर.....

(संजीव मिश्रा)

प्रबन्धक

 

(5) पॉलिसी के समर्पण (सरेन्डर) करने की पूछताछ करते हुए भारतीय जीवन बीमा निगम को पत्र लिखिए।

 

ए-245,

कैलाश कॉलोनी,

नई दिल्ली।

 

दिनांक 18 अगस्त, 20XX

 

सेवा में,

मण्डलीय प्रबन्धक,

भारतीय जीवन बीमा निगम,

कैलाश कॉलोनी,

नई दिल्ली।

 

विषय- पॉलिसी के समर्पण की पूछताछ हेतु।

 

महोदय,

मैं 'जीवन आनन्द' पॉलिसी संख्या 214546 का धारक हूँ। किन्हीं परिस्थितियों के कारण मैं अपनी इस पॉलिसी को आगे चालू नहीं रख सकता। यदि आप मुझे उक्त पॉलिसी के वर्तमान समर्पण मूल्य की जानकारी देंगे, तो मैं आपका आभारी रहूँगा।

 

धन्यवाद।

 

भवदीय,

हस्ताक्षर .....

(चन्द्र सिंह)

 

(6) फूड कम्पनी के निर्माता से उत्पादों के मूल्य सम्बन्धी पूछताछ करने के लिए पत्र लिखिए।

 

सेन्ट्रल डिपार्टमेंटल स्टोर,

सदर बाजार,

दिल्ली।

 

दिनांक 28 मार्च, 20XX

 

सेवा में,

राजेन्द्र फूड्स प्रा. लि.,

ई-45, ओखला इन्डस्ट्रियल एरिया,

दिल्ली।

 

विषय- उत्पादों के मूल्य से सम्बन्धित पूछताछ हेतु।

 

महोदय,

हम आपके द्वारा निर्मित विभिन्न फ्रूट एण्ड वैजिटेबल उत्पादों; जैसे- सॉंस, जेम, मुरब्बा, आचार आदि को बिक्री हेतु बड़ी मात्रा में क्रय करना चाहते हैं। हम लखनऊ में उपभोक्ता सामग्री के बड़े विक्रेताओं में से एक हैं। हम लगभग सभी प्रतिष्ठित कम्पनियों के माल की ब्रिकी करते हैं। अब हम आपके द्वारा निर्मित विभिन्न उत्पादों को भी अपने यहाँ बिक्री हेतु रखना चाहते हैं।

अतः कृपया हमें अपने उत्पादों की मूल्य-सूची एवं व्यापारिक शर्ते जल्द से जल्द भेजने का कष्ट करें।

धन्यवाद।

 

भवदीय,

हस्ताक्षर.....

प्रबन्धक

(राजीव जैन)

 

(7) विदेशी आयातकर्ता द्वारा कलात्मक वस्तुओं के आयात से सम्बन्धित भारतीय व्यापारी से पूछताछ करते हुए पत्र लिखिए।

 

वार्नर ब्रदर्स इंक,

कैनेडी स्क्वायर,

एडमाण्टन,

कनाडा।

 

दिनांक 3 मई, 20XX

 

सेवा में,

मै. मुमताज एक्सपोर्ट्स प्रा. लि.,

तुलसी चबूतरा, ताजगंज,

आगरा।

 

विषय- कलात्मक वस्तुओं के आयात से सम्बन्धित पूछताछ।

 

महोदय,

हमे 'भारतीय व्यापार संवर्धन परिषद्' की पत्रिका के माध्यम से पता चला है कि आप भारत में हस्तकला सम्बन्धी वस्तुओं के एक बड़े निर्यातकर्ता हैं।

 

हम प्रतिवर्ष काफी मात्रा में भारतीय कलात्मक वस्तुओं का आयात करते हैं। आपके शहर से भी हम अन्य निर्यातकर्ताओं से उक्त वस्तुएँ आयात कर चुके हैं। अब हम आपके यहाँ निर्मित कलाकृतियाँ, विशेष रूप से ताजमहल के मॉडल मँगवाना चाहते हैं, जिनकी कनाडा में काफी माँग है। अतः आपसे निवेदन करते हैं कि आप व्यापारिक शर्तो सहित अपनी विभिन्न कलाकृतियों की एक नवीनतम एलबम मूल्य-सूची सहित हमें जल्दी से जल्दी भेजें।

 

धन्यवाद।

 

भवदीय,

हस्ताक्षर .....

(टॉमस मूर)

प्रबन्धक (बिक्री)

लेन-देन सम्बन्धी पत्र

व्यापार लेन-देन पर टिका होता है। यह लेन-देन रुपये-पैसों से भी सम्बन्धित हो सकता है, एवं एजेन्सी लेने-देने से भी। व्यापार को आगे बढ़ाने के लिए यह जरूरी है कि लेन-देन में पूरी पारदर्शिता हो। ऐसे पत्र लिखते समय पूरी सावधानी बरतनी चाहिए। सौदे की सभी शर्तो का उल्लेख पत्र में होना चाहिए। यदि रुपयों के भुगतान से सम्बन्धित बातें लिखनी हों, तब बकाया रुपयों का माह, बिल संख्या, सन्दर्भ संख्या आदि का उल्लेख अवश्य किया जाना चाहिए।

लेन-देन सम्बन्धी कुछ पत्रों के उदाहरण इस प्रकार हैं-

(1) व्यापार में हुए नुकसान के कारण बकाया राशि का किश्तों में भुगतान करने के लिए कम्पनी को पत्र लिखिए।

 

लेखराज एण्ड सन्स,

नया बाँस,

दिल्ली।

 

दिनांक 26 जुलाई, 20XX

 

सेवा में,

कमल पाल एण्ड कम्पनी,

पटेल स्ट्रीट,

वडोदरा।

 

विषय- बकाया राशि का किश्तों में भुगतान हेतु।

 

महोदय,

आपका पत्र हमें कल प्राप्त हुआ। पत्रानुसार आपने हमसे शीघ्र भुगतान के लिए कहा है, लेकिन व्यापार में भारी घाटा होने के कारण हम बड़ी संख्या में अपने भुगतानों को कर पाने में स्वयं को असमर्थ महसूस कर रहे हैं। यही कारण है कि आपके भुगतान भी लम्बित पड़े हुए हैं। हमें इसका अत्यधिक खेद है। परिस्थितियाँ चूँकि हमारे नियन्त्रण से बाहर हैं, इसलिए ऐसे समय में आपके सहयोग की अपेक्षा है।

हम अपनी लेनदारी इकट्ठी कर रहे हैं, साथ ही अपने माल के स्टॉक को न्यूनतम लाभ पर बेच रहे हैं, ताकि नकद धन एकत्रित किया जा सके। परन्तु हम थोड़े-से समय में एक बड़ी राशि का संग्रह नहीं कर सकते। इसलिए हम पाक्षिक रूप से आपको दस हजार रुपये का चेक भेजने का प्रस्ताव आपके सम्मुख रख रहे हैं। आशा है आपको हमारा यह प्रस्ताव स्वीकार्य होगा। इस प्रकार हम आपकी पचास हजार रुपये की कुल राशि आगामी पाँच माह में चुकता कर पाने में सक्षम होंगे।

 

आपके सहयोग की अपेक्षा में।

 

धन्यवाद।

 

भवदीय,

हस्ताक्षर ......

विवेक रघुवंशी

लेखराज एण्ड सन्स

 

(2) भुगतान न किए जाने पर बिना बिके माल की वापसी हेतु कम्पनी की ओर से व्यापारी को पत्र लिखिए।

 

दिवाकर हौजरी प्रा. लि.,

झाँसी,

उ. प्र.।

 

दिनांक 26 अप्रैल, 20XX

 

सेवा में,

मै. मुकुट लाल एण्ड सन्स,

दौलतपुरा,

गाजियाबाद।

 

विषय- बिना बिके माल की वापसी की व्यवस्था हेतु।

 

महोदय,

आपके द्वारा प्रेषित दिनांक 20 अप्रैल, 20XX का पत्र मिला, जिसमें आपने व्यापारिक मन्दी के चलते आपकी ओर देय राशि 25 हजार का भुगतान करने में असमर्थता जताई है। हम खेद के साथ लिख रहे हैं कि आपके द्वारा भुगतान हेतु माँगी गई दो माह की अतिरिक्त समयावधि बढ़ाने में हम असमर्थ हैं।

 

हम इस भुगतान हेतु पहले ही आपको काफी समय दे चुके हैं और अब आपके खाते को आगे लम्बित नहीं रख सकते। लिहाजा हमने आपकी विवशता को ध्यान में रखते हुए, बिना बिके हुए माल की वापसी का निर्णय लिया है ताकि माल की देय राशि आपके एकाउण्ट से कम की जा सके और बचे हुए अधिशेष का आपसे सरलता से भुगतान प्राप्त कर सकें।

 

आशा है, आपको हमारा उक्त प्रस्ताव पसन्द आएगा और आप शीघ्रातिशीघ्र बिना बिके माल की वापसी की व्यवस्था करेंगे।

 

धन्यवाद।

 

भवदीय,

हस्ताक्षर .....

(राकेश बेदी)

दिवाकर हौजरी प्रा. लि.

 

(3) उत्पादों की बिक्री हेतु सोल एजेन्सी लेने के सम्बन्ध में पत्र लिखिए।

 

रामलाल एण्ड सन्स,

दिल्ली।

 

दिनांक 26 अप्रैल, 20XX

 

सेवा में,

नायडू पेस्टीसाइड्स प्रा. लि.,

चामराज पेट,

बंगलुरु।

 

विषय- सोल एजेन्सी लेने हेतु।

 

महोदय,

गत दिनों प्रगति मैदान, दिल्ली में आयोजित कृषि व्यापार मेले में आपके प्रतिनिधि से हमारी बातचीत हुई थी। हमने आपके उत्पाद देखे और हमें वह काफी बेहतर लगे। अब हम उत्तर भारत में आपके उत्पादों की बिक्री हेतु सोल एजेन्सी लेना चाहते हैं। हमने उत्तर भारत के पाँच राज्यों में आपकी सोल एजेन्सी लेने का विचार बनाया है। पेस्टीसाइड्स (कीटनाशक दवाओं) के व्यापार में लम्बे अरसे से संलग्न रहने के कारण हमारे पास सेल्स मैनों की अच्छी टीम है।

हमें विश्वास है कि यदि आप हमें वितरण का अवसर प्रदान करते हैं, तो हम निश्चित रूप से आपके माल के लिए ऑंर्डर प्राप्त करेंगे।

यदि आप उत्तर भारत में एजेन्सी देने के इच्छुक हैं तो कृपया अपनी व्यापारिक शर्तो का विवरण, उत्पादों का कैटलॉग एवं मूल्य-दरें शीघ्र भेजें।

शीघ्र पत्रोत्तर की अपेक्षा में।

 

धन्यवाद

 

भवदीय,

हस्ताक्षर......

(सुनील मान)

प्रबन्धक

(रामलाल एण्ड सन्स)

 

(4) सोल एजेन्सी देने से इनकार करते हुए कम्पनी की ओर से पत्र लिखिए।

 

लिंगम पेस्टीसाइड्स प्रा. लि.

कानपुर।

 

दिनांक 28 अप्रैल, 20XX

 

सेवा में,

मै. गुप्ता एण्ड सन्स,

करोल बाग,

दिल्ली।

 

विषय- एजेन्सी देने के आवेदन को अस्वीकार करने हेतु।

 

महोदय,

आपके द्वारा दिनांक 25 अप्रैल, 20XX को भेजे गए पत्र के लिए धन्यवाद। इस पत्र के माध्यम से आपने हमसे हमारे उत्पादों की सोल एजेन्सी लेने की इच्छा प्रकट की है। हम आपकी इस इच्छा का आदर करते हैं, किन्तु हमें खेद है कि हमें आपका आवेदन देर से प्राप्त हुआ।

दरअसल, हमने अपना सोल एजेन्ट नियुक्त कर लिया है। परन्तु हमने आपके आवेदन-पत्र को अपनी फाइल में सुरक्षित रख लिया है। यदि भविष्य में हमें ऐसी कोई आवश्यकता हुए, तब हम आपसे अवश्य सम्पर्क करेंगे।

 

धन्यवाद।

 

भवदीय,

हस्ताक्षर.....

(ए. के. लिंगम)

प्रबन्धक

लिंगम पेस्टीसाइड्स प्रा. लि.

 

(5) उत्पाद की लोकप्रियता के कारण अंशधारियों को नए अंश देने सम्बन्धी पत्र लिखिए।

 

टाटा टी लिमिटेड

वैलिंगटन रोड,

मुम्बई।

 

दिनांक 15 अप्रैल, 20XX

 

सेवा में,

श्री रमेशचन्द जैन,

ढोलीखार,

आगरा।

 

विषय- अंशधारियों को नए अंश देने हेतु।

 

महोदय,

हम हर्ष के साथ आपको सूचित कर रहे हैं कि उच्च गुणवत्ता वाली चाय के कारण हमारी कम्पनी ने बाजार में पूर्ण विश्वास हासिल कर लिया है। हमारी चाय के आगे अन्य चाय कम्पनियों की चाय की लोकप्रियता फीकी पड़ गई है और बाजार में हमारी चाय की माँग काफी बढ़ गई है, जिसके फ़लस्वरुप हमें देशभर से चाय भेजने के ऑर्डर प्राप्त हो रहे हैं।

अतः चाय की माँग को पूरा करने के लिए निदेशक मण्डल ने कम्पनी में एक नया अनुभाग प्रारम्भ करने का निश्चय किया है, ताकि उत्पादन को बढ़ाया जा सके। कम्पनी ने यह निर्णय भी लिया है कि 50 लाख के नए शेयर जारी करके सम्पत्ति का प्रबन्ध किया जाए। प्रत्येक शेयर का मूल्य 100 होगा। ये शेयर हम पुराने शेयरहोल्डरों को ही देंगे। आप हमारे पुराने शेयरहोल्डर हैं, यदि आप शेयर खरीदने के इच्छुक हों, तो कृपया सूचित करें।

 

निदेशक मण्डल की आज्ञा से।

 

धन्यवाद।

 

भवदीय,

हस्ताक्षर......

(वी. के. राजपूत)

सचिव

 

(6) माल प्राप्त न होने के कारण रेलवे से क्षतिपूर्ति लेने हेतु रेलवे अधीक्षक को पत्र लिखिए।

 

नामदेव शू पैलेस,

चाँदनी चौक,

नई दिल्ली।

 

दिनांक 26 मई, 20XX

 

सेवा में,

मुख्य वाणिज्यिक अधीक्षक,

उत्तर रेलवे,

नई दिल्ली।

 

विषय- माल प्राप्त न होने पर रेलवे से क्षतिपूर्ति लेने हेतु।

 

महोदय,

हमें सहारनपुर के मुख्य पार्सल लिपिक ने सूचना दी है कि दिनांक 16 मई, 20XX को R/R संख्या 67564/XX के द्वारा बुक किया गया हमारा माल अभी तक नहीं पहुँचा है।

माल बुक करने के 10 दिन पश्चात् भी माल के न पहुँचने का सीधा अर्थ है कि माल रास्ते में कहीं गुम हो गया है। इसलिए हम उक्त माल की क्षतिपूर्ति प्राप्त करने के लिए R/R की मूल प्रति तथा 25 हजार का बिल इस पत्र के साथ संलग्न कर रहे हैं।

आपसे निवेदन है कि हमारी क्षतिपूर्ति हेतु आप शीघ्र कार्रवाई करने का कष्ट करें।

 

धन्यवाद।

 

भवदीय,

हस्ताक्षर....

