8B.2 भारत की खोज (Bharat ki Khoj) कक्षा आठवीं पूरक पाठ्यपुस्तक NCERT प्रश्न-अभ्यास (16-27)

 भारत की खोज (Bharat ki Khoj)

कक्षा आठवीं पूरक पाठ्यपुस्तक NCERT 

 प्रश्न-अभ्यास (16-27) 

 

प्रश्न 16. महान सम्राट अशोक ने घोषणा की कि वह प्रजा के कार्य और हित के लिए हर स्थान पर और हर समय हमेशा उपलब्ध हैं। हमारे समय के शासक/लोक-सेवक इस कटौती पर कितना खरा उतरते हैं? तर्क सहित लिखिए।

उत्तर-

हमारे समय में शासक वर्ग यानी नेता प्रजा के कार्य और भलाई के लिए उपलब्ध नहीं होते हैं। वे चुनाव के वक्त दिखते हैं और जनता के कल्याण के लिए लंबी-चौड़ी घोषणाएँ तथा वायदे करते हैं। जीत जाने के बाद वे अपना शक्ल नहीं दिखाते। जनता की समस्याओं को सुनने, समझने और हल करने में रुचि नहीं होती। उन्हें तो चुनाव के समय जनता याद आती है।


प्रश्न 17.

“औरतों के परदे में अलग-अलग रहने से सामाजिक जीवन के विकास में रुकावट आई।” कैसे?

उत्तर-

औरतों के परदे में अलग-थलग रहने से सामाजिक जीवन के विकास में रुकावट आई। उन्हें शिक्षा से वंचित रहना पड़ा। अब समाज में उनकी भागीदारी कम हो गई। उनकी शिक्षा और स्वास्थ्य में गिरावट आई । औरतें घर की चारदीवारी तक सिमट कर रह गईं । नारी उत्पीड़न बढ़ गया। पुरुषों के अधिकार और वर्चस्व बढ़ते गए। इससे समाज के विकास में रुकावट आई।


प्रश्न 18.

मध्यकाल के इन संत रचनाकारों की अनेक रचनाएँ अब तक आप पढ़ चुके होंगे। इन रचनाकारों की एक-एक रचना अपनी पसंद से लिखिए-


1. अमीर खुसरो

2. कबीर

3. गुरुनानक

4. रहीम

उत्तर-


1. अमीर खुसरो-पहेलियाँ एवं मुकरियाँ

2. कबीर-बीजक

3. गुरूनानक-गुरुग्रंथ साहिब

4. रहीम-रहीम के दोहे।

1. अमीर खुसरो-वह आवै तो शादी होय उस बिन दूजा और न कोए। मीठे लागे उनके बोल, क्यों सखी साजन। न सखी ढोल।


2. कबीर-कबीर एक महान समाज सुधारक थे, जिन्होंने समाज में व्याप्त तत्कालीन कुरीतियों पर जमकर प्रहार किया।

मौको कहाँ हूँढे बँदे, मैं तो तेरे पास में।

ना मैं देवल ना मैं मस्जिद, ना काबे कैलाश में।

ना तो कौने क्रियाकर्म में नहीं यो बैराग में, कहो कबीर सुनो भई साधो, सब स्वाँसों की स्वाँस में।


3. गुरुनानक-चारि नदी अगनी असराला कोई गुरुमुखि बुझै सबदि निराला।

साकत दुरमति डूबहि दाझहिं

गुरि राखे हरि सिव राता है।


4. रहीम-रहिमन यहि संसार में सबसे मिलियो धाइ।

ना जाने केहि भेस में नारायण मिलि जाइ।।


प्रश्न 19.

बात को कहने के तीन प्रमुख तरीके अब तक आप जान चुके होंगे-

(क) अभिधा

(ख) लक्षणा

(ग) व्यंजना

बताइए, नेहरू जी का निम्नलिखित वाक्य इन तीनों में से किसका उदाहरण है? यह भी बताइए कि आपको ऐसा क्यों लगता है?

“यदि ब्रिटेन ने भारत में यह बहुत भारी बोझ नहीं उठाया होता (जैसा कि उन्होंने हमें बताया है) और लंबे समय तक हमें स्वराज्य करने की वह कठिन कला नहीं सिखाई होती, जिससे हम इतने अनजान थे, तो भारत न केवल अधिक स्वतंत्र और अधिक समृद्ध होता …. बल्कि उसने कहीं अधिक प्रगति की होती।”

उत्तर  -

व्यंजना शब्द शक्ति

इसमें अंग्रेजों पर व्यंग्य है। अंग्रेज़ों ने हमारा बोझ उठाया नहीं बल्कि हम पर थोपा था, जिससे मुक्त होने में हमें लंबा समय लगा।


प्रश्न 20.

“नयी ताकतों ने सिर उठाया और वे हमें ग्रामीण जनता की ओर ले गईं। पहली बार एक नया और दूसरे ढंग का भारत उन युवा बुदधिजीवियों के सामने आया…’ आपके विचार से आज़ादी की लड़ाई के बारे में कही गई ये बातें किस नयी ताकत’ की ओर इशारा कर रही हैं? वह कौन व्यक्ति था और उसने ऐसा क्या किया जिसने ग्रामीण जनता को भी आज़ादी की लड़ाई का सिपाही बना दिया?

