8.6.1 यह सबसे कठिन समय नहीं yaha sabse Kathin Samaya Nahi

 

 8.6.1 यह सबसे कठिन समय नहीं 

yaha sabse Kathin Samaya Nahi

 - जया जादवानी


लक्षित अधिगम बिंदु (TLO)

1. जीवन में सदा आशावादी रहने का संदेश प्राप्त होता है।

2. समय परिवर्तनशील है, बुरा समय अवश्य ही बीत जाएगा इस सत्य का बोध होगा।

3. कविता पठन/ गायन  कौशल का विकास। 

4. जीवन में कठिनाइयों से डरना नहीं चाहिए तथा कभी भी हार नहीं माननी चाहिए। 

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 पाठ प्रवेश

इस पाठ में कवयित्री एक छोटी – सी चिड़िया के माध्यम से यह बताती हैं कि जब तक वह घोसला बनाने का प्रयास करेगी, जब तक वह अपनी इस क्रिया में लगी रहेगी, चिड़िया अपने घोसला बनाने में व्यस्त है और कोई गिरती हुई पत्तियों को थामने के लिए लगा हुआ है जब तक बच्चों को नानी-दादी अपनी पुरानी कहानियाँ, कल्पनिक कहानियाँ सुनती रहेगी तथा जब तक यात्रियों को पहुँचाने वाली रेल आती रहेगी, तब तक कठिन समय नहीं आ सकता।  अर्थात् जितनी भी क्रियाएँ समान्यरूप से हो रही है, तब तक यह नहीं कहा जा सकता कि इस दुनिया में, जीवन में कठिन समय की शुरुआत हो गई है। चिड़िया अपना काम कर रही है उसका काम है घोसला बनाना और अण्डे देना, अपने बच्चों को सहेज कर रखना । व्यक्ति का काम है गिरी पत्तियों को थामना या किसी को सहारा देना। नानी-दादी का काम है अपने बच्चों को कहानियाँ सुनना, प्रेयत्नक कहानियाँ सुनाना जिनसे उन्हें कुछ सीख मिले। और रेल का काम है यात्रियों को अपनी मंजिल तक पहुँचना।  यह कहा जा सकता है कि  जब तक यह काम सरल तरीके से होते रहेंगे, तब तक कठिन समय नहीं आया है। इसमें जया जी का जिंदगी के प्रति आशावादी दृष्टिकोण दिखता है । वो बहुत आशावादी है, उम्मीद का भरोसा कभी नहीं छोड़ती है। वे मानती है की जब तक मानव अपनी सहजता नहीं छोड़ता है, अपना होसला नहीं छोड़ता है, तब तक कठिन समय नहीं आ सकता। यह वास्तव में ही सच बात है की व्यक्ति में जब तक हिम्मत है, साहस है, होसला है और उसमें काम करने की शक्ति है और उसका अपना लक्ष्य है जिस पर वह केन्द्रीत है तब तक यह कहा नहीं जा सकता की कठिन समय की शुरूआत हो गई है। जब व्यक्ति होसला छोड़ देता है, हिम्मत का साथ छोड़ देता है तबी कठिन समय की शुरूआत होती है।


पाठ सार 

उपर्युक्त कविता में कवयित्री कहती है कि अभी सबसे कठिन समय नहीं है क्योंकि अभी भी चिड़िया तिनका ले जाकर घोंसला बनाने की तैयारी में है। अभी भी झड़ती हुई  पत्तियों को सँभालने वाला कोई हाथ है अर्थात अभी भी लोग एक दूसरे की मदद के लिए तैयार है। अभी भी अपने गंतव्य तक पहुँचने का इंतजार करने वालों के लिए रेलगाड़ियाँ आती हैं। अभी भी कोई कहता है जल्दी आ जाओ क्योंकि सूरज डूबने वाला है। अभी भी बूढी नानी की सुनाई कथा आज भी कोई सुनाता है कि अंतरिक्ष के पार भी दुनिया है। अतः अभी सबसे कठिन समय नहीं आया है।




नहीं, यह सबसे कठिन समय नहीं!

अभी भी दबा है चिड़ियाँ की

चोंच में तिनका

और वह उड़ने की तैयारी में है!