(सुरेन्द्र नामदेव)

प्रबन्धक

(नामदेव शू पैलेस)

 

(7) अपने बिल का भुगतान करने के लिए कम्पनी से अतिरिक्त समय की माँग करते हुए पत्र लिखिए।

 

दीवान एण्ड सन्स,

सोनीपत,

हरियाणा।

 

दिनांक 26 मई, 20XX

 

सेवा में,

देशबन्धु एक्सपोर्ट्स प्रा. लि.,

जलियाँवाला बाग,

अमृतसर।

 

विषय- बिल के भुगतान के लिए अतिरिक्त समय की माँग हेतु।

 

महोदय,

आपके द्वारा 24 मई, 20XX को भेजे गए पत्र के माध्यम से हमें हमारे एकाउण्ट का पूर्ण विवरण प्राप्त हुआ। हमें आपके 2 लाख का भुगतान करना है।

जैसा कि आप जानते हैं हमने आपके बिलों का भुगतान सदैव समय से किया है और आगे भी समय से करते रहेंगे, किन्तु इस बार किन्हीं विशेष परिस्थितियोंवश हमें आपसे कहना पड़ रहा है कि पिछले बकाया की अदायगी के लिए हमें कुछ दिनों का अतिरिक्त समय देने की कृपा करें। अभी हमारी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, किन्तु हम आपको विश्वास दिलाते हैं कि अगले तीन महीनों में हम आपकी अब तक की पूर्ण राशि का भुगतान कर देंगे।

आपके सहयोग की अपेक्षा में।

 

धन्यवाद।

 

भवदीय,

हस्ताक्षर ......

(विकास शर्मा)

प्रोपाइटर

(दीवान एण्ड सन्स)

ऑर्डर सम्बन्धी पत्र

व्यापार में ऑर्डर सम्बन्धी पत्र, वे पत्र होते हैं; जिनके द्वारा माल के ऑर्डर लिए अथवा दिए जाते हैं। किसी भी माल का ऑर्डर देते समय पत्र में उसकी किस्म, मात्रा, साइज, डिजाइन, पैकिंग, माल भेजने का तरीका, तिथि आदि का उल्लेख किया जाना चाहिए। यदि माल नाजुक अथवा कीमती है, तब इस सम्बन्ध में पत्र में माल का बीमा आदि करवाने हेतु निर्देश दिए जाने चाहिए। इसके अलावा यदि किसी फर्म को पहला ऑर्डर भेजा जा रहा है, तब भुगतान के ढंग का उल्लेख किया जाना आवश्यक है। यदि ऑर्डर में उधार माल भेजने की माँग की गई है, तब व्यापार सन्दर्भों का उल्लेख होना जरूरी है। कई बार माल का आर्डर कैन्सिल करना पड़ सकता है। ऐसे समय में खेद प्रकट करते हुए, भविष्य में इस प्रकार की सावधानी बरतने सम्बन्धी पत्र अवश्य भेजा जाना चाहिए।

 

यहाँ हम ऑर्डर सम्बन्धी कुछ पत्रों के माध्यम से इसे बेहतर ढंग से समझते हैं-

 

(1) पुस्तक विक्रेता को पुस्तकों का ऑर्डर देने के सम्बन्ध में बुको डिपो के प्रबन्धक की ओर से पत्र लिखिए।

 

श्याम बुक डिपो,

आदर्श नगर,

दिल्ली।

 

दिनांक 26 मई, 20XX

 

सेवा में,

विक्रय व्यवस्थापक,

अरिहन्त पब्लिकेशन्स (इण्डिया) लिमिटेड

कालिन्दी, टी.पी. नगर,

मेरठ (उ.प्र)।

 

विषय- पुस्तकों का ऑर्डर देने के सम्बन्ध में।

 

महोदय,

हमें आपके प्रतिनिधि से आपके संस्थान से प्रकाशित पुस्तकों की मूल्यों सहित नवीन सूची प्राप्त हुई है। हम आपके यहाँ से कुछ पुस्तकें रेल पार्सल द्वारा मँगवाना चाहते हैं।

पुस्तक का नाम                           प्रतियों की संख्या            मुद्रित मूल्य

व्यापारिक पत्र लेखन                    20                      110

समसामयिकी महासागर (सामान्य विज्ञान-।)   30                       110

साक्षात्कार                              20                          70

पुस्तकें भेजने से पहले कृपया यह देख लें कि वे कटी-फटी अथवा पुराने संस्करण की न हो।

 

धन्यवाद।

 

भवदीय,

हस्ताक्षर .....

(श्याम कुमार)

प्रबन्धक

(श्याम बुक डिपो)

(2) पुस्तक भण्डार के प्रबन्धक की ओर से पुस्तकों के ऑर्डर की आपूर्ति में असमर्थता प्रकट करते हुए पत्र लिखिए।

 

विद्या पुस्तक भण्डार,

विद्या विहार,

दिल्ली।

 

दिनांक 20 मई, 20XX

 

सेवा में,

बुक प्वाइण्ट,

मुखर्जी नगर,

दिल्ली।

 

विषय- पुस्तकों के ऑर्डर की आपूर्ति में असमर्थता हेतु।

 

महोदय,

आपके दिनांक 13 मई, 20XX के ऑर्डर के लिए धन्यवाद, किन्तु हमें खेद के साथ कहना पड़ रहा है कि आपने जिन पुस्तकों का ऑर्डर दिया है, उनका स्टॉक खत्म हो चुका है।

हमने ये पुस्तकें पुनर्मुद्रण हेतु भेजी हुई हैं, जो सम्भवतः 15 दिन में बिक्री हेतु तैयार हो जाएँगी। हमने आपका ऑर्डर अपनी 'ऑर्डर फाइल' में सुरक्षित रख लिया है, जैसे ही पुस्तकें तैयार हो जाएँगी, आपको भेज दी जाएँगी।

असुविधा के लिए खेद है।

 

सदैव आपकी सेवा में तत्पर।

 

धन्यवाद।

 

भवदीय,

हस्ताक्षर......

(विशाल गुप्ता)

विक्रय प्रबन्धक

(विद्या पुस्तक भण्डार)

 

(3) पापुलर वाच कम्पनी की ओर से घड़ी अनुभाग को घड़ियों के लिए ऑर्डर देने के सम्बन्ध में पत्र लिखिए।

 

पापुलर वाच कं.,

कमला नगर,

दिल्ली।

 

दिनांक 27 अप्रैल, 20XX

 

सेवा में,

विक्रय प्रबन्धक,

हिन्दुस्तान मशीन टूल्स लि.,

(घड़ी अनुभाग),

बंगलुरु।

 

विषय- घड़ियों के ऑर्डर हेतु।

 

महोदय,

आपके दिनांक 25 अप्रैल, 20XX के कोटेशन सं. एपी/90/XX के सन्दर्भ में हमें अपने ऑर्डर सं. 807 के माध्यम से आपको 500 'एच.एल.टी. (HLT) सोना' ब्राण्ड घड़ियों का ऑर्डर देते हुए हर्ष हो रहा है।

 

कृपया माल की भली प्रकार से अच्छी पैकिंग करवाएँ और पैसेन्जर रेलगाड़ी से एक हफ़्ते के भीतर भिजवाने की व्यवस्था करें।

इस समय हमारे पास घड़ियों की अत्यधिक माँग है। अतः कृपया समय सीमा का ध्यान रखते हुए शीघ्रातिशीघ्र माल भिजवाएँ।

आशा है, आप इस ऑर्डर के सम्बन्ध में त्वरित कार्रवाई करेंगे।

धन्यवाद।

 

भवदीय,

हस्ताक्षर.....

(आर.आर. अग्रवाल)

प्रोप्राइटर

(पापुलर वाच कं.)

 

(4) माल भेजने में हुई देरी से उत्पन्न समस्या के कारण ऑर्डर कैन्सिल करने के सम्बन्ध में कम्पनी के प्रबन्धक को पत्र लिखिए।

 

जिन्दल एण्ड जिन्दल प्रा. लि.,

चबूतरा रोड,

आगरा।

 

दिनांक 21 मई, 20XX

 

सेवा में,

मै. दीवान चन्द एण्ड सन्स,

402, आदर्श नगर,

देहरादून।

 

विषय- माल भेजने में हुई देरी के कारण ऑर्डर कैन्सिल करने हेतु।

 

महोदय,

हमें अपने ऑर्डर संख्या 57/XX, दिनांक 21 अप्रैल, 20XX के सन्दर्भ में आपको यह बताते हुए अत्यन्त खेद हो रहा है कि हमारा माल एक माह बीत जाने के पश्चात् भी हमें प्राप्त नहीं हुआ है। इस सन्दर्भ में हमने पहले भी आपको कई पत्र लिखे, किन्तु आपकी ओर से हमें आज तक कोई जवाब प्राप्त नहीं हुआ। माल की आपूर्ति न होने के कारण हमें अपने ग्राहकों के सामने शर्मिंदगी उठानी पड़ रही है। आपसे अनुरोध है कि आप हमें अब माल न भेजें। हमारा वह ऑर्डर अब कैन्सिल समझा जाए।

 

धन्यवाद सहित।

 

भवदीय,

हस्ताक्षर......

(राकेश जिन्दल)

प्रबन्धक

जिन्दल एण्ड जिन्दल प्रा. लि

 

(5) ग्राहक के दिवालिया होने की समस्या के कारण ऑर्डर के निरस्तीकरण के सम्बन्ध में पत्र लिखिए।

 

के. एण्ड के. डिस्ट्रीब्यूटर्स,

साल्ट लेक,

कोलकाता।

 

दिनांक 28 जून, 20XX

 

सेवा में,

सूर्यवंशी एन्टरप्राइजेज,

जुहू,

मुम्बई।

 

विषय- ग्राहक के दिवालिया होने के कारण ऑर्डर के निरस्तीकरण हेतु।

 

महोदय,

हमने आपको 1 जून, 20XX को 500 आयातित चमड़े की बैल्ट का ऑर्डर दिया था। परन्तु हमें खेद के साथ इस ऑर्डर का निरस्तीकरण करने का आपसे अनुरोध करना पड़ रहा है। दरअसल हमने अपने जिस ग्राहक की माँग पर उक्त माल की आपूर्ति हेतु आपको ऑर्डर दिया था, वह आज पूरी तरह खुद को दिवालिया घोषित कर चुका है।

अतः आपसे अनुरोध है कि उक्त ऑर्डर को तुरन्त निरस्त कर दिया जाए। आपको हुई परेशानी के लिए हमें खेद है। हम आपको विश्वास दिलाते हैं कि जल्द ही हम आपका नया ऑर्डर भेजेंगे।

 

धन्यवाद।

 

भवदीय,

हस्ताक्षर .....

(रामसिंह)

प्रबन्धक

के. एण्ड के. डिस्ट्रीब्यूटर्स

 

सन्दर्भ सम्बन्धी पत्र

सन्दर्भ सम्बन्धी पत्र ऐसे पत्र होते हैं, जिनके माध्यम से किसी फर्म अथवा व्यापारी की प्रामाणिक जानकारी माँगी जाती है। चूँकि, उधारी व्यापार का एक मुख्य पहलू होता है, अतः एक व्यापारी के लिए किसी भी फर्म को माल उधार देने से पूर्व उसकी आर्थिक मजबूती, बाजार में प्रतिष्ठा आदि की जाँच-पड़ताल करना जरूरी होता है।

सन्दर्भ पत्रों के द्वारा ऐसी ही फर्मों की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। उल्लेखनीय है कि कई बार विक्रेता को जब तक नए ग्राहक से सन्दर्भ प्राप्त नहीं हो जाता, वह ग्राहक को माल की आपूर्ति नहीं करता।

किसी व्यक्ति अथवा संस्था के लिए सन्दर्भ सूचना देने वाले को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि सूचना चाहे फर्म के पक्ष में हो अथवा विपक्ष में; उसे यह स्पष्ट कर देना चाहिए कि सूचना चाहे फर्म के पक्ष में हो अथवा विपक्ष में; उसे यह स्पष्ट कर देना चाहिए कि वह इस सम्बन्ध में किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं होगा और उसकी सूचना गोपनीय रखी जाएगी।

सन्दर्भ सम्बन्धी पत्रों में प्रतिकूल दृष्टिकोण प्रस्तुत करते समय फर्म के नाम का उल्लेख करने के स्थान पर यह लिखा जाना चाहिए कि, 'आपने जिस फर्म के बारे में सूचना माँगी है' अथवा 'आपने जिस फर्म का उल्लेख किया है' आदि। पत्र में अपने दृष्टिकोण को तटस्थता के साथ प्रयोग करना चाहिए।

सन्दर्भ सम्बन्धी पत्रों के उदाहरण अग्रलिखित हैं-

(1) बाबूराम एण्ड कम्पनी द्वारा सन्दर्भ रूप में दी गई फर्म सर्वेश्वर एण्ड सन्स को सन्दर्भ पत्र लिखिए, जिसमें आप बाबूराम एण्ड कम्पनी के विषय में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं।

 

रामनाथ एण्ड सन्स,

खारी बावली,

दिल्ली।

 

दिनांक 16 मई, 20XX

 

सेवा में,

मै. सर्वेश्वर एण्ड सन्स,

लालगंज,

प्रतापगढ़ (उ.प्र.)।

 

विषय- माल के ऑर्डर के लिए सन्दर्भ की जानकारी हेतु।

 

महोदय,

हमें मै. बाबूराम एण्ड कम्पनी, प्रतापगढ़ (उ.प्र.) की ओर से 50 हजार का माल भेजने का ऑर्डर प्राप्त हुआ है। इस फर्म के साथ हमारा यह प्रथम लेन-देन (डीलिंग) है। सन्दर्भ के रूप में फर्म ने आपके नाम का उल्लेख किया है।

हम आपके आभारी रहेंगे यदि आप हमें इस सम्बन्ध में जानकारी मुहैया कराएँगे कि आप इस फर्म को कितने लम्बे समय से जानते हैं।

हम यह जानना चाहते हैं कि आपके विचार से प्रथम ऑर्डर की आपूर्ति में हमें उक्त फर्म को उधार माल देने का जोखिम उठाना चाहिए अथवा नहीं। यदि नहीं, तो भविष्य में कितनी राशि तक का जोखिम उठाना सुरक्षित रहेगा। हम आपको विश्वास दिलाते हैं कि इस फर्म की बाजार प्रतिष्ठा और सुदृढ़ आर्थिक स्थिति के विषय में आपके द्वारा दी गई सूचना गोपनीय रखी जाएगी।

कष्ट के लिए क्षमा, अवसर पड़ने पर हम भी आपकी सेवा में तत्पर रहेंगे।

 

धन्यवाद।

 

भवदीय,

(जयराम)

रामनाथ एण्ड सन्स

 

 

(2) सर्वेश्वर दयाल एण्ड सन्स की ओर से सन्दर्भ पत्र के अनुकूल उत्तर देने के सम्बन्ध में पत्र।

 

सर्वेश्वर दयाल एण्ड सन्स,

लालगंज,

प्रतापगढ़।

 

दिनांक 20 मई, 20XX

 

सेवा में,

रामनाथ एण्ड सन्स,

खारी बावली,

दिल्ली।

 

विषय- फर्म की जानकारी से सम्बन्धित सन्दर्भ पत्र के अनुकूल उत्तर हेतु।

 

महोदय,

आपके दिनांक 16 मई, 20XX को लिखे पत्र के उत्तर में हम आपको निम्नलिखित सूचनाएँ दे सकते हैं।

आपके द्वारा जिस फर्म के बारे में सूचना माँगी गई है, यह स्थानीय व्यापार जगत् की नामी-गिरामी एवं प्रतिष्ठित फर्म हैं। जहाँ तक हमें जानकारी है, यह फर्म विगत 15 वर्षों से अधिक समय से व्यापार कर रही है।

हम इस फर्म के साथ पिछले 10 वर्षों से व्यापार कर रहे हैं, हमारे सामने अभी तक उक्त कम्पनी के साथ भुगतान सम्बन्धी कोई भी समस्या नहीं आई है। यह सूचना आपके उपयोग के लिए है, और बिना किसी उत्तरदायित्व के दी जा रही है।

हमें आशा है कि यह सूचना आपके उद्देश्य की पूर्ति में सहायक होगी। हम इतना दावे के साथ कह सकते हैं कि यदि आप इस फर्म के साथ जुड़ते हैं, तो आपको साफ एवं स्वच्छ छवि वाली एक फर्म के साथ व्यापार करने का अवसर मिलेगा।

 

धन्यवाद।

 

भवदीय,

हस्ताक्षर......