उत्तर-

उपर्युक्त वाक्य इशारा करती है कि भारत के माध्यम वर्ग में नयी ताकत’ की खोज की गई है जिसमें हर विपत्ति का सामना करने की शक्ति थी। उन्हें अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक किया। इससे मध्यम वर्ग में राजनीतिक चेतना जाग उठी। यह वर्ग भारत की आजादी के लिए जागरूक हो उठा। यह वर्ग उठ खड़ा होकर आजादी के लिए सीना ताने खड़ा रहा।


प्रश्न 21.

‘भारत माता की जय’ आपके विचार से इस नारे में किसकी जय की बात कही जाती है? अपने उत्तर का कारण भी बताइए।

उत्तर-

‘भारत माता की जय’ के नारे से हमारे विचार में भारत की पावन भूमि, नदियाँ, जंगल, पर्वत, सागर पशु-पक्षी समस्त प्राणी जगत इतिहास भूगोल की जय की बात कही गई है। क्योंकि इन सबको मिलाकर भारत माता की तसवीर पूरी होती है। इन चीजों को किसी तरह से भारत माता से अलग नहीं किया जा सकता है। 


प्रश्न 22.

(क) भारत पर प्राचीन काल से ही अनेक विदेशी आक्रमण होते रहे। उनकी सूची बनाइए। समय क्रम में बनाएँ तो और भी अच्छा रहेगा।

(ख) आपके विचार से भारत में अंग्रेज़ी राज्य की स्थापना इससे पहले के आक्रमणों से किस तरह अलग है?


उत्तर-



(क) भारत पर प्राचीन काल में होने वाले आक्रमणों को निम्नलिखित रूप में सूचीबद्ध किया जा सकता है-

महमूद गज़नवी, मोहम्मद गोरी, नादिरशाह, अफगानियों का आक्रमण, मंगोलों का आक्रमण, तुर्कों का आक्रमण, अंग्रेज़ों का आक्रमण।

(ख) ब्रिटिश सरकार से पूर्व पहले जितनी भी जातियों ने भारत पर आक्रमण किया या तो उसने देश में खूब लूट-पाट मचाई धन-संपत्ति लूटकर चले गए या इसी धरती की सभ्यता या संस्कृति को अपना लिया और यहीं बस गए। उन विदेशियों ने भारत पर शासन भी किया तो भारत को अपनेपन के भाव से देखा। लेकिन इसके विपरीत अंग्रेजों की शासन सत्ता पूर्णतया अलग थी। उन्होंने भारत को लूटा और शासन की बागडोर अपने हाथ में लेकर भारत को गुलाम बना दिया। भारत का प्रशासनिक ढाँचा इंग्लैंड से तैयार होने लगा।



प्रश्न 23

(क) अंग्रेजी सरकार शिक्षा के प्रसार को नापसंद करती थी, क्यों?

(ख) शिक्षा के प्रसार को नापसंद करने के बावजूद अंग्रेज़ी सरकार को शिक्षा के बारे में थोड़ा बहुत काम करना पड़ा/क्यों?


उत्तर -

(क) अंग्रेजी सरकार शिक्षा के प्रसार को इसलिए नापसंद करती थी क्योंकि अंग्रेज़ चाहते थे कि भारतीय अशिक्षित व असभ्य रहें ताकि भारतीय पढ़ लिखकर जागरूक न बने। जिससे उनका शासन निर्बाध गति से चलता रहे। उनमें नई चेतना तथा अपनी आज़ादी के प्रति लगाव पैदा न हो।


(ख) शिक्षा के प्रसार को नापसंद करने के बावजूद अंग्रेजी सरकार को अंग्रेज़ी शिक्षा का प्रचार-प्रसार भारत में करना पड़ा।

इसके निम्नलिखित कारण थे-


1.उसे अपना काम चलाने के लिए कुछ भारतीयों की आवश्यकता थी। अतः वे अपना काम कराने के लिए कम वेतन पर क्लर्क तैयार कर सके।

2. वे भारतीयों को पश्चिमी सभ्यता के रंग में रंगना चाहते थे। ताकि वे अंग्रेज़ी सरकार के भक्त बने रहें।

3. इन पर भारतीय समाज सुधारकों के माध्यम से शिक्षा के प्रचार-प्रसार का दबाव बनाया जा रहा था।


प्रश्न 24.

ब्रिटिश शासन के दौर के लिए कहा गया कि-“नया पूँजीवाद सारे विश्व में जो बाज़ार तैयार कर रहा था उससे हर सूरत में भारत के आर्थिक ढाँचे पर प्रभाव पड़ना ही था।” क्या आपको लगता है कि अब भी नया पूँजीवाद पूरे विश्व में जो बाज़ार तैयार कर रहा है, उससे भारत के आर्थिक ढाँचे पर प्रभाव पड़ रहा है? कैसे?

