हिंदी - निबंध Hindi Essay/ Nibandh

हिंदी - निबंध 

 Hindi Essay/ Nibandh 



सारा जहां ये जानता है

ये ही हमारी पहचान है, 

संस्कृत से संस्कृति हमारी

हिंदी से हिंदुस्तान है। 


      प्रत्येक राष्ट की अपनी भाषा होती है जिसका उपयोग देश में आधिकारिक कार्यों और अधिकांश लोगों द्वारा विचारों के आदान-प्रदान के लिए किया जाता है।  

जब भारत स्वतंत्र हुआ तो देश के संविधान निर्माताओं ने आधिकारिक कार्यों के लिए देश की राजभाषा के रूप में हिंदी का चयन किया। क्योंकि हिंदी ही देश की एकमात्र संपर्क भाषा है जो पूर्व को पश्चिम से तथा उत्तर को दक्षिण से जोड़ती है। हिंदी भारत की सबसे लोकप्रिय तथा सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा है जिसके माध्यम से हम भारत के किसी भी कोने में जाकर अपने विचारों का आदान-प्रदान कर सकते हैं। यह गैर-हिंदी भाषी राज्यों में भी बोली तथा समझी जाती है। हमारे देश के 52 करोड़ लोगों (43% जनसंख्या) की हिंदी मातृभाषा अथवा प्रथम भाषा है, 57% लोगों की यह पहली, दूसरी अथवा तीसरी भाषा है परंतु एक अनुमान के अनुसार लगभग 80% से अधिक लोग हिंदी बोलते तथा समझते है।   


हमारी एकता और अखंडता ही

हमारे देश की पहचान है,

हिन्दुस्तानी हैं हम और 

हिंदी हमारी जुबान है।



राजभाषा हिंदी: 

संविधान सभा ने 14 सितंबर, 1949 को हिंदी को भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया था। 

संविधान के अनुछेद 343(1) में इसका उल्लेख है। इसके अनुसार भारत की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी है। इसी को याद करते हुए 1953 से 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाने की शुरुवात हुई। तथा सितंबर से प्रथम पखवाड़े (15 दिवस) को हिंदी पखवाड़े के रूप में मनाया जाता है। 

हिंदी का प्रसार:  

हिन्दी और इसकी बोलियाँ उत्तर एवं मध्य भारत के विविध राज्यों में मातृभाषा अथवा प्रथम भाषा के रूप से बोली जाती हैं। भारत और अन्य देशों में भी लोग हिन्दी बोलते, पढ़ते और लिखते है नेपाल,  फ़िजी, मॉरिशस, गयाना, सूरीनाम आदि देशों की जनता भी हिन्दी बोलती है। 

   विश्व भाषा डेटाबेस के 22वें संस्करण के अनुसार हिंदी, अंग्रेजी तथा चीनी मंदारिन के पश्चात विश्व की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है हिंदी भाषियों की संख्या 615 मिलियन (61 करोड़) है। वर्ष 2001 की भारतीय जनगणना में भारत में 42.2 करोड़ (422,048,642) लोगों ने हिंदी को अपनी मूल भाषा बताया। भारत के बाहर, हिन्दी बोलने वाले संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग 6 लाख ; मॉरीशस में 6 लाख; दक्षिण अफ्रीका में 8 लाख; नेपाल में 8 लाख; यमन में 2 लाख; युगांडा में 1.5 लाख; सिंगापुर में 5 हजार;  न्यूजीलैंड में 20,000; तथा जर्मनी में लगभग 30,000 हैं।  

     इसके अलावा भारत, पाकिस्तान और अन्य देशों में 14 करोड़ लोगों द्वारा बोली जाने वाली उर्दू, मौखिक रूप से हिंदी के काफी सामान है। लोगों का एक विशाल बहुमत हिंदी और उर्दू दोनों को ही समझता है। भारत में हिंदी, अथवा उसकी बोलियों का उपयोग करने वाले लगभग 1 अरब लोगों की दूसरी भाषा है।  

हिन्दी राष्ट्रभाषा, राजभाषा, सम्पर्क भाषा, जनभाषा के स्तर को पार कर विश्वभाषा बनने की ओर अग्रसर है। भाषा विकास क्षेत्र से जुड़े वैज्ञानिकों की भविष्यवाणी हिन्दी प्रेमियों के लिए बड़ी सन्तोषजनक है कि आने वाले समय में विश्वस्तर पर अन्तर्राष्ट्रीय महत्त्व की जो चन्द भाषाएँ होंगी उनमें हिन्दी भी प्रमुख होगी।