(सुरेश गोयल)

सर्वेश्वर दयाल एण्ड सन्स

 

शिकायत सम्बन्धी पत्र

एक फर्म जब दूसरी फर्म अथवा व्यवसायी की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरती, तब उनके बीच शिकायत की स्थिति पैदा हो जाती है। माल का ऑर्डर समय पर न डिलीवर कर पाना, डिलीवर माल में टूट-फूट, भुगतान का तरीका पसन्द न आना, खराब माल पहुँचाना आदि जैसे अनेक मुद्दे हैं, जब विभिन्न फ़र्में एवं व्यवसायी शिकायत पत्रों के माध्यम से अपनी बात रखते हैं। शिकायत पत्र लिखते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जिस सम्बन्ध में शिकायत की जा रही है, उसका स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाना चाहिए।

शिकायत सम्बन्धी पत्रों के उदाहरण इस प्रकार हैं-

(1) साइकिल की कीमत अधिक लगाने पर साइकिल कम्पनी के प्रबन्धक को शिकायती-पत्र लिखिए।

 

15, जुनेजा साइकिल स्टोर,

जहाँगीरपुरी,

दिल्ली।

 

दिनांक 26 मई, 20XX

 

सेवा में,

मैं. नेहरा साइकिल कम्पनी,

झण्डेवालान,

नई दिल्ली।

 

विषय- साइकिल की कीमत अधिक लगाने की शिकायत हेतु।

 

महोदय,

दिनांक 25 मई, 20XX को भेजे आपके बिल को देखकर हमें घोर आश्चर्य हो रहा है कि आपने हमें एटलस साइकिल, 18 इंच का मूल्य काफी अधिक लगाया है।

एक सप्ताह पहले जहाँगीरपुरी के एक अन्य साइकिल विक्रेता किशन कुमार ने 100 साइकिलें, इसी ब्रांड की मँगवाई थीं। उनसे आपने हमारी अपेक्षा 50 प्रति साइकिल कम लिए हैं।

आपके द्वारा किये गए इस भेदभाव से हमें धक्का लगा है। आप तो जानते ही हैं कि किशन कुमार से हमारी व्यापारिक प्रतिस्पर्धा है। वह ग्राहकों को जिस कीमत पर साइकिलें बेच रहा है, यदि हम भी उस कीमत पर बेचें, तो हमें घाटा होगा। न चाहते हुए भी हमें, उससे अधिक कीमत पर साइकिलें बेचनी पड़ रही हैं। इससे हमारे ग्राहक भी टूट रहे हैं।

अतः आपसे अनुरोध है कि आप हमें भी साइकिलों का वही मूल्य लगाएँ, जो आपने किशन कुमार को लगाया है।

आपके जवाब की प्रतीक्षा में।

 

धन्यवाद।

 

भवदीय,

हस्ताक्षर ......

(राकेश जुनेजा)

जुनेजा साइकिल स्टोर

 

(2) माल की खरीदारी पर अधिक वसूली होने पर कम्पनी के प्रबन्धक को शिकायत करते हुए पत्र लिखिए।

 

शंकर एण्ड सन्स,

कपूरथला,

पंजाब।

 

दिनांक 20 अप्रैल, 20XX

 

सेवा में,

दीपमाला एण्ड कम्पनी,

स्टेशन रोड,

लखनऊ।

 

विषय- माल की खरीदारी पर अधिक वसूली होने पर शिकायत हेतु।

 

महोदय,

हमें आपका दिनांक 5 मार्च, 20XX का पत्र 15 मार्च, 20XX को प्राप्त हुआ था, जिसमें उल्लेख था कि यदि हम आपके यहाँ से 1000 से अधिक का माल खरीदते हैं, तो हमें 25% की छूट और मुफ़्त पैंकिग व माल भाड़े की सुविधा प्रदान की जाएगी। परन्तु खेद है कि हमारे द्वारा 8000 के माल की खरीद के बावजूद भी आपने अपने दिनांक 3 अप्रैल के बिल सं. 115 द्वारा हमसे पैंकिंग और माल भाड़े के शुल्क की वसूली के साथ ही हमें केवल 20% छूट ही प्रदान की।

यद्यपि हमने माल प्राप्त कर लिया, परन्तु हमें आपके द्वारा की गई अतिरिक्त वसूली के लिए क्रेडिट नोट प्राप्त करने के सम्बन्ध में पूछताछ का अधिकार है।

हमारे विचार से यह त्रुटि आपके बिलिंग और डिस्पैच विभाग की लापरवाही से हुई होगी।

उचित कार्रवाई हेतु प्रेषित।

 

धन्यवाद।

 

भवदीय,

हस्ताक्षर.....

(शिव शंकर)

प्रोपाइटर

शंकर एण्ड सन्स

धन्यवाद सम्बन्धी पत्र

व्यापारिक दृष्टिकोण से धन्यवाद सम्बन्धी पत्रों का अपना महत्त्व है। ये पत्र एक फर्म अथवा व्यवसायी द्वारा अपने ग्राहकों, परामर्शदाताओं आदि को लिखे जाते हैं। ऐसे पत्र किसी पुराने ग्राहक से माल के लिए बड़ा ऑर्डर मिलने पर उनके प्रति आभार व्यक्त करने के लिए भी लिखे जाते हैं। धन्यवाद सम्बन्धी पत्र लिखते समय इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि पत्र में उन बातों का उल्लेख हो, जिनके लिए धन्यवाद व्यक्त किया गया है।

धन्यवाद सम्बन्धी पत्रों में चापलूसी नहीं झलकनी चाहिए। ये पत्र जितनी जल्दी हो सके, लिख देने चाहिए। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि देर से लिखे जाने पर, ऐसे पत्रों की उपयोगिता एवं प्रभाव समाप्त हो जाते हैं।

धन्यवाद सम्बन्धी व्यापारिक पत्र इस प्रकार हैं-

(1) व्यापारिक लेन-देन के सम्बन्ध में कम्पनी की ओर से पहला ऑर्डर प्राप्त करने पर धन्यवाद देते हुए पत्र लिखिए।

 

जमना लाल एण्ड कम्पनी,

जयपुर,

राजस्थान।

 

दिनांक 2 मई, 20XX

 

सेवा में,

मैं. गुलाटी एण्ड सन्स,

किला रोड,

आगरा (उ. प्र.)।

 

विषय- व्यापारिक लेन-देन के सम्बन्ध में पहला ऑर्डर प्राप्त करने हेतु।

 

महोदय,

दिनांक 28 अप्रैल, 20XX के पत्र के माध्यम से दिए गए ऑर्डर के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। आप हमारे नए ग्राहक हैं तथा हमारे और आपके बीच यह पहला व्यापारिक लेन-देन है इसलिए आपसे अनुरोध है कि आप अपने बैंकर सन्दर्भ और अन्य दो व्यापार सन्दर्भ के नाम भेजें। हम नए ग्राहकों के सम्बन्ध में ऐसी नियमावली का पालन करते हैं।

इस सम्बन्ध में प्रक्रिया पूर्ण होते ही हम आपके ऑर्डर की शीघ्रातिशीघ्र पूर्ति का प्रयास करेंगे। आशा है यह हमारे लम्बे व्यापारिक सम्बन्धों की शुरुआत होगी।

 

धन्यवाद।

 

भवदीय,

हस्ताक्षर......

(जगमोहन)

जमना लाल एण्ड कम्पनी

 

(2) आपकी कम्पनी को उत्पादों की एजेन्सी देने के लिए उत्पाद कम्पनी के प्रबन्ध निदेशक को धन्यवाद देते हुए पत्र लिखिए।

 

कृष्णा लैदर्स इण्डिया प्रा. लि.,

करोल बाग,

दिल्ली।

 

दिनांक 17 अप्रैल, 20XX

 

सेवा में,

मै. स्वेतलाना टैनरीज लि.,

गागरिन रोड,

मॉस्को (रूस)।

 

विषय- उत्पादों की एजेन्सी प्रदान करने हेतु।

 

महोदय,

आपके द्वारा भेजे गए दिनांक 10 अप्रैल, 20XX के पत्र के लिए धन्यवाद। आपने हमें अपने उत्पादों की सोल एजेन्सी प्रदान करने की अनुमति दी, इसके लिए एक बार पुनः धन्यवाद। हम अत्यधिक हर्ष के साथ लिख रहे हैं कि आपके द्वारा भेजी गई व्यापारिक शर्ते, मूल्य-सूची एवं सैम्पलों से हम पूर्णतः सन्तुष्ट हैं और भारत में आपकी सोल एजेन्सी लेने के लिए तैयार हैं।

हमें विश्वास है कि हम भारत में आपके उत्पादों की अच्छी बिक्री कर सकेंगे, जिससे आपका व्यापार यूरोप, अमेरिका के साथ-साथ भारत जैसे विशाल देश में भी फैलेगा।

कृपया आगामी कागजी कार्यवाही एवं अनुबन्ध आदि की प्रक्रिया से अवगत कराएँ, ताकि हम आपको शीघ्र ऑर्डर भेज सकें।

पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में।

 

धन्यवाद।

 

भवदीय,

हस्ताक्षर.....

(एम. कृष्णा)

प्रबन्ध निदेशक

कृष्णा लैदर्स इण्डिया प्रा. लि.

 

(3) बैंक में खाता खोलने के सन्दर्भ में बैंक की ओर से धन्यवाद देते हुए पत्र लिखिए।

 

भारतीय स्टेट बैंक,

मधुबन, उदयपुर,

राजस्थान।

 

दिनांक 28 मई, 20XX

 

सेवा में,

श्री धर्मेन्द्र कुमार,

डी. सी. पी., उदयपुर,

राजस्थान।

 

विषय- बैंक में खाता खोलने हेतु।

 

महोदय,

हमारी शाखा में आपके द्वारा भेजा गया बचत खाता खुलवाने सम्बन्धी पत्र प्राप्त हुआ। हमारी शाखा से जुड़ने की इच्छा प्रकट करने के लिए आपका धन्यवाद। आपकी माँग के अनुसार हम बचत खाता खोलने सम्बन्धी सभी आवश्यक फार्म आदि भेज रहे हैं, जिन्हें भरकर आप किसी भी कार्यदिवस में हमारे बैंक में उपस्थित होकर खाता खुलवा सकते हैं। आपका सदैव स्वागत है। आप निम्नलिखित में से किसी एक को पहचान पत्र के रूप में फार्म के साथ संलग्न कर सकते हैं-

 

पासपोर्ट की प्रति

गैस कनेक्शन रसीद

वाहन चलाने का वैध लाइसेन्स

मतदाता पहचान पत्र

अद्यतन टेलीफोन बिल

अद्यतन बिजली बिल

इनके अतिरिक्त निम्नलिखित दस्तावेज देने आवश्यक हैं-

पैन/जी.आई.आर. क्रमांक अथवा फार्म 60 का प्रमाण

(नकद जमा के मामले में)

अद्यतन पासपोर्ट साइज दो फोटोग्राफ

आपकी सेवा में सदैव तत्पर।

 

धन्यवाद।

 

भवदीय,

हस्ताक्षर.....

(रविन्द्र सलूजा)

प्रबन्धक

साख सम्बन्धी पत्र

व्यापारिक क्षेत्र में साख सम्बन्धी पत्र एक महत्त्वपूर्ण कड़ी का काम करते हैं। दरअसल, एक विक्रेता अपने प्रतिनिधि को जब माल की बिक्री बढ़ाने के उद्देश्य से सुदूर क्षेत्र में भेजता है, तब उस क्षेत्र के ग्राहकों, अपने परिचित संस्थानों या बैंकों से उस प्रतिनिधि का सहयोग करने के लिए जो पत्र लिखे जाते हैं, वे 'साख सम्बन्धी पत्र' कहलाते हैं।

इन पत्रों में विक्रेता सम्बन्धित लोगों से आवश्यकता पड़ने पर अपने प्रतिनिधि की आर्थिक मदद करने के लिए भी कहता है।

साख-पत्र में प्रतिनिधि को दी जाने वाली निश्चित रकम का उल्लेख होता है अथवा उसकी सीमा निर्धारित होती है। साख-पत्र साधारण और सर्कुलर (सामूहिक) दो प्रकार का हो सकता है। साधारण साख-पत्र द्वारा एक व्यक्ति अथवा एक फर्म को सम्बोधित किया जाता है, जबकि सामूहिक साख-पत्र द्वारा एक से अधिक व्यक्ति अथवा फर्म को सम्बोधित किया जाता है। साख सम्बन्धी पत्रों के कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं-

 

(1) धन की आवश्यकता होने पर कपूर एण्ड कम्पनी की ओर से पंजाब नेशनल बैंक के प्रबन्धक को साख-पत्र जारी करने के सम्बन्ध में पत्र लिखिए।

 

कपूर एण्ड कम्पनी,

55, पटेल रोड,

चेन्नई।

 

दिनांक 25 अगस्त, 20XX

 

सेवा में,

प्रबन्धक महोदय,

पंजाब नेशनल बैंक,

पटेल रोड,

चेन्नई।

 

विषय- धन की आवश्यकता के कारण साख-पत्र जारी करने हेतु।

 

महोदय,

मैं एक व्यापारिक यात्रा पर दिल्ली, राजस्थान, उत्तराखण्ड, पंजाब और जम्मू जा रहा हूँ। मुझे यात्रा के समय धन की आवश्यकता है। मैं आपका आभारी रहूँगा, यदि आप मुझे 35000 (पैंतीस हजार रुपये मात्र) की साख हेतु एक परिपत्र जारी करके, अपने सेवा प्रभार सहित उक्त राशि को मेरे खाते में डेबिट कर देंगे। यह साख-पत्र जारी होने की तिथि से 3 माह तक वैध होना चाहिए।

 

धन्यवाद।

 

भवदीय,

हस्ताक्षर.....