उत्तर -

निश्चित रूप से यह कहा जा सकता है कि इस नए पूँजीवाद से पूरे विश्व के साथ भारत के आर्थिक ढाँचे पर भी प्रभाव पड़ रहा है। इस पूँजीवाद के परिणामस्वरूप वर्तमान पीढ़ी में किसी भी तरह कोई न कोई व्यवसाय अपनाकर धन कमाने की होड़ बढ़ी है। इसका प्रभाव यह पड़ा कि देश की पूँजी बाहर जा रही है, स्थानीय उद्योग धंधे का पतन हो रहा है। बाज़ार में विदेशी सामानों की भरमार है। इससे समाज में अमीरी-गरीबी की खाई बढ़ रही है। धनी और धनी तथा गरीब और गरीब होते जा रहे हैं। हमारा धन पूँजीपतियों के हाथों में जा रहा है। इससे स्वदेशी उद्योग धंधे चौपट हो रहे हैं। लोगों का विदेशी वस्तुओं के प्रति आकर्षण बढ़ता जा रहा है।


प्रश्न 25. 

गांधी जी के दक्षिण अफ्रीका से लौटने पर निम्नलिखित में किस तरह का बदलाव आया, पता कीजिए-

(क) कांग्रेस संगठन में।

(ख) लोगों में विद्यार्थियों, स्त्रियों, उद्योगपतियों आदि में।

(ग) आजादी की लड़ाई के तरीकों में।

(घ) साहित्य, संस्कृति, अखबार आदि में।

उत्तर-

(क) कांग्रेस संगठन में शिथिलता समाप्त हो गई। गांधी जी के आने से कांग्रेस संगठन की मजबूती बढ़ी। इसमें किसान एवं मजदूर वर्ग भी शामिल होकर नए उमंग के साथ कार्य करने लगे।


(ख) छात्र विश्वविद्यालय छोड़कर आंदोलन में कूद पड़े, औरतें भी शामिल हुईं। कई धनी वर्ग भी गांधी जी के संपर्क में आए। इन लोगों ने गांधी के साथ अंग्रेज़ों के विरुद्ध नारा बुलंद किया।


(ग) आज़ादी की लड़ाई के तरीकों में भी परिवर्तन आया। ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध लड़ाई में गांधी जी ने सत्य और अहिंसा को प्रमुख हथियार बनाया।


(घ) साहित्य, संस्कृति का विकास हुआ। कई अखबार निकले। अखबारों में अंग्रेजों की दमन की नीति की खबरें प्रमुखता से छपने लगीं। स्वतंत्रता के प्रति लोगों में जागरुकता बढ़ी।


प्रश्न 26. 

"अक्सर कहा जाता है कि भारत अंतर्विरोधों का देश है।” आपके विचार से भारत में किस-किस तरह के अंतर्विरोध हैं? कक्षा में समूह बनाकर चर्चा कीजिए।

(संकेत-अमीरी-गरीबी, आधुनिकता-मध्ययुगीनता, सुविधा-संपन्नता-सुविधाविहीन आदि)

उत्तर - 

भारत अंतर्विरोधों का देश है। इस देश में अनेक प्रकार के अंतर्विरोध रहे हैं।

(क) इसमें जहाँ एक ओर काफ़ी अमीरी है तो दूसरी ओर अधिकांश जनता गरीबी की मार झेल रही है। अमीर गरीब के बीच खाई-चौड़ी होती जा रही है। देश में अमीर लोग कई प्रकार की सुविधाओं के माध्यम से उत्तम जीवन व्यतीत कर रहे हैं। तो गरीब लोग जो सुविधाविहीन हैं वे निम्न स्तरीय जीवन व्यतीत करने के लिए मजबूर हैं। शहरों में आधुनिकता की झलक दिखाई देती है तो गाँव अभी भी मध्ययुगीन दौर में हैं।



प्रश्न 27.

पृष्ठ संख्या 122 पर नेहरू जी ने कहा है कि-”हम भविष्य की उस ‘एक दुनिया की तरफ़ बढ़ रहे हैं जहाँ राष्ट्रीय संस्कृतियाँ मानव जाति की अंतरराष्ट्रीय संस्कृति में घुलमिल जाएँगी।” आपके अनुसार उस ‘एक दुनिया में क्या-क या अच्छा है और कैसे-कैसे खतरे हो सकते हैं?

उत्तर

हमारे अनुसार वह दुनिया सबसे अच्छी होगी जिसमें सबको जीने रहने खाने की आज़ादी बिना भेद-भाव का हो। इसका परिणाम यह होगा कि कोई देश अलग-थलग नहीं रह सकता। सभी देशों की संस्कृतियाँ एक-दूसरे से घुलमिल जाएंगी यानी सभी देश मिलकर ही उन्नति की ओर अग्रसर हो पाएँगे। एक-दूसरे से मिल-मिलाप बढ़ेगा तथा सभी उन्नति के मार्ग पर आगे बढ़ते जाएँगे। इससे हम भारतीय अच्छे विश्व नागरिक बन सकेंगे।




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