अभी भी झरती हुई पत्ती

थामने को बैठा है हाथ एक

अभी भी भीड़ है स्टेशन पर

अभी भी एक रेलगाड़ी जाती है

गंतव्य तक

जहाँ कोई कर रहा होगा प्रतीक्षा


शब्दार्थ –

कठिन: मुश्किल 

तिनका: लकड़ी का छोटा टुकड़ा

झरती: गिरना

थामने: पकड़ना

रेलगाड़ी: ट्रेन

गंतव्य: जिस स्थान पर पहुंचना होता है

प्रतीक्षा: इंतजार


व्याख्या – 

जया जादवानी जी एक आशावादी लेखिका है और आशावादी दृष्टिकोण रखती है। अपने जीवन में उनका यह कहना है की अभी सब कुछ सरल तरीके से हो रहा है अर्थात् अभी कठिन समय नहीं आया है। लेखिका कहती है की अभी भी चिडिया अपना घोसला बनाने के लिए प्रयास रथ है और वह उड़ने की तैयारी में है। अपने क्रियाकलाप करने के लिए, अपने घोसला बनाने की तैयारी में जुटी हुई है और उड़ने के लिए भी तैयार है अर्थात् सब काम सहज और सरल तरीके से हो रहा है तो यह नहीं कहा जा सकता की कठिन समय आ गया है। अभी भी लोग दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहते है अर्थात् गिरते हुए पत्तों को भी थामने के लिए कोई बैठा है। अभी भी लोग स्टेशन पर आते जाते रहते हैं, अभी भी एक रेलगाड़ी जाती है। रेलगाड़ी अभी भी यात्रियों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक उनकी मंजिल तक लेकर जाती है। जहाँ कोई उनका अभी भी प्रतिक्षा कर रहा होगा।  रेलगाड़ी उनको अपनी मंजिल तक लेकर जाती है। अर्थात् यह सभी क्रियाऐं स्वाभविक रूप से हो रही हैं तो यह नहीं कहा जा सकता की कठिन समय की शुरूआत हो गई है। गिरते हुए लोगों को थामने के लिए उनकी मदद करने के लिए व्यक्ति तैयार होता है और स्टेशन पर लोगों की भीड़ लगी हुई है। यात्री आ रहे हैं, जा रहे हैं।  रेलगाड़ी उनकी मंजिल तक पहुँचा रही है और कोई उनकी प्रतिक्षा कर रहा है।  यह सब स्वाभाविक और सहज तरीके से हो रहा है तो अभी नहीं कहा जा सकता की कठिन समय आ गया है।


प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिंदी की पाठय पुस्तक “वसंत-3” में संकलित “जया जादवानी” द्वारा लिखित कविता “यह सबसे कठिन समय नहीं” से ली गईं हैं। इन पंक्तियों में कवयित्री अपना आशावादी दृष्टिकोण प्रस्तुत कर रही हैं।


व्याख्या – जया जी के अनुसार चाहे आज चारों ओर अविश्वास फैला है किन्तु अभी भी उनके मन में आशा की एक किरण बची है वह कहती हैं कि यह सबसे बुरा समय नहीं है। अभी चिड़िया अपना घोंसला बनाने के लिए तिनका बटोर रही है। अभी भी पेड़ से टूटकर गिरने वाली पत्ती को थामने वाला एक हाथ बचा हुआ है। अभी भी स्टेशन पर इंतजार करने वाले यात्रियों को अपने सही स्थान पर पहुंचाने के लिए एक ट्रेन आती है।


अभी भी कहता है कोई किसी को

जल्दी आ जाओ कि अब

सूरज डूबने का वक्त हो गया

अभी कहा जाता है

उस कथा का आखिरी हिस्सा

जो बूढ़ी नानी सुना रही सदियों से

दुनिया के तमाम बच्चों को

अभी आती है एक बस

अंतरिक्ष के पार की दुनिया से

लाएगी बचे हुए लोगों की खबर! 

नहीं, यह सबसे कठिन समय नहीं।



शब्दार्थ –

वक्त: समय

कथा: कहानी

आखिरी: अंतिम

हिस्सा: भाग

सदियों: पुराने समय से

तमाम: बहुत सारे

अंतरिक्ष: ब्रह्मांड

खबर: समाचार

कठिन: मुश्किल


व्याख्या – अभी भी कोई किसी का इंतजार करता है, उसे पुकारता है और कहता है सूरज डूबने का समय हो गया है कि तुम लौट आओ । अभी भी बूढ़ी दादी-नानी  पुरानी कहानियाँ सुनाती है, उसकी अंतिम हिस्से को बहुत ही रोचक तरीके से सुनाते है। दुनिया के बहुत सारे बच्चों को बूढ़ी-दादी नानी अभी भी पारियों की कहानी अंतरिक्ष की कहानी सुनाती है। यहाँ पर लेखिका एक अन्य उदाहरण देती है कि जब दादी नानी बच्चों को अपनी अंतरिक्ष की कहानियाँ सुनाती रहेगीं, दूसरे ग्रहों की कहानियाँ सुनती रहेगीं, तब तक यह नहीं कहा जा सकता की अब कठिन समय की शुरूआत हो गई है। यह सबसे कठिन समय नहीं है क्योंकि सभी क्रियाकलाप सहज और सरल तरीके से हो रहें है । सभी अपना-अपना कार्य कर रहें हैं। तो यह नहीं कहा जा सकता की कठिन समय आ गया है।


प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिंदी की पाठय पुस्तक “वसंत-3” में संकलित “जया जादवानी” द्वारा लिखित कविता “यह सबसे कठिन समय नहीं” से ली गईं हैं। इन पंक्तियों में कवयित्री कहती है कि जब तक मनुष्य अपनी सहजता नहीं त्यागता, तबतक सबसे बुरा वक्त नहीं आ सकता।


व्याख्या – कवयित्री कहती हैं कि जब तक कोई किसी का इंतजार कर रहा है और कह रहा है कि सूरज डूबने का समय हो गया है जल्दी आ जाओ। जब तक बूढी नानी-दादी की सुनाई कहानियाँ सुनाई जाती रहेंगी कि आसमान में भी एक दुनिया बसती है। तब तक सबसे बुरा समय नहीं आ सकता।


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