(राम कपूर)

कपूर एण्ड कम्पनी

समस्या सम्बन्धी पत्र

व्यापार में शिकायतें शुरू हुई नहीं कि समस्याएँ अपने आप सामने आने लगती हैं। शिकायतों से सम्बन्धित पत्रों के सम्बन्ध में हम पूर्व में अध्ययन कर ही चुके हैं।

दरअसल, समस्या सम्बन्धी व्यापारिक पत्र शिकायती पत्रों का ही एक रूप है। ऐसे पत्र भविष्य के लिए व्यावसायिक सम्बन्धों को तोड़ने, किसी बात को अस्वीकार करने, क्षतिपूर्ति से मुख मोड़ने आदि विषयों पर लिखे जा सकते हैं।

समस्या सम्बन्धी कुछ पत्रों के उदाहरण निम्नलिखित हैं-

 

(1) खराब माल प्राप्त होने से उत्पन्न समस्या को बताते हुए उत्पाद कम्पनी के प्रबन्धक को पत्र लिखिए।

 

गुप्ता बूट हाउस,

ग्रीन विलेज,

बंगलुरु।

 

दिनांक 26 मई, 20XX

 

सेवा में,

मै. फीनिक्स शूज लिमिटेड,

सेक्टर 63,

नोएडा।

 

विषय- माल खराब होने से उत्पन्न समस्या सम्बन्धी पत्र।

 

महोदय,

हमें खेद प्रकट करते हुए आपको सूचित करना पड़ रहा है कि आपने हमारे ऑर्डर सं. 87 के सन्दर्भ में 23 मई, 20XX को जूतों के जो 13 कॉर्टन भेजे थे, उनमें से 3 कॉर्टन के 8 जोड़ी जूते हमारे मानदण्डों के अनुरूप नहीं हैं। 13 जोड़ी जूतों के सोल चटख़े हुए हैं, जबकि 5 जोड़ी जूतों की पेस्टिंग और सिलाई ठीक से नहीं हुई है।

हमारे और आपके बीच कुछ व्यापारिक शर्ते तय हुई थीं। उनके अनुसार, कृपया खराब माल को बदलकर उनकी जगह नए माल को शीघ्र भिजवाने की व्यवस्था करें।

कृपया इस बात का विशेष ध्यान रखें कि इस तरह की पुनरावृत्ति भविष्य में न होने पाए।

 

धन्यवाद सहित।

 

भवदीय,

हस्ताक्षर.....

(मदन गुप्ता)

प्रोपाइटर,

गुप्ता बूट हाउस

 

(2) बैंक की पास-बुक की प्रविष्टियों में गड़बड़ी होने की समस्या के निदान हेतु बैंक के प्रबन्धक को पत्र लिखिए।

 

राधेश्याम एण्ड सन्स,

सदर बाजार,

लखनऊ।

 

दिनांक 28 मई, 20XX

 

सेवा में,

प्रबन्धक महोदय,

यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया,

सदर बाजार,

लखनऊ।

 

विषय- बैंक पास-बुक की प्रविष्टि में गड़बड़ी की समस्या हेतु।

 

महोदय,

आपके बैंक में हमारा चालू खाता सं. 23567 है। हमने अपनी पास-बुक की प्रविष्टियाँ पूर्ण करवाने हेतु 27 मई, 20XX को बैंक में भेजी थीं। आज जब हमने प्रविष्टियों की की, तो पाया कि वर्तमान में हमारे खाते में 13,755 शेष हैं। हमारे रिकॉर्ड के अनुसार यह प्रविष्टि त्रुटिपूर्ण है।

त्रुटि को ठीक करने हेतु हम पुनः अपनी पास-बुक भेज रहे हैं। कृपया जाँच करके उक्त त्रुटि को सुधारकर सही प्रविष्टि अंकित कर दें।

 

धन्यवाद।

 

भवदीय,

हस्ताक्षर.....

(दिनेश चन्द)

राधेश्याम एण्ड सन्स

बधाई सम्बन्धी पत्र

बधाई पत्रों के द्वारा ख़ुशी का इजहार किया जाता हैं। ये पत्र किसी को जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामना देने, अच्छी नौकरी मिलने, परीक्षा में सफलता प्राप्त करने, विदेश यात्रा करने, राजनीति में जीत हासिल करने, कोई वाहन खरीदने, घर खरीदने, शादी की वर्षगाँठ मनाने, त्यौहार मनाने आदि के मौके पर लिखे जाते हैं। कुछ बधाई पत्र इस प्रकार हैं-

(1) अपने छोटे भाई को उसके जन्मदिन के उपलक्ष्य में बधाई सम्बन्धी पत्र लिखिए।

कौशिक एन्क्लेव,
दिल्ली।

दिनांक 15 मार्च, 20XX

प्रिय अनुज मुकेश,
शुभाशीर्वाद।

पिछले दिनों तुम्हारा पत्र मिला। पत्र में तुमने मुझसे 20 मार्च को दिल्ली आने की गुजारिश की हैं। मुझे याद हैं कि 20 मार्च को तुम्हारा जन्म-दिन हैं और इसलिए तुमने मुझे घर आने के लिए लिखा हैं। जन्म-दिवस के उपलक्ष्य में मैं तुम्हें हार्दिक बधाई देता हूँ। मैं प्रभु से यही कामना करता हूँ कि तुम्हारा भावी जीवन सुखद एवं मंगलमय हो। ईश्वर तुम्हारी सम्पूर्ण इच्छाओं को पूर्ण करे।

इस शुभ अवसर के उपलक्ष्य में मैं तुम्हारे लिए चुनी हुई कुछ पुस्तकों का उपहार रजिस्टर्ड डाक से भेज रहा हूँ। मुझे विश्वास हैं कि तुम पुस्तकों में निहित ज्ञान को ग्रहण करके प्रगति के पथ पर आगे बढ़ोगे। अपनी व्यस्तताओं के चलते मैं इस बार तुम्हारे जन्म-दिन के उपलक्ष्य में वहाँ पर उपस्थित नहीं हो सकता, आशा हैं इसे अन्यथा नहीं लोगे। मेरा आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ हैं।

घर में सभी को यथायोग्य प्रणाम।

तुम्हारा भाई,
नरेन्द्र

(2) चित्रकला प्रतियोगिता में प्रथम आने पर मित्र को बधाई पत्र लिखिए।

224, वसंत कुंज,
नई दिल्ली।

प्रिय गौरव,
मधुर स्मृतियाँ।

मैं यहाँ कुशल हूँ और ईश्वर से तुम्हारी कुशलता की कामना करता हूँ। दो दिन पहले ही तुम्हारा पत्र प्राप्त हुआ। यह जानकर अत्यंत प्रसन्न्ता हुई कि तुमने अंतविद्यालयी चित्रकला प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। मेरे परिवार व मेरी ओर से तुम्हें हार्दिक बधाई। तुम बचपन से ही चित्रकला में रुचि लेते आए हो और अपनी कक्षा में भी सबसे सुंदर चित्र बनाते हो। सभी अध्यापक व अध्यापिकाएँ भी तुम्हारी प्रशंसा करते हैं। तुम्हारी मेहनत व लगन का परिणाम आज तुम्हारे सामने है। भविष्य में भी तुम इसी प्रकार सफलता प्राप्त करते रहो, मेरी यही कामना है।

अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम कहना और आरुषी को स्नेह देना। पत्र का उत्तर शीघ्र देना।

तुम्हारा मित्र,
अनुराग

(3) अपने मित्र को वार्षिक परीक्षा में प्रथम स्थान पर उत्तीर्ण होने के उपलक्ष्य में बधाई पत्र लिखिए।

40/3, नेहरू विहार,
झाँसी।

दिनांक 16 मार्च, 20XX

प्रिय मित्र शेखर,
जय हिन्द !

15 मार्च, 20XX के समाचार-पत्र में तुम्हारी सफलता का सन्देश पढ़ने को मिला। यह जानकर मुझे बहुत ख़ुशी हुई कि तुमने जिला स्तर पर 12वीं कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया हैं।

प्रिय शेखर, मुझे तुम से यही आशा थी। तुम्हारी पढ़ाई के प्रति निष्ठा और लगन को देखकर मुझे पूर्ण विश्वास हो गया था कि 12वीं कक्षा की परीक्षा में तुम अपने विद्यालय तथा परिवार का नाम अवश्य रोशन करोगे। परमात्मा को कोटि-कोटि धन्यवाद कि उसने तुम्हारे परिश्रम का नाम अवश्य रोशन करोगे। परमात्मा को कोटि-कोटि धन्यवाद कि उसने तुम्हारे परिश्रम का उचित फल दिया हैं।

मेरे दोस्त, अपनी इस शानदार सफलता पर मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करो। मैं उस परमपिता परमेश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि जीवन में सफलता इसी प्रकार तुम्हारे चरण चूमती रहे तथा तुम जीवन में उन्नति के पथ पर अग्रसर रहो।

मुझे पूरी आशा हैं कि इसके पश्चात् होने वाली कॉलेज की आगामी परीक्षाओं में भी तुम इसी प्रकार उच्च सफलता प्राप्त करोगे तथा जिनका परिणाम इससे भी शानदार रहेगा। मेरी शुभकामनाएँ सदैव तुम्हारे साथ हैं।

शुभकानाओं सहित।
तुम्हारा अभिन्न हृदय,
मोहन राकेश

(4) अपने मित्र को उसके जन्मदिवस के उपलक्ष्य पर बधाई देते हुए पत्र लिखिए।

15, राजनगर,
गाजियाबाद।

दिनांक 16 अप्रैल, 20XX

प्रिय मित्र सिद्धार्थ,
सप्रेम नमस्ते !

20 अप्रैल को तुम्हारा 17वाँ जन्म दिवस हैं। तुम्हारे जन्म-दिन के इस मौके पर मैं अपनी हार्दिक शुभकामनाएँ भेज रहा हूँ। मैं परमपिता परमेश्वर से तुम्हारी दीर्घायु की कामना करता हूँ। तुम जीवन-पथ पर समस्त सफलताओं के साथ अग्रसर रहो और यह दिन तुम्हारे जीवन में ढेरों खुशियाँ लाए।

इन्हीं कामनाओं के साथ,
तुम्हारा परम मित्र,
जीवन

(5) अपने मित्र को उसकी बहन के विवाह पर बधाई देते हुए पत्र लिखिए।

12/4, जनकपुरी,
दिल्ली।

दिनांक 18 मार्च, 20XX

प्रिय मित्र देवेश,
सदा खुश रहो।

मुझे यह जानकर बहुत खुशी हुई कि दीदी मीनाक्षी का विवाह 16 मार्च को था। हालाँकि दीदी के विवाह का निमन्त्रण पत्र मुझे समय पर मिल गया था। मैंने आने का कार्यक्रम भी बनाया था, किन्तु अचानक आई व्यस्तता के कारण आ न सका। इसका मुझे खेद हैं। मैं इस हेतु क्षमा चाहता हूँ।

ईश्वर हमारी बहन के वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि की वर्षा करे। उनका भावी जीवन खुशियों से भरा रहे, यही मेरी हार्दिक इच्छा हैं।

दीदी के विवाह पर तुम्हें मेरी तरफ से बधाई। माता-पिता को मेरी ओर से सादर चरण-स्पर्श। शान्तनु को मेरा प्यार।

मेरी तरफ से पुनः बधाई स्वीकार करो।
तुम्हारा मित्र,
राकेश शर्मा

(6) अपने छोटे भाई को बधाई देते हुए पत्र लिखिए जिसमें उसे राष्ट्रपति द्वारा 'वीर बालक पुरस्कार' से सम्मानित किया गया हैं।

ए-30, ममफोर्ड गंज,
इलाहाबाद।

दिनांक 16 मार्च, 20XX

प्रिय सुनील,
शुभाशीष।

आज के समाचार-पत्र में यह समाचार पढ़कर मेरा हृदय असीम प्रसन्नता से भर गया कि तुम्हें राष्ट्रपति द्वारा 'वीर बालक पुरस्कार' से सम्मानित किया गया हैं। मैं तुम्हें इस पुरस्कार प्राप्ति पर हार्दिक बधाई देता हूँ।

तुमने यह पुरस्कार पाकर परिवार के प्रत्येक सदस्य का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया हैं। हम सभी को तुम्हारी इस बहादुरी पर नाज हैं। तुमने जिस बहादुरी का प्रदर्शन करके अपने साथियों की जान बचाई थी, वह घटना निश्चय ही अदम्य वीरता की परिचायक हैं।

मैं आशा करता हूँ कि तुम भविष्य में इससे भी महान् कार्य कर देश का नाम रोशन करोगे।

एक बार पुनः बधाई एवं शुभाशीष।
तुम्हारा शुभचिन्तक,
राजेन्द्र सिंह

शोक/ सहानुभूति/ संवेदना प्रकट करने सम्बन्धी पत्र

शोक/संवेदना एवं सहानुभूति प्रकट करने सम्बन्धी पत्र ऐसी स्थिति में प्रेषित किए जाते हैं, जब सामने वाले पर दुःखों का पहाड़ टूटा हो, अथवा स्वयं पर विपदा आई हो। ये पत्र व्यक्ति को दुःख से उबरने, हिम्मत बाँधने, मुश्किल परिस्थितियों का डटकर सामना करने में सहायक होते हैं। अतः ऐसे पत्रों को लिखते समय भाषा-शैली पर विशेष ध्यान देना चाहिए। ये पत्र ह्रदयस्पर्शी, गम्भीर एवं संक्षिप्त होने चाहिए। पत्र का प्रत्येक शब्द आत्मीयता, सहृदयता एवं सहानुभूति से परिपूर्ण होना चाहिए। शोक, संवेदना एवं सहानुभूति प्रकट करने सम्बन्धी पत्रों के कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं-

(1) मित्र की माँ के आकस्मिक निधन पर शोक प्रकट करते हुए पत्र लिखिए।

बी-556 सेवानगर,
गुजरात।

दिनांक 26 मार्च, 20XX

परम प्रिय मित्र,
नमस्कार।

मुझे माताजी के आकस्मिक निधन की सूचना प्राप्त हुई। इस सूचना से मेरे हृदय में तीव्र आघात हुआ हैं, मेरी आँखों के आगे से माताजी की सूरत नहीं हट रही हैं। उनकी सौम्य ममता मुझे रुला रही हैं। मैं समझ सकता हूँ कि दुःख की इस घड़ी में तुम्हारे ऊपर क्या बीत रही होगी।

मित्र, मृत्यु पर किसी का वश नहीं चला हैं, क्योंकि यह एक कटु सत्य हैं कि जो इस संसार में आया हैं, उसे एक दिन यहाँ से जाना ही हैं। माता जी की मृत्यु अपूरणीय क्षति हैं। भगवान दिवंगत आत्मा को शान्ति प्रदान करे।

मित्र, दुःखों का जो पहाड़ तुम पर टूटा हैं, भगवान तुम्हें उसे सहन करने की शक्ति दे। मेरी सहानुभूति तुम्हारे साथ हैं।

तुम्हारा मित्र,
सुनील सोनकर

(2) अपने मित्र को बाढ़ के कारण हुए नुकसान पर सहानुभूति प्रकट करते हुए पत्र लिखिए।