अबू धाबी न्यायिक विभाग (एडीजेडी) ने अपनी अदालतों में इस्तेमाल होने वाली तीसरी आधिकारिक भाषा के रूप में हिंदी को शामिल करने का निर्णय लिया है। 


लिपि: 

हिंदी को देवनागरी लिपि में लिखा जाता है। इसे नागरी नाम से भी पुकारा जाता है। देवनागरी में 11 स्वर और 33 व्यंजन होते हैं और इसे बाएं से दायें और लिखा जाता है।


हिन्दी' शब्द की व्युत्पत्ति: 

हिन्दी शब्द का सम्बंध संस्कृत शब्द "सिन्धु" से माना जाता है। 'सिन्धु' सिन्ध प्रांत में बहने वाली नदी को कहते थे और उसी आधार पर उसके आस-पास की भूमि को सिन्धु कहने लगे। यह सिन्धु शब्द ईरानी में जाकर ‘हिन्दू’, हिन्दी और फिर ‘हिन्द’ हो गया। 


भाषा परिवार: 

हिन्दी हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार के अन्दर आती है। ये हिन्द ईरानी शाखा की हिन्द आर्य उपशाखा के अन्तर्गत वर्गीकृत है। हिन्द-आर्य भाषाएँ वो भाषाएँ हैं जो संस्कृत से उत्पन्न हुई हैं।उर्दू, कश्मीरी, बंगाली, उड़िया, पंजाबी, रोमानी, मराठी, पाली जैसी भाषाएँ भी हिन्द-आर्य भाषाएँ हैं।



हिन्दी की विशेषताएँ एवं शक्ति: 

हिंदी भाषा के उज्ज्वल स्वरूप का ज्ञान कराने के लिए यह आवश्यक है कि उसकी गुणवत्ता, क्षमता, शिल्प-कौशल और सौंदर्य का सही-सही आकलन किया जाए। संसार की उन्नत भाषाओं में हिंदी सबसे अधिक व्यवस्थित भाषा है। यह सबसे अधिक लचीली भाषा है। हिंदी दुनिया की सर्वाधिक तीव्रता से प्रसारित हो रही भाषाओं में से एक है। यह ऐसी भाषा है जिसके अधिकतर नियम अपवादविहीन है। इसका शब्दकोष बहुत विशाल है और एक-एक भाव को व्यक्त करने के लिए सैकड़ों शब्द हैं। हिन्दी लिखने के लिये प्रयुक्त देवनागरी लिपि अत्यन्त वैज्ञानिक है। हिन्दी को संस्कृत शब्दसंपदा एवं नवीन शब्द-रचना-सामर्थ्य विरासत में मिली है। वह देशी भाषाओं एवं अपनी बोलियों आदि से शब्द लेने में संकोच नहीं करती। अंग्रेजी के मूल शब्द लगभग 1०,००० हैं, जबकि हिन्दी के मूल शब्दों की संख्या ढाई लाख से भी अधिक है। हिन्दी का साहित्य सभी दृष्टियों से समृद्ध है। हिन्दी आम जनता से जुड़ी भाषा है तथा आम जनता हिन्दी से जुड़ी हुई है। भारत के स्वतंत्रता-संग्राम की वाहिका और वर्तमान में देशप्रेम का अमूर्त-वाहन  है। यह सच्चे अर्थों में विश्व भाषा बनने की पूर्ण अधिकारी है। 

    अतः हमें भारत को समृद्ध बनाने के लिए हिंदी को और समृद्ध बनाने तथा इसके प्रचार-प्रसार का प्रयास करना चाहिए एवम् हिंदी में वार्तालाप करने में गर्व महसूस करना चाहिए। 


भारतेंदु हरिश्चंद्र जी ने ठीक ही कहा है- 


"निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।

बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।

विविध कला शिक्षा अमित, ज्ञान अनेक प्रकार।

सब देसन से लै करहू, भाषा माहि प्रचार।।”

अर्थात्  

निज यानी अपनी भाषा से ही उन्नति संभव है, क्योंकि यही सारी उन्नतियों का मूलाधार है। मातृभाषा के ज्ञान के बिना हृदय की पीड़ा का निवारण संभव नहीं है।

विभिन्न प्रकार की कलाएँ, असीमित शिक्षा तथा अनेक प्रकार का ज्ञान, सभी देशों से जरूर लेने चाहिये, परन्तु उनका प्रचार मातृभाषा के द्वारा ही करना चाहिये।


जय हिंद,   जय हिंदी। 

 


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