एम-56,
रामनगर,
झाँसी।

दिनांक 15 जून, 20XX

प्रिय विजेन्द्र,
स्नेहिल नमन।

मित्र मुझे कल तुम्हारा पत्र मिला। पत्र में तुमने बीते दिनों तुम्हारे गाँव में आई बाढ़ का जिक्र करते हुए लिखा हैं कि इससे तुम्हारे घर को काफी नुकसान पहुँचा हैं। घर का ढेर सारा सामान बाढ़ की भेंट चढ़ गया हैं।

निःसन्देह यह तुम्हारे लिए एक दुःखद घटना हैं। मुझे भी इस बात का दुःख हैं। किन्तु प्रकृति के आगे किसका वश चलता हैं। तुम हिम्मत मत हारना। भगवान की कृपा से सब पहले की तरह ठीक हो जाएगा।

मैं तुम्हारी हर सम्भव मदद करने के लिए तैयार हूँ, मुझसे जो भी बन सकेगा, अवश्य करूँगा। मेरी पूर्ण सहानुभूति तुम्हारे और तुम्हारे परिवार के साथ हैं।

तुम्हारा मित्र,
श्याम सुन्दर

निमन्त्रण पत्र

निमन्त्रण पत्रों के अन्तर्गत कार्यक्रम आदि के लिए निमन्त्रण का समय, दिन, कार्यक्रम का विवरण आदि लिखा जाता हैं। सामाजिक जीवन में अनेक सुअवसरों पर निमन्त्रण पत्र लिखे जाते हैं। निमन्त्रण पत्र एक प्रकार से व्यक्ति को औपचारिक बुलावा होता हैं। निमन्त्रण पत्र की विशेषता यह हैं कि इसमें सभी के लिए समान सम्मान-सूचक सम्बोधन का प्रयोग किया जाता हैं। कुछ निमन्त्रण पत्रों के उदाहरण निम्नलिखित हैं-

(1) अपने जन्मदिन पर आयोजित कार्यक्रम में किसी संगीतकार को बुलवाने का आग्रह करते हुए अपने बड़े भाई को पत्र लिखिए।

145, ज्वाला नगर,
नई दिल्ली।

दिनांक 20 सितंबर, 20XX

आदरणीय भैया,
सादर प्रणाम।

मैं यहाँ कुशलपूर्वक रहते हुए आप सभी की कुशलता की कामना करता हूँ। मेरी पढ़ाई व्यवस्थित ढंग से चल रही हैं। मैं दुर्गापूजा की छुट्टी में घर आऊँगा तथा अपना जन्मदिन मनाने के उपरान्त वापस लौटूँगा। मैं अपने जन्मदिन (8 अक्टूबर) के अवसर पर कुछ गीत-संगीत कार्यक्रम का आयोजन करवाना चाहता हूँ, ताकि मेरे परिचितों को अधिक आनन्द आए और वे इसे कुछ दिनों तक याद भी रख सकें। मेरी इच्छा हैं कि किसी स्तरीय गायक एवं संगीतकार से जन्मदिन के कार्यक्रम के लिए बात करके, उसे सुनिश्चित कर दिया जाए। वह कोई बहुत लोकप्रिय या प्रसिद्ध संगीतकार न हो, लेकिन बजट के अन्तर्गत एक अच्छा संगीतकार अवश्य हो, जिससे सुनने वालों को स्वस्थ एवं सुकून देने वाला मनोरंजन प्राप्त हो सके।

इसमें आपकी तथा घर के अन्य लोगों की सहमति अति आवश्यक हैं। आशा करता हूँ कि जन्मदिन के लिए निर्धारित व्यय में ही यह कार्यक्रम सम्भव हो जाएगा। शेष मिलने पर। घर के सभी लोगों को मेरा यथोचित अभिवादन।

आपका अनुज
राकेश

(2) अपने मित्र को तीर्थ स्थल की यात्रा में साथ चलने का निमन्त्रण देते हुए पत्र लिखिए।

सराय रोहिल्ला,
दिल्ली।

दिनांक 17 मार्च, 20XX

प्रिय मित्र,
सस्नेह नमस्ते !

मित्र तुम कैसे हो? कई दिन हो गए, तुम्हारा कोई पत्र नहीं आया। अब तो तुम्हारी परीक्षाएँ भी समाप्त हो गई हैं। अब तो तुम्हें पत्र लिखना चाहिए था। मुझे तुम्हारे पत्र का बेसब्री से इन्तजार रहता हैं।

खैर, तुम्हें याद होगा, पिछली छुट्टियों में हमने मिलकर एक कार्यक्रम बनाया था कि परीक्षाओं के बाद हम वैष्णो देवी, जम्मू घूमने जाएँगे। अब परीक्षाएँ समाप्त हो गई हैं। मुझे लगता हैं अब हमें माता के दर्शन के लिए चलना चाहिए। मैंने अपने घर में इजाजत ले ली हैं। तुम भी जल्दी ही अपने घरवालों से पूछकर उनकी इच्छा मुझे बता दो, ताकि मैं ट्रेन की टिकटें बुक करा सकूँ।

अच्छा होगा, यदि इस बीच तुम कभी मेरे पास आओ, ताकि मिल-बैठकर सुविधानुसार हम पूरी योजना तैयार कर लें। मैं तुम्हारे पत्र की प्रतीक्षा करूँगा।

घर में माता-पिता को मेरा सादर नमस्कार तथा दीपू को स्नेह देना।

तुम्हारा मित्र,
अखिलेश यादव

(3) अपने मित्र को ग्रीष्मावकाश साथ बिताने के लिए निमन्त्रण पत्र लिखिए।

220, रामनगर,
उत्तराखण्ड।

दिनांक 24 मार्च, 20XX

प्रिय मित्र सुभाष,
सप्रेम नमस्ते।

कल शाम तुम्हारा स्नेहपूर्ण पत्र मिला। मुझे यह जानकर अत्यधिक प्रसन्नता हुई कि तुमने अपनी कक्षा में सर्वाधिक अंक प्राप्त कर स्वर्णपदक जीता हैं। कल ही मेरा भी परीक्षा-परिणाम घोषित हुआ था। मैंने अपनी कक्षा में द्वितीय स्थान प्राप्त किया हैं।

जैसा कि तुम जानते हो स्कूल में प्रत्येक वर्ष गर्मियों की छुट्टियाँ पड़ती हैं। हमारा विद्यालय भी 10 मई से 15 जुलाई तक के लिए बन्द हो रहा हैं। तुम्हारा स्कूल भी इस दौरान बन्द रहेगा। मैं चाहता हूँ कि छुट्टियों के दौरान एक सप्ताह के लिए तुम उत्तराखण्ड आ जाओ। एक-दो दिन यहाँ रहकर हरिद्वार और ऋषिकेश चलेंगे। इन दिनों यहाँ का मौसम काफी अच्छा होता हैं। मेरे चाचा जी आजकल हरिद्वार में ही हैं। अतः कोई परेशानी नहीं होगी। तुम अपने घर पर अपने माता व पिताजी से विचार विमर्श करके अपने आने के कार्यक्रम की अविलम्ब सूचना देना।
पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में,

तुम्हारा परम मित्र,
राकेश रावत

खेद सम्बन्धी पत्र

खेद सम्बन्धीपत्रों को लिखने की आवश्यकता तब महसूस होती हैं, जब एक व्यक्ति किसी के द्वारा मिले निमन्त्रण पर पहुँचने की स्थिति में नहीं होता। अथवा जब तमाम कोशिशों के बाद भी एक व्यक्ति किसी की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरता, तब भी खेद पत्र लिखा जा सकता हैं। इसके अतिरिक्त जब एक व्यक्ति किसी के कार्यों से सन्तुष्ट नहीं होता, तब भी खेद पत्र लिखा जाता हैं।

कुछ खेद सम्बन्धी पत्र इस प्रकार हैं-

(1) अपने मित्र की शादी में न पहुँच पाने की असमर्थता बताते हुए खेद सम्बन्धी पत्र लिखिए।

15/2, अलीपुर,
दिल्ली।

दिनांक 15 फरवरी, 20XX

प्रिय मित्र सुधांशु,
सप्रेम नमस्कार।

मित्र सबसे पहले मैं तुम्हें तुम्हारी शादी की ढेरों शुभकामनाएँ देना चाहूँगा। मुझे खेद हैं कि मैं तुम्हारी शादी में पहुँच नहीं सका। हालाँकि मुझे तुम्हारी शादी का निमन्त्रण पत्र समय पर मिल गया था, किन्तु काम की व्यस्तताओं में मैं इतना उलझा हुआ था कि चाहकर भी समय नहीं निकाल सका।

जिस दिन तुम्हारी शादी थी, उसी दिन मुझे कम्पनी के काम से दिल्ली से बाहर जाना पड़ा था। यदि मैं नहीं जाता, तो कम्पनी का बहुत बड़ा नुकसान हो सकता था।

मित्र, मैं समझता हूँ तुम मेरी विवशताओं को समझोगे। एक बार पुनः मैं तुम्हें शादी की शुभकामनाएँ देता हूँ। भाभी को मेरा नमस्कार कहिएगा।

शुभकामनाओं सहित।

तुम्हारा अभिन्न मित्र,
राकेश मेहरा

(2) अपने चाचा जी को पत्र लिखिए, जिसमें पर्वतीय स्थलों पर घूमने हेतु चाचा जी के आमन्त्रण पर न पहुँच पाने के लिए खेद प्रकट किया हो।

15, महेन्द्रगढ़,
राजस्थान।

दिनांक 16 अगस्त, 20XX

पूजनीय चाचा जी,
सादर चरण स्पर्श।

पिछले दिनों मुझे आपका पत्र मिला। पत्र में आपने मुझे हिमाचल आकर घूमने का निमन्त्रण दिया हैं। इसके लिए मैं आपका धन्यवाद करना चाहूँगा।

चाचा जी, मेरी तमन्ना भी हिमाचल घूमने की हैं। वहाँ की पर्वतों से घिरी सुन्दर, आकर्षक वादियों का मैं भी लुत्फ उठाना चाहता हूँ।

मेरे कई दोस्त हिमाचल घूम कर आ चुके हैं। उनके मुँह से मैंने वहाँ की काफी तारीफ सुनी हैं। मेरा भी मन हैं कि मैं भी वहाँ आकर आपके साथ हिमाचल घूमकर वहाँ की वादियों का आनन्द लूँ। किन्तु मुझे खेद हैं कि मैं अभी वहाँ नहीं आ सकता। अगले महीने मेरी अर्द्धवार्षिक की परीक्षाएँ होने वाली हैं। इस समय मेरा पूरा ध्यान उन्हीं परीक्षाओं की तैयारी पर हैं। मैं परीक्षाओं में अच्छे अंक प्राप्त करना चाहता हूँ।

चाचा जी, परीक्षाओं के बाद दशहरा की छुट्टियों में मैं हिमाचल जरूर आना चाहूँगा।

चाची जी को चरण-स्पर्श, रोहन-मोहन को प्यार।

आपका भतीजा,
राजेश कुमार

(3) पिताजी को अपनी गलती के लिए क्षमा-याचना करते हुए पत्र लिखिए।

18, दरियागंज,
दिल्ली।

दिनांक 16 मार्च, 20XX

पूजनीय पिताजी,
सादर चरण-स्पर्श।

मैं इस पत्र के माध्यम से पिछले दिनों हुई अपनी गलती के लिए माफी माँगना चाहता हूँ। पिछले दिनों मैंने अपने पत्र में क्रोधवश बड़े भैया के लिए कुछ अनुचित शब्दों का प्रयोग किया था। पत्र पढ़कर भैया को दुःख पहुँचा। इसका मुझे खेद हैं।

मेरे मन में बड़े भैया के लिए सदैव आदर का भाव रहा हैं। परन्तु मैंने भ्रमवश उनके हृदय को ठेस पहुँचाने का अक्षम्य अपराध किया हैं।

मैं अपनी भूल के लिए भाई साहब से तथा आपसे क्षमा-याचना करता हूँ। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि भविष्य में ऐसी गलती मुझसे भूलकर भी नहीं होगी। आशा हैं कि आप मुझे अबोध जान कर क्षमा कर देंगे।

माताजी को चरण-स्पर्श तथा पूनम को प्यार।

आपका पुत्र,
रमन कुमार

ई-मेल (ई-पत्र)

ई-मेल दो शब्दों के मेल से बना है 'ई + मेल', से अभिप्राय है- इलेक्ट्रॉनिक जबकि मेल का हिन्दी पर्याय है- डाक। इस प्रकार कहा जा सकता है कि विद्युत के वेग समान भेजी जाने वाली डाक, इलेक्ट्रॉनिक मेल अथवा ई-मेल कहलाती है।

अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार शब्द के रूप में प्रयोग में लाए जाने वाले संचार के रूपों में से ई-मेल भी एक रूप है। ई-मेल का प्रयोग बड़े पैमाने पर विशेष रूप से होता है। अनुरोध करने, सिफारिशों, निर्देश, बैठक आदि कार्यों एवं संवाद स्थापित करने में ई-मेल का प्रयोग किया जाता है। ई-मेल राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर क्रेता और विक्रेता के बीच संचार का सस्ता व सर्वोत्तम माध्यम है।

आज कम्प्यूटर के दौर में ई-मेल के द्वारा ऑनलाइन-पत्र भेजे जाते हैं। ऑनलाइन भेजे जाने वाले पत्र पलक झपकते ही अपने गन्तव्य तक पहुँच जाते हैं। इस प्रकार पत्र को इन्टरनेट की सहायता से ई-मेल के द्वारा 'प्रेषिती' (प्राप्तकर्ता) तक पहुँचाना 'ऑनलाइन पत्र' या 'ई-पत्र' कहलाता है। ऑनलाइन पत्र भेजने के लिए प्रेषक व प्रेषिती दोनों के पास अपना वैध 'ई-मेल' आइडी होनी अनिवार्य है। ई-मेल के जरिए न सिर्फ सन्देशों का बल्कि डिजिटल दस्तावेजों, वीडियो आदि को अटैच (संलग्न) करके किसी दूसरे ई-मेल पते पर भेजा एवं प्राप्त किया जाता है। वर्तमान समय में सैकड़ों वेबसाइट हैं जो ई-मेल आइडी बनाने की सुविधा उपलब्ध कराती हैं- जी-मेल, याहू, रेडिफ मेल, हॉट मेल आदि।

ई-मेल पते के घटक

ई-मेल पते के तीन घटक पर होते हैं- यूजर नेम (उपयोगकर्ता का नाम), प्रतीक (@) एवं डोमेन नेम (जी-मेल, याहू, हॉट मेल आदि)। उदाहरण के तौर snehagupta@gmail.com में snehagupta यूजर नेम है, @ अपने आप में प्रतीक है, जबकि gmail.com डोमेन नेम है।

ई-मेल की आवश्यकता

(i) आज जीवन में प्रतिदिन के कार्यों में व एक-दूसरे से सम्पर्क स्थापित करने हेतु ई-मेल की आवश्यकता होती है।

(ii) कम्पनी की उत्पादनकर्ता का ग्राहकों अथवा उपभोक्ताओं के साथ सम्बन्ध स्थापित करने के लिए ई-मेल की आवश्यकता होती है। उपभोक्ता शीघ्र ही कम्पनी को उत्पाद से सम्बन्धित समस्याओं से अवगत करा सकता है तथा अपने सुझाव भी दे सकता है।

(iii) जानकारी अथवा सन्देश को किसी भी व्यक्ति तक अति शीघ्र पहुँचाने के लिए ई-मेल की आवश्यकता होती है।

(iv) माउस के एक क्लिक से अपनी शिकायतों, समस्याओं, निमन्त्रण, शुभकामनाओं को सम्बन्धित व्यक्ति तक पहुँचाने के लिए ई-मेल को प्रयोग में लाया जाता है।

(v) ई-मेल एक सुविधाजनक संचार पद्धति है। इसके माध्यम से बिना किसी असुविधा के दुनिया के किसी भी कोने में बैठे व्यक्ति, सगे-सम्बन्धियों से सम्पर्क स्थापित करने के लिए ई-मेल की आवश्यकता होती है।

(vi) ई-मेल के द्वारा कम खर्च एवं कम समय में सन्देश पहुँचाया व प्राप्त किया जा सकता है।

(vii) ई-मेल के सरल व त्वरित संचार का माध्यम होने के कारण आज ई-मेल की उपयोगिता बहुत बढ़ गई है। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी ई-मेल एक प्रभावी साधन है।

 

पत्र-लेखन व ई-मेल में अन्तर

पत्र-लेखन व ई-मेल में कुछ मुख्य अन्तर निम्नलिखित है-

(i) पत्र-लेखन में डाक द्वारा प्रेषक अपने पत्र को प्रेषित करता है तथा ई-मेल एक इलेक्ट्रॉनिक माध्यम है जिसमें प्रेषक कम्प्यूटर एवं इन्टरनेट के माध्यम से ई-मेल द्वारा अपने सन्देश व पत्र को प्रेषित करता है।

(ii) पत्र-लेखन में प्रेषक लिखित रूप में स्वयं अपनी हस्तलिपि में लिखता है जिसमें वैयक्तिक स्पर्श का आभास होता है, जबकि ई-मेल में ऐसा नहीं होता।

(iii) पत्र-लेखन में प्रेषक व पत्र प्राप्तकर्ता के घर का पता होना अनिवार्य होता है, जबकि ई-मेल में प्रेषक व प्रेषिती (प्राप्तकर्ता) का वैध ई-मेल अकाउण्ट होना अनिवार्य होता है।

(iv) पत्र-लेखन में प्रेषक द्वारा भेजे गए पत्र को प्राप्तकर्ता तक पहुँचने में समय लगता है, जबकि ई-मेल सन्देश पहुँचाने व प्राप्त करने का त्वरित माध्यम है।

(v) डाक द्वारा भेजे गए पत्र का तुरन्त उत्तर नहीं दिया जा सकता जबकि ई-मेल का तुरन्त उत्तर दिया जा सकता है।

ई-मेल का मुख्य भाग

ई-मेल को सिलसिलेवार क्रम में प्रस्तुत किया जाता है अथवा लिखा जाता है, वे ई-मेल के भाग कहलाते हैं। सामान्यतः ई-मेल के भाग निम्नलिखित होते हैं-

(1) आरम्भ- ई-मेल के प्रारम्भ में सन्देश प्राप्तकर्ता अथवा प्रेषिती का पता लिखा जाता है। 'To' के अन्तर्गत जिस व्यक्ति को ई-मेल भेजा जा रहा है उसका ई-मेल पता लिखा जाता है; जैसे- To : nehasharma@gmail.com

यदि एक से अधिक अर्थात तीन व्यक्तियों को ई-मेल भेजना है तो To में जाकर ई-मेल आइडी का प्रयोग कर तीनों को ई-मेल भेज सकते हैं। 'To में जाकर ई-मेल आइडी का प्रयोग कर तीनों को ई-मेल भेज सकते हैं। 'To' करने से तीनों में से किसी को भी यह ज्ञात नहीं हो पाएगा कि अन्य दो व्यक्ति कौन हैं? जिन्हें यह ई-मेल भेजा गया है।

CC का अर्थ है कार्बन कॉपी (Carbon Copy)। इसके अन्तर्गत यदि एक व्यक्ति को ई-मेल भेजना है और यदि आप चाहते हैं कि अन्य दो लोगों को यह पता रहे क्या भेजा है तब अन्य दो लोगों का ई-मेल पता CC में डाल सकते हैं जिससे सबका ई-मेल भी एक दूसरे को दिख जाएगा।

BCC का अर्थ है ब्लाइंड कार्बन कॉपी (Blind Carbon Copy)BCC करने से ई-मेल जिस-जिस को किया गया हैं वह किसी को भी ज्ञात नहीं होता है, गुप्त रहता है।

(2) विषय- ई-मेल के दूसरे भाग विषय अथवा सब्जेक्ट के अन्तर्गत जिस सन्देश को लिखा जा रहा है। उसे संक्षेप में इसके अन्तगर्त बताया जाता है; जैसे- होली की शुभकामनाएँ।

(3) सन्देश- इसके अन्तर्गत मूल विषय का विस्तारपूर्वक वर्णन किया जाता है। मूल विषय ध्यानपूर्वक इसके अन्तर्गत लिखा जाता है तथा अनुच्छेदों (पैराग्राफ) के मध्य थोड़ी जगह भी छोड़ी जाती है।

(4) अटैचमेन्ट- सन्देश प्रेषित करते समय यदि किसी दस्तावेज को सन्देश अथवा पत्र आदि के साथ संलगित करना होता है तो अटैचमेन्ट के द्वारा उसे सन्देश अथवा पत्र के साथ भेजा जाता है। ध्यान रहे अटैचमेन्ट का प्रयोग तभी किया जा सकता है जब वह दस्तावेज कम्प्यूटर में सुरक्षित (सेव) हो।

(5) अन्त- ई-मेल में अन्त में जब सन्देश लिखा जा चुका हो तथा आवश्यकता पड़ने पर अटैचमेन्ट लगाई जा चुकी हो तत्पश्चात् सम्बन्धित व्यक्ति को सन्देश प्रेषित करने के लिए सेंड (Send) के विकल्प का प्रयोग किया जाता है। सेंड के एक क्लिक करने से प्रस्तुत ई-मेल सम्बन्धित व्यक्ति/व्यक्तियों तक पहुँच जाएगी जिसका ई-मेल लिखा गया है।

 

 

ई-मेल के प्रकार

ई-मेल का प्रयोग वैयक्तिक अथवा निजी प्रयोग हेतु किया जाता है तथा व्यापार एवं कार्यालय के प्रयोग हेतु अपनी शिकायत, समस्या, उत्पाद खरीदने आदि के लिए भी किया जाता है। इस प्रकार ई-मेल के दो प्रकार होते हैं-

(1) औपचारिक ई-मेल (Formal E-mail)

(2) अनौपचारिक ई-मेल (Informal E-mail)

(1) औपचारिक ई-मेल

औपचारिक ई-मेल उन लोगों को भेजे जाते हैं जिनसे हमारा कोई निजी या पारिवारिक सम्बन्ध नहीं होता। किसी संस्था, अधिकारी, व्यापारियों आदि से सम्पर्क स्थापित करने के लिए भेजे जाने वाले ऑनलाइन सन्देश एवं पत्रों को औपचारिक ई-मेल कहा जाता है।

औपचारिक ई-मेल करते समय ध्यान रखने योग्य बातें

(i) ई-मेल भेजने के प्रारम्भ में जिसे सन्देश प्रेषित करना होता है, उसका सही व वैध ई-मेल पता लिखा जाना चाहिए।

(ii) औपचारिक ई-मेल भेजते समय ई-मेल प्राप्तकर्ता के लिए श्रीमान, मान्यवर, महोदय आदि आदर सूचक शब्दों का प्रयोग किया जाता है।

(iii) औपचारिक ई-मेल करते समय विषय-वस्तु को कम शब्दों में लिखने का प्रयास करना चाहिए।

(iv) अनुच्छेद के बीच में उचित स्थान दिया जाना चाहिए।

(v) ई-पत्र लिखते समय आवश्यकता पड़ने पर महत्त्वपूर्ण बातों के लिए बुलेट्स आदि का प्रयोग किया जा सकता है।

(vi) ई-मेल द्वारा भेजे गए औपचारिक पत्र में आदर सहित आदि लिखकर पत्र का अन्त या समापन करना चाहिए।

(vii) ई-मेल भेजने से पूर्व अन्त में ध्यानपूर्वक पुनः ई-मेल को पढ़ लेना चाहिए।

 

(1) ए.टी.एम. कार्ड न मिलने की शिकायत सम्बन्धी ई-पत्र लिखिए।

 

To< debitcard@bobcards.com >

Subject: एटीएम कार्ड न मिलने की शिकायत

सेवा में,

श्रीमान महाप्रबन्धक,

बैंक ऑफ बड़ौदा,

शहीद भगत सिंह मार्ग,

कोलाबा, मुम्बई-400001

 

महोदय,

मेरा खाता नं. ....... हैं। मैंने एक माह पहले ए.टी.एम. कार्ड के लिए आवेदन किया था, किन्तु यह मुझे अभी तक नहीं मिल सका है। कृपया बताएँ इस देरी की क्या वजह है।

 

आपसे निवेदन है कि आप मेरा ए.टी.एम. कार्ड शीघ्र से शीघ्र मेरे पते पर भेजने का कष्ट करें।

 

धन्यवाद।

 

भवदीय,

पीयूष कुमार

अनौपचारिक ई-मेल

अपने सगे-सम्बन्धियों, मित्रों, पारिवारिक सदस्यों को सुख-दुःख, हर्ष, उत्साह, निमन्त्रण, शुभकामनाओं आदि को भेजने व प्राप्त करने वाले ऑनलाइन पत्र अथवा सन्देश को अनौपचारिक ई-मेल की श्रेणी में रखा जाता हैं। अनौपचारिक ई-मेल की भाषा आत्मीय और हृदय को स्पर्श करने वाली होती है।

अनौपचारिक ई-मेल करते समय ध्यान रखने योग्य बातें

(1) ई-मेल भेजने के प्रारम्भ में जिसे सन्देश प्रेषित करना होता है, उसका सही व वैध ई-मेल पता लिखा जाना चाहिए।

(2) अनौपचारिक ई-मेल भेजते समय ई-मेल प्राप्तकर्ता के लिए श्रीमान, प्रिय, आदरणीय आदि आदर सूचक शब्दों का प्रयोग किया जाता है।

(3) अनौपचारिक ई-मेल में सन्देश अथवा पत्र को कम-से-कम शब्दों में लिखने का प्रयास करना चाहिए। ई-मेल द्वारा पत्र अथवा सन्देश लिखते समय उतना ही लिखने का प्रयास करें जितना एक स्क्रीन पर दिखाई दे सके।

(4) प्रत्येक अनुच्छेद के बीच में उचित स्थान रखने का प्रयास करना चाहिए।

(5) ई-पत्र में ई-पत्र लिखते समय आवश्यकता पड़ने पर महत्त्वपूर्ण बातों के लिए बुलेट्स आदि का प्रयोग किया जा सकता है। अन्त में अपना नाम लिखकर ई-मेल भेजने से पूर्व एक बार ध्यानपूर्वक पुनः पढ़ा जाना चाहिए।

अनौपचारिक ई-मेल के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं-

(1) मित्र को अच्छे अंक प्राप्त करने की बधाई देते हुए ई-पत्र लिखिए।

 

To< archanagupta@gmail.com >

Cc<

Subject: ढेरों शुभकामनाएँ

प्रिय स्नेहा,

 

तुमने प्रतियोगी परीक्षा में बहुत अच्छे अंक प्राप्त किए। तुम्हारा चयन हो जाने का समाचार सुनकर मुझे बहुत प्रसन्नता हुई। इसके लिए तुम्हें मेरी ओर से ढेरों शुभकामनाएँ! तुम इसी तरह अपने जीवन में प्रगति करती रहो, मेरी ईश्वर से यही कामना है।

 

तुम्हारा मित्र,

ऋतिक

विशिष्ठ पत्र

कुछ विशिष्ट पत्रों के अन्तर्गत हम आपको ऐसे पत्रों से रूबरू करा रहे हैं, जो किसी विशिष्ट व्यक्ति द्वारा लिखे गए हैं। इनमें महात्मा गाँधी, पण्डित मोतीलाल नेहरू, शहीद भगतसिंह, हरिवंश राय बच्चन आदि के पत्र शामिल किए गए हैं। यहाँ ऐसे पत्रों के कुछ उदाहरण दिया जा रहा हैं-

 

(1) राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी द्वारा श्री जमनालाल बजाज को लिखा गया पत्र।

 

23 अगस्त, 1924

 

चि. जमनालाल,

 

मैं इस वक्त ट्रेन में हूँ। दिल्ली से वापस आश्रम जा रहा हूँ। दिल्ली में समझौते की बातें चल रही हैं। मोतीलाल का पत्र नहीं आया। तुम्हारे प्रान्त में शुद्ध रीति से जो हो, वह होने दो। हम तटस्थ रहकर अपना काम करते रहें, इतना ही जरूरी है।

 

घनश्याम दास दिल्ली में नहीं थे, उनकी ओर से रुपये मिल गए थे। वे रुपये बिना खर्च की किसी प्रकार तुम्हें भेजे जाएँ, यह लिखकर पूछने के लिए छगनलाल को कहा है। साथ में महादेव, देवदास और प्यारेलाल हैं।

 

(2) प्रसिद्ध कवि डॉ. हरिवंश राय बच्चन द्वारा अपने मित्र मोहन, जो कि पाकिस्तान जेल में बन्द थे, की माँ को लिखा गया पत्र।

 

बी-191

ग्रेटर कैलाश-।,

नई दिल्ली-48

 

दिनांक 28-11-74

 

पूज्य माँ जी,

प्रणाम।

 

परसों आपका पत्र मिला। परसों ही मैंने प्रधानमन्त्री के निजी सचिव श्री बी.एन. टण्डन को फोन किया। उन्होंने विदेश मन्त्रालय के श्री रामन से सूचना माँगी।

 

जो सूचना उनके पास आई, उन्होंने मेरे पास भेज दी। मैं वही कागज आपके पास भेज रहा हूँ। किसी से पढ़वा लें।

 

जैसे इतने दिन कष्ट-धैर्य से काट दिए, कुछ दिन और काट लें। मुझे जैसे ही कोई सूचना मिलेगी आपको दूँगा; आपको मिले तो मुझे दें।

 

मैं भी मोहन जी के शीघ्र घर आने के लिए चिन्तित हूँ और भगवान से प्रार्थना करता हूँ।

(3) भाई कुलबीर के नाम भगत सिंह द्वारा लिखा गया अन्तिम पत्र।

 

सैण्ट्रल जेल,

लाहौर।

 

दिनांक 3 मार्च, 1931

 

प्रिय कुलबीर सिंह,

तुमने मेरे लिए बहुत कुछ किया है। तुमने खत के जवाब में कुछ लिख देने के लिए कहा। मैं कुछ अल्फाज (शब्द) लिख रहा हूँ- मैंने किसी के लिए कुछ नहीं किया, तुम्हारे लिए भी कुछ नहीं। अब तुम्हें मुसीबत में छोड़कर जा रहा हूँ। तुम्हारी जिन्दगी का क्या होगा? तुम गुजारा कैसे करोगे? यह सब सोचकर ही काँप जाता हूँ, मगर भाई हौंसला रखना, मुसीबत से कभी मत घबराना। मेहनत से बढ़ते जाना। अगर कोई काम सीख सको तो बेहतर होगा लेकिन सब कुछ पिताजी की सलाह से ही करना। मेरे अजीज, प्यारे भाई जिन्दगी बहुत कठिन है। सभी लोग बेरहम है। सिर्फ मुहब्बत और हौंसले से ही गुजारा हो सकता है। अच्छा भाई अलविदा.....।

 

तुम्हारा अग्रज

भगत सिंह

 

(4) पं. मोतीलाल नेहरू द्वारा अपने पुत्र जवाहरलाल नेहरू को लिखा गया पत्र।

 

बनारस,

कांग्रेस कैम्प,

 

दिनांक 28 दिसम्बर, 1905

 

प्रिय जवाहर,

नमस्कार।

 

मैं कांग्रेस के कार्यक्रम में भाग ले रहा हूँ, यह उपर्युक्त पते से ही आपको ज्ञात हो गया होगा। मैं यहाँ खासतौर से गोखले जी का भाषण सुनने आया था, जो मैं गत वर्ष नहीं सुन सका। उनका भाषण सुनियोजित तथा प्रशंसनीय था, फिर भी मुझे उसमें कोई असाधारण बात दिखाई नहीं पड़ी। 'इण्डियन पीपुल' की प्रति मैं भेज रहा हूँ, उसमें तुम्हें पूरा भाषण पढ़ने को मिल जाएगा। आज मैंने सुरेन्द्रनाथ जी का भाषण सुना तथा कल मैं इलाहाबाद वापस चला जाऊँगा। अब देखने-सुनने लायक कोई नई बात नहीं रह गई है। मुझे पता चला है कि लगाई गई प्रदर्शनी में कोई खास बात नहीं है। मैंने अभी तक यद्यपि देखी नहीं है, किन्तु यह पत्र लिख चुकने के बाद मैं उसे देखने जाऊँगा।

 

मैं बड़ी उत्सुकता से यह जानने की प्रतीक्षा में था कि पैर में मोच आ जाने के कारण तुम्हें फुटबॉल नहीं खेलना पड़ेगा। हैरो का डॉक्टर कभी तुम्हें नहीं छोड़ता, यदि चोट मालूम होती। तुम्हारा अगला पत्र मिलने पर पूरी जानकारी प्राप्त कर प्रसन्नता होगी।

 

इलाहाबाद से यहाँ आते समय तुम्हारी माँ की तबीयत बिलकुल ठीक थी। लखनऊ मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास प्रिंस ऑफ वेल्स द्वारा किया गया। समारोह भव्य था। मुझे वेल्स के राजकुमार तथा राजकुमारी को काफी निकट से देखने का मौका मिला था।

नीचे कुछ विशिष्ठ पत्र लेखन दिया जा रहा है-

अपने पिता को एक पत्र लिखिए जिसमें पूरे परिवार के व्यवहार के लिए एक टीवी खरीदने के लिए अनुरोध कीजिए

 

स्टेशन रोड,

भागलपुर

15 फरवरी, 1988

 

पूज्यवर पिताजी,

 

मुझे आपका पत्र अभी-अभी मिला। मुझे यह जानकर ख़ुशी है कि आप अगले महीने में घर आ रहे हैं। मैं आपको कुछ कष्ट देना चाहता हूँ। मैं चाहता हूँ कि हमारे घर में एक टीवी रहे। गत वर्ष मैंने आपसे टीवी खरीदने के लिए अनुरोध किया था, लेकिन आपने उसे स्वीकार नहीं किया। आप मुझसे सहमत होंगे कि टीवी एक बहुत उपयोगी चीज है। यदि हमारे घर में टीवी हो तो हम समाचार, फ़िल्म, क्रिकेट और कई प्रकार के मनोरंजन कर सकते हैं।

टीवी मनोरंजन का एक अच्छा साधन है। इससे हमारा बहुत मनोरंजन होगा। इसका शिक्षाणात्मक महत्त्व भी है। विभित्र कार्यक्रमों को देखकर मैं बहुत बातें सीख सकता हूँ। यदि हमारे पास टीवी हो तो वह पुरे परिवार के लिए उपयोगी होगा। माताजी औरतों के कार्यक्रम को पसंद करेंगी। वे भागवत देखना चाहेंगी। मैं टीवी देखकर बहुत-कुछ सीखूँगा। मनोज बच्चों के कार्यक्रम देखकर खुश होगा।

 

आप देख सकते है कि टीवी हमारे परिवार के लिए आवश्यक है। क्या आप जब घर आएँगे तब कृपा करके एक टीवी खरीद देंगे ?अब टीवी की कीमत अधिक नहीं रही। सस्ते टीवी से भी काम चल जाएगा। मुझे विश्र्वास है कि आप परिवार के व्यवहार के लिए एक टीवी खरीद देंगे।

अत्यंत आदर के साथ,

 

आपका स्त्रेही

प्रकाश

पता-श्री देवेंद्र प्रसाद सिंह,

15 पार्क स्ट्रीट,

कलकत्ता-8

आप एक साइकिल खरीदना चाहते हैं। अपने पिता को एक पत्र लिखिए जिसमें साइकिल खरीदने के लिए कुछ रुपए भेजने के लिए उनसे अनुरोध कीजिए।

 

महात्मा गाँधी रोड,

जमालपुर

27 फरवरी, 1988

 

पूज्यवर पिताजी,

 

करीब एक महीने से मुझे आपका कोई पत्र नहीं मिला है। मुझे डर है कि आप मुझ पर रंज हैं।

 

आप जानते है कि मुझे पैदल स्कूल जाना पड़ता है। मुझे प्रतिदिन चार मील पैदल चलना पड़ता है। मुझे प्रातः काल 9 बजकर 15 मिनट पर स्कूल के लिए रवाना होना पड़ता है। मुझे सुबह में अध्ययन के लिए अधिक समय नहीं मिलता। जब मैं स्कूल से लौटता हूँ तब मैं बहुत थका हुआ रहता हूँ। इसलिए मैं शाम में मन लगाकर नहीं पढ़ सकता।

 

यदि मेरे पास एक साइकिल रहे तो मैं काफी समय और शक्ति बचा सकता हूँ। मैं साइकिल चलाना अच्छी तरह जानता हूँ। मैं भीड़वाली सड़कों पर भी साइकिल चला सकता हूँ। क्या आप कृपा करके मुझे एक साइकिल खरीद देंगे ? आप मुझसे सहमत होंगे कि मेरे लिए साइकिल आवश्यक है। मैं कीमती साइकिल लेना नहीं चाहता। सस्ती साइकिल से भी काम चल जाएगा।

 

कृपा करके मुझे पाँच सौ रुपए भेज दें जिससे मैं एक साइकिल खरीद सकूँ।

माँ को मेरा प्यार। अत्यंत आदर के साथ,

 

आपका स्त्रेही,

मोहन

पता- श्री महेंद्र प्रसाद,

जलकद्यरबाग,

पटना-8

 

एक पत्र में अपने पिता को टेस्ट परीक्षा में अपनी सफलता और बोर्ड परीक्षा के लिए अपनी तैयारी के बारे में लिखिए।

 

गोविंद मित्र रोड

पटना-4

5 दिसंबर, 1987

 

पूज्यवर पिताजी,

 

आपके लिए एक खुशखबरी है। आपको यह जानकर ख़ुशी होगी कि मैं टेस्ट परीक्षा में अपने वर्ग में प्रथम हुआ।

 

मेरी बोर्ड परीक्षा 9 मार्च 1998 से प्रारंभ होगी। बोर्ड परीक्षा की तैयारी करने के लिए मेरे पास काफी समय है। मैं अपने समय का अच्छी तरह उपयोग करना चाहता हूँ। मैंने अपनी पाठ्यपुस्तकों को अच्छी तरह पढ़ लिया है। अब मैं प्रत्येक विषय में कुछ संभावित प्रश्र तैयार कर रहा हूँ। मैंने अपने अध्ययन के लिए एक कार्यक्रम बना लिया है। मैं प्रत्येक विषय को अच्छी तरह तैयार कर रहा हूँ। मैं लिखने के काम में काफी समय लगाता हूँ। मैं उम्मीद करता हूँ कि जनवरी के अंत तक मैं अपनी तैयारी खत्म कर लूँगा। तब मैं अपनी पाठ्यपुस्तकों को दुहराऊँगा।

 

मेरे शिक्षक को उम्मीद है कि मैं बोर्ड परीक्षा में अच्छा स्थान प्राप्त करूँगा। मैं आशा करता हूँ कि मेरा परीक्षाफल उनकी उम्मीद के अनुसार होगा।

 

कृपया माताजी को मेरा प्रणाम कह देंगे।

 

आपका स्त्रेही,

अशोक

पता- श्री विनोद कुमार शर्मा

स्टेशन रोड,

दरभंगा

 

आप परीक्षा समाप्त होने के बाद एक मित्र के घर जाना चाहते हैं। इसके लिए अनुमति माँगने के लिए अपने पिता को एक पत्र लिखिए।

 

गर्दनीबाग,

पटना-1

22 फरवरी, 1998

 

पूज्यवर पिताजी,

 

मुझे आपका पत्र अभी मिला है। आपने मुझे परीक्षा के बाद घर आने को कहा है। मुझे आपको यह कहने में दुःख है कि मैं तुरन्त ही घर जाना नहीं चाहता।

 

मेरे एक मित्र ने मुझे परीक्षा के बाद अपने घर जाने को कहा है। उनके पिता बरौनी में रहते है। मैं अपने मित्र के घर जाना चाहता हूँ। मैं कभी भी बरौनी नहीं गया हूँ। मैं तेलशोधक कारखाना देखना चाहता हूँ। मेरे मित्र ने मुझे विश्र्वास दिलाया है कि वह मुझे तेलशोधक कारखाना दिखलाएगा।

 

परीक्षा समाप्त होने के बाद मैं बहुत थका रहूँगा। मैं सोचता हूँ कि अपने मित्र के घर जाने से मेरा मनोरंजन होगा। मैं अपने मित्र के घर पर तीन या चार दिनों तक रहूँगा। तब मैं घर जाऊँगा।

 

कृपया परीक्षा समाप्त होने के बाद मुझे अपने मित्र के घर जाने की अनुमति अवश्य दें। यदि आप मुझे अपनी अनुमति नहीं देंगे तो मेरा मित्र निराश हो जाएगा।

 

आपका प्रिय पुत्र,

योगेंद्र

पता- श्री महेंद्र शर्मा

15 सिविल लाइंस

गया

एक पत्र में अपने पिता को बताइए कि आप माध्यमिक विद्यालय परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद क्या करना चाहते हैं।

 

राजेंद्रनगर,

पटना- 16

2 मार्च, 1998

 

पूज्यवर पिताजी,

 

मुझे आपका पत्र अभी मिला है। आपने मुझे यह बतलाने को कहा है कि मैं माध्यमिक विद्यालय परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद क्या करना चाहता हूँ।

अब बोर्ड परीक्षा होने में आधा महीना ही बाकी है। मैं परीक्षा के लिए कठिन परिश्रम कर रहा हूँ। आप चाहते है कि मैं बोर्ड परीक्षा में अच्छा करूँ और मैं सोचता हूँ कि मेरा परीक्षाफल आपकी उम्मीद के अनुकूल होगा। मैं जानता हूँ कि इस परीक्षा में मेरी सफलता पर ही मेरा भविष्य निर्भर करता है। इसलिए मैं लगातार परिश्रम कर रहा हूँ।

मैं माध्यमिक विद्यालय परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद पटना विज्ञान महाविद्यालय में प्रवेश करना चाहता हूँ। आप जानते है कि यह हमारे राज्य में सबसे अच्छा महाविद्यालय है। मैंने अपने एक मित्र से सुना है कि इसमें अच्छी प्रयोगशालाएँ हैं। इस महाविद्यालय में अनेक विख्यात प्राध्यापक हैं। मैं जानता हूँ कि इस महाविद्यालय में केवल तेज छात्रों का ही नाम लिखा जाता है। मुझे उम्मीद है कि इस महाविद्यालय में मेरा नाम लिखा जाएगा।

आप जानते है कि मैंने माध्यमिक विद्यालय परीक्षा में जीवविज्ञान लिया है। मैं डॉक्टर बनना चाहता हूँ, लेकिन मेडिकल कॉलेज में प्रवेश करने के पहले मुझे आई० एस० सी० की परीक्षा में उत्तीर्ण होना पड़ेगा। मैं सोचता हूँ कि माध्यमिक विद्यालय परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद पटना विज्ञान महाविद्यालय में प्रवेश करना मेरे लिए अच्छा होगा।

क्या आप मेरे विचार को पसंद करते हैं ? यदि आप इसे पसंद नहीं करते तो कृपया लिखें।

 

आपका स्त्रेही,

अजय

पता- श्री अजय कुमार बोस,

तातारपुर,

भागलपुर-2

 

आपकी परीक्षा कुछ ही दिनों में होनेवाली है, लेकिन आपकी तैयारी अच्छी नहीं है। अपने पिता को एक पत्र लिखिए जिसमे अगले वर्ष परीक्षा में शरीक होने की अनुमति के लिए उनसे अनुरोध कीजिए।

 

मीठापुर,

पटना-1

5 मार्च, 1988

 

पूज्यवर पिताजी,

 

मेरी बोर्ड परीक्षा 9 मार्च से शुरू होगी। आपको यह जानकर अत्यंत दुःख होगा कि परीक्षा के लिए मेरी तैयारी अच्छी नहीं है।

यद्यपि परीक्षा के लिए मैं कठिन परिश्रम करता रहा हूँ, फिर भी मैंने सभी विषयों को अच्छी तरह तैयार नहीं किया है। मैं अँगरेजी और भौतिक विज्ञान में बहुत कमजोर हूँ। मुझे भय है कि यदि परीक्षा में शरीक होऊँगा तो इन विषयों में अवश्य असफल हो जाऊँगा। यदि मैं इस वर्ष परीक्षा में नहीं बैठूँगा तो अच्छा होगा।

इस दुःखद समाचार से आप तथा माँ अवश्य चिंतित होंगे, लेकिन मैं बिलकुल मजबूर हूँ। आपको यह कहने में मुझे अत्यंत दुःख हो रहा है कि मैं परीक्षा में सफल नहीं हो सकता। कृपया मुझे अगले वर्ष परीक्षा में शरीक होने की अनुमति दें। मैं आपको विश्र्वास दिलाता हूँ कि मैं कठिन परिश्रम करूँगा और कमजोरी को पूरा कर लूँगा। मुझे सभी विषयों को अच्छी तरह तैयार करने के लिए काफी समय मिलेगा।

 

अत्यंत आदर के साथ,

आपका स्त्रेही,

गिरींद्र

पता- श्री सुरेंद्र प्रसाद,

न्यू एरिया

आरा

 

अपने बड़े भाई को एक पत्र लिखिए जो अब कॉलेज में हैं। उनसे पूछिए कि आपको इस परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद क्या करना चाहिए।

 

जिला स्कूल छात्रावास,

भागलपुर

9 फरवरी, 1988

 

पूज्यवर भैया,

 

मुझे एक महीने से आपका कोई पत्र नहीं मिला है। मुझे लगता है कि आप अपने अध्ययन में इतने व्यस्त हैं कि आप मुझे पत्र नहीं लिख पाते। मेरी बोर्ड परीक्षा 9 मार्च से शुरू होगी। आप चाहते हैं कि मैं परीक्षा में अच्छा करूँ और मुझे उम्मीद है कि मेरा परीक्षाफल आपकी आशा के अनुकूल होगा। मैंने सभी विषयों को अच्छी तरह तैयार कर लिया है। अब मैं उनमें से अधिकतर विषयों को दुहरा रहा हूँ। मुझे बोर्ड परीक्षा में अच्छे अंक अवश्य आएँगे।

मैंने निश्र्चय नहीं किया है कि मुझे बोर्ड परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद क्या करना चाहिए। आप जानते है कि मैंने विज्ञान लिया है। मुझे जीवविज्ञान में बहुत रूचि है। मैं डॉक्टर बनना पसंद करूँगा।

कृपया मुझे बतलाइए कि मुझे बोर्ड परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद क्या करना चाहिए।

 

आपका स्त्रेहभाजन,

सुशील

पता- श्री मोहन बनर्जी,

कमरा न० 5,

न्यूटन छात्रावास,

पटना-5

 

अपने छोटे भाई को एक पत्र लिखिए जिसमें अध्ययन की उपेक्षा करने के लिए उसे डाँटिए।

 

जिला स्कूल छात्रावास,

राँची

7 जनवरी, 1988

 

प्रिय अजय,

मुझे अभी पिताजी का एक पत्र मिला है। उनके पत्र से यह जानकर कि तुम गत वार्षिक परीक्षा में असफल हो गए हो मुझे बहुत दुःख है। मैंने तुम्हें दुर्गापूजा की छुट्टी में कहा था कि तुम्हें कठिन परिश्रम करना चाहिए। तुमने मेरी राय पर ध्यान नहीं दिया। तुमने अध्ययन की उपेक्षा की है। इसलिए तुम परीक्षा में असफल हो गए हो।

तुम्हें स्कूल में पढ़ने के लिए भेजा गया है। अब तुम बच्चे नहीं हो। तुम्हें यह जानना चाहिए कि तुम्हें क्या करना है। यदि तुम इस प्रकार अध्ययन की उपेक्षा करोगे तो बाद में तुम्हें दुखी होना पड़ेगा, जब तुम कुछ नहीं कर सकोगे। अपना समय बरबाद नहीं करो। तुम एक वर्ष खो चुके हो, क्योंकि तुमने अध्ययन की उपेक्षा की है। परीक्षा में असफल होना तुम्हारे लिए लज्जाजनक हैं। यदि तुम पढ़ाई पर ध्यान नहीं दोगे तो तुम्हें भविष्य में पछताना पड़ेगा।

तुम्हारी असफलता से पिताजी और माताजी दोनों को अत्यंत दुःख है। तुम्हें अपना सुधार अवश्य करना चाहिए। अच्छा लड़का बनो और पढ़ने में लग जाओ। आशा है, तुम अपनी गलती महसूस करोगे।

शुभकामनाओं के साथ-

तुम्हारा प्रिय भाई,

उमेश

पता- श्री अजय कुमार,

नवम वर्ग,

एस० एच० ई० स्कूल, सुरसंड,

पो० ऑ०- सुरसंड,

जिला- सीतामढ़ी

 

एक पत्र में अपने चचेरे भाई से अनुरोध कीजिए कि वे छुट्टी में आपको अपना कैमरा दें।

कदमकुआँ,

पटना -3

15 दिसंबर, 1988

पूज्यवर भ्राताजी,

 

बहुत दिनों से आपका कोई पत्र मुझे नहीं मिला है। मेरी वार्षिक परीक्षा खत्म हो गई है और मैं बड़े दिन की छुट्टी का इंतजार कर रहा हूँ। मैंने छुट्टी में दिल्ली और आगरा जाने का निश्र्चय किया है।

मैं आपको कुछ कष्ट देना चाहता हूँ। मैं छुट्टी में आपका कैमरा लेना चाहूँगा। यदि मुझे आपका कैमरा मिल जाए तो मैं दिल्ली और आगरे की अपनी यात्रा में कुछ मनोरंजक फोटो खीचूँगा। आप जानते है कि मैं आपके कैमरे का प्रयोग अच्छी तरह कर सकता हूँ।

कृपया अपना कैमरा मुझे एक सप्ताह के लिए दें। मुझे उम्मीद है कि आप मुझे निराश नहीं करेंगे। मैं आपको विश्र्वास दिला सकता हूँ कि आपके कैमरे को अच्छी तरह रखूँगा। ज्योंही मैं यहाँ लौटकर आऊँगा, त्योंही मैं आपको यह लौटा दूँगा।

कृपया मेरा प्रणाम चाचाजी और चाचाजी को कह देंगे।

आपका स्त्रेह भाजन

उदय

पता- श्री श्याम कुमार,

कोर्ट रोड, बाढ़

जिला-पटना

अपने मित्र को एक पत्र लिखिए जिसमें मेला देखने का वर्णन कीजिए।

बाँकीपुर,

पटना-4

15 नवंबर, 1987

प्रिय शेखर,

पिछले कई दिनों से मैं तुम्हें पत्र लिखने के लिए सोच रहा था। पर, मुझे सोनपुर मेला देखने की इच्छा थी। इसलिए मैंने जान-बूझकर पत्र लिखने में देर की। मैंने सोचा कि सोनपुर मेले से लौटकर पत्र देना अच्छा होगा ताकि मैं वहाँ के अनुभव का वर्णन कर सकूँ।

सोनपुर का मेला एक बहुत बड़े क्षेत्र में लगता है। मैं समझता हूँ कि यह दुनिया का सबसे बड़ा मेला है। यहाँ सभी तरह के पशु और पक्षी- सबसे छोटे से लेकर सबसे बड़े तक- बेचे जाते है। यहाँ पर अनगिनत दूकानें रहती है और चीजों की अत्यधिक खरीद-बिक्री होती है। सबसे बड़ा बाजार जानवरों का है जहाँ गाय, भैंस, घोड़ा, ऊँट, हाथी इत्यादि बिकते हैं। मेले में बहुत-से होटल, नाटक-मंडली, सर्कस-मंडली इत्यादि रहते है। मेले में बहुत अधिक भीड़ रहती है और हरिहरनाथ के मंदिर में सबसे अधिक भीड़ रहती है।

मेले में संध्या का समय बड़ा दुःखदायी रहता है। बहुत-से लोग एक साथ भोजन बनाते है, इसलिए धुआँ बहुत उठता है। खासकर मैंने पक्षियों के बाजार का अधिक आनंद उठाया; क्योंकि एक ही जगह मैंने हजारों तरह के पक्षियों को देखा। उनमें से बहुतों का मिलना दुर्लभ था और वे बहुत दूर से लाए गए थे।

मेला जाने से मुझे बहुत आनंद हुआ, लेकिन तुम्हारी अनुपस्थिति से दुःख हुआ।

तुम्हारा शुभचिंतक,

रामानुज

पता- श्री शेखर प्रसाद,

मारफत: बाबू नंदकिशोर लाल, वकील

महाजनटोली, आरा।

नीचे कुछ विशिष्ठ पत्र लेखन दिया जा रहा है-

बायोडाटा

1. आवेदक : अम्बुज गौतम

2. पिता का नाम : श्री अमलेश कुमार

3. माता का नाम : श्रीमती विभा देवी

4. जन्म-तिथि : 14 अगस्त, 1988

5. लिंग : पुरुष

6. राष्ट्रीयता एवं कोटि : भारतीय/सामान्य

7. स्थायी पता : सुजानपुर तीरा
लक्ष्मी हाउस-सी०/14
हिमाचल प्रदेश पिन कोड- 808849

8. वर्तमान पता : Do

9. शौक्षणिक योग्यता

मैट्रिक

2004

हिमाचल प्रदेश बोर्ड

90%

प्रथम श्रेणी

इंटरमीडिएट

2006

इंटर कौंसिल, शिमला

85%

प्रथम श्रेणी

प्रतिष्ठा (गणित)

2009

जे. एन. यू.

81%

प्रथम श्रेणी

एम. एस-सी.

2011

जे. एन. यू.

78%

प्रथम श्रेणी

बी. एड.

2012

जे. एन. यू.

80%

प्रथम श्रेणी

10. अन्य योग्यता : अभिनय एवं चित्रकारिता

11. सम्पर्क-सूत्र : टेलीफोन नं.- 0296556789
मोबाईल नं.- 9934567689

12. अनुलग्नक : (i) मैट्रिक से बी. एड. तक के प्रमाण-पत्रों की छाया प्रतियाँ
(ii)
अभिनय एवं चित्र-प्रतियोगिता प्रमाण-पत्र की छाया प्रति

गाँव में रहनेवाले अपने बड़े भाई, जो बहुत गुटखा खाते हैं और दिन-रात शराब के नशे में चूर रहते हैं- को पत्र लिखकर इससे होनेवाली हानियों से उन्हें आगाह करें।

सुन्दरगढ़
पानी टंकी के पास
कुशुण्डा हाउस, मध्य प्रदेश
27
जुलाई, 2012

पूज्य भैया,
सादर प्रणाम,
कल शाम दीनू चाचा आए। उन्होंने छोटू की पढ़ाई-लिखाई की प्रशंसापरक चर्चा की। मन प्रसन्न हो गया। तभी उन्होंने आपकी दिनचर्या बताई। मैं दुखों के सागर में डूब गया। उनसे पता चला कि दिन-प्रतिदिन आपकी सेहत गिरती ही चली जा रही है। और आप हैं कि कोई ध्यान ही नहीं देते।

भैया, गुटखा और शराब-दोनों स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। गुटखा खाने से मुँह और गले का कैंसर होता है। इससे जबड़े की त्वचा सिकुड़कर सड़ जाती है। मुँह से विचित्र दुर्गंध आती है और स्वर-ग्रंथि भी बेहद प्रभावित होती है। गर्भवती माँ द्वारा सेवन करने से उसके शिशु पर भी बहुत बुरा असर पड़ता है।

इसी तरह शराब भी हमारे स्वास्थ्य को ले डूबती है। आँत और किडनी का संक्रमित होना तय है इससे। आप तो जानते ही हैं कि एक गरीब की वह औकात कहाँ जो अपना इलाज भी करा सके। यदि हम खुद अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेष्ट न रहें तो फिर कौन सँभालेगा ?

सुना है कि इधर लगातार आपके पेट में दर्द रहता है; भोजन नहीं पचता है। ये दोनों परेशानियाँ गुटखे और शराब के ही कारण हो रही हैं। आप इन्हें छोड़कर तो देखिए, चन्द दिनों में भले चंगे हो जाएँगे। मैं एक सप्ताह की छुट्टी लेकर आ रहा हूँ। आपको नशे पर आई विभिन्न रिपोर्टों को पढ़कर सुनाऊँगा।

विशेष, दर्शन होने पर। चाचीजी और सोनी पर ध्यान दीजिएगा।
आपका भतीजा
अंशुमान

अपने पिता को एक पत्र लिखिए जिसमें पूरे परिवार के व्यवहार के लिए एक टीवी खरीदने के लिए अनुरोध कीजिए

स्टेशन रोड,
भागलपुर
15
फरवरी, 1988

पूज्यवर पिताजी,

मुझे आपका पत्र अभी-अभी मिला। मुझे यह जानकर ख़ुशी है कि आप अगले महीने में घर आ रहे हैं। मैं आपको कुछ कष्ट देना चाहता हूँ। मैं चाहता हूँ कि हमारे घर में एक टीवी रहे। गत वर्ष मैंने आपसे टीवी खरीदने के लिए अनुरोध किया था, लेकिन आपने उसे स्वीकार नहीं किया। आप मुझसे सहमत होंगे कि टीवी एक बहुत उपयोगी चीज है। यदि हमारे घर में टीवी हो तो हम समाचार, फ़िल्म, क्रिकेट और कई प्रकार के मनोरंजन कर सकते हैं।

टीवी मनोरंजन का एक अच्छा साधन है। इससे हमारा बहुत मनोरंजन होगा। इसका शिक्षाणात्मक महत्त्व भी है। विभित्र कार्यक्रमों को देखकर मैं बहुत बातें सीख सकता हूँ। यदि हमारे पास टीवी हो तो वह पुरे परिवार के लिए उपयोगी होगा। माताजी औरतों के कार्यक्रम को पसंद करेंगी। वे भागवत देखना चाहेंगी। मैं टीवी देखकर बहुत-कुछ सीखूँगा। मनोज बच्चों के कार्यक्रम देखकर खुश होगा।

आप देख सकते है कि टीवी हमारे परिवार के लिए आवश्यक है। क्या आप जब घर आएँगे तब कृपा करके एक टीवी खरीद देंगे ?अब टीवी की कीमत अधिक नहीं रही। सस्ते टीवी से भी काम चल जाएगा। मुझे विश्र्वास है कि आप परिवार के व्यवहार के लिए एक टीवी खरीद देंगे।
अत्यंत आदर के साथ,

आपका स्त्रेही
प्रकाश
पता-श्री देवेंद्र प्रसाद सिंह,
15
पार्क स्ट्रीट,
कलकत्ता-8

आप एक साइकिल खरीदना चाहते हैं। अपने पिता को एक पत्र लिखिए जिसमें साइकिल खरीदने के लिए कुछ रुपए भेजने के लिए उनसे अनुरोध कीजिए।

महात्मा गाँधी रोड,
जमालपुर

27 फरवरी, 1988

पूज्यवर पिताजी,

करीब एक महीने से मुझे आपका कोई पत्र नहीं मिला है। मुझे डर है कि आप मुझ पर रंज हैं।

आप जानते है कि मुझे पैदल स्कूल जाना पड़ता है। मुझे प्रतिदिन चार मील पैदल चलना पड़ता है। मुझे प्रातः काल 9 बजकर 15 मिनट पर स्कूल के लिए रवाना होना पड़ता है। मुझे सुबह में अध्ययन के लिए अधिक समय नहीं मिलता। जब मैं स्कूल से लौटता हूँ तब मैं बहुत थका हुआ रहता हूँ। इसलिए मैं शाम में मन लगाकर नहीं पढ़ सकता।

यदि मेरे पास एक साइकिल रहे तो मैं काफी समय और शक्ति बचा सकता हूँ। मैं साइकिल चलाना अच्छी तरह जानता हूँ। मैं भीड़वाली सड़कों पर भी साइकिल चला सकता हूँ। क्या आप कृपा करके मुझे एक साइकिल खरीद देंगे? आप मुझसे सहमत होंगे कि मेरे लिए साइकिल आवश्यक है। मैं कीमती साइकिल लेना नहीं चाहता। सस्ती साइकिल से भी काम चल जाएगा।

कृपा करके मुझे पाँच सौ रुपए भेज दें जिससे मैं एक साइकिल खरीद सकूँ।
माँ को मेरा प्यार। अत्यंत आदर के साथ,

आपका स्त्रेही,
मोहन
पता- श्री महेंद्र प्रसाद,
जलकद्यरबाग,
पटना-8

एक पत्र में अपने पिता को टेस्ट परीक्षा में अपनी सफलता और बोर्ड परीक्षा के लिए अपनी तैयारी के बारे में लिखिए।

गोविंद मित्र रोड

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