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कक्षा 6 पाठ 3 पहली बूँद व्याकरण

  कक्षा 6.3 पाठ 3 पहली बूँद   व्याकरण  शब्द एक अर्थ अनेक प्रश्न- "अंकुर फूट पड़ा धरती से, नव-जीवन की ले अँगड़ाई" कविता की इस पंक्त में "फूटने' का अर्थ पौधे का अंकुरण है। 'फूट" का प्रयोंग अलग-अलग अरथों में किया जाता है, जैसे- फूट डालना, घड़ा फूटना आदि। अब फूट शब्द का प्रयोग ऐसे वाक्यों में कीजिए जहाँ इसके भिन्न-भिन्न अर्थ निकलते हों, जैसे- अंग्रेज़ों की नीति थी फूट डालो और राज करो।   उत्तर-  1. दोस्तों में फूट पड़ गई।  2. उसका सिर फूट गया।  3. धरती से जल की धारा फूट पड़ी।  4. दीवार से टकराते ही उसकी एक आँख फूट गई। अनेक शब्दों के लिए एक शब्द  प्रश्न- 'नीले नयनों-सा यह अंबर, काली पुतली-से ये जलधर' कविता की इस पंक्ति में 'जलधर' शब्द आया है। 'जलधर' दो शद्दों से बना है, जल और धर। इस प्रकार जलधर का शाब्दिक अर्थ हुआ जल को धारण करने वाला। बादल और समुद्र;, दोनों ही जल धारण करते हैं। इसलिए दोनों जलधर हैं। वाक्य के संदर्भ या प्रयोंग से हम जान सकेंगे कि जलधर का अर्थ समुद्र है या बादल। शब्दकोश या इटंरनेट की सहायता से 'धर' से मिलकर बने क

समास /Samaas

  समास / Samaas   हिंदी व्याकरण / Hindi Grammar  समास शब्द-रचना की ऐसी प्रक्रिया है जिसमें अर्थ की दृष्टि से परस्पर भिन्न तथा स्वतंत्र अर्थ रखने वाले दो या दो से अधिक शब्द मिलकर किसी अन्य स्वतंत्र शब्द की रचना करते हैं। समास विग्रह सामासिक शब्दों को विभक्ति सहित पृथक (अलग) करके उनके संबंधों को स्पष्ट करने की प्रक्रिया है।  यह समास रचना से पूर्ण रूप से विपरित प्रक्रिया है। -----  संस्कृत में समासों का बहुत प्रयोग होता है। अन्य भारतीय भाषाओं में भी समास उपयोग होता है। समास के बारे में संस्कृत में एक सूक्ति प्रसिद्ध है: द्वन्द्वो द्विगुरपि चाहं मद्गेहे नित्यमव्ययीभावः। तत् पुरुष कर्म धारय येनाहं स्यां बहुव्रीहिः॥ -------  पूर्व पद और उत्तर पद-  समास रचना में दो शब्द अथवा दो पद होते हैं पहले पद को पूर्व पद तथा दूसरे पद को उत्तर पद कहा जाता है।  इन दोनों पदों के समास से जो नया संक्षिप्त शब्द बनता है उसे समस्त पद या सामासिक पद कहते हैं।  जैसे: राष्ट्र (पूर्व पद) + पति (उत्तर पद) = राष्ट्रपति (समस्त पद) समास के निम्नलिखित छह भेद होते हैं— 1. अव्ययीभाव समास 2. तत्पुरुष समास 3. कर्मधारय समास 4.

विद्यालय पत्रिका के लिए संदेश

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  विद्यालय पत्रिका के लिए संदेश /  Vidyalaya Pattrika sandesh/  Message for school magzine kvs   प्रिय छात्र-छात्राओं, समस्त विद्यालय परिवार के सदस्यों को मेरा नमस्कार। यह समय हमारे लिए विशेष है, जब हम विद्यालय रमन सदन पत्रिका (हाउस मैगज़ीन) के माध्यम से हमारे अनुभवों, उत्कृष्टताओं और संस्कारों को साझा कर सकते हैं। इस पत्रिका  का उद्देश्य हमें एक-दूसरे के साथ जुड़ने, सीखने और प्रेरणा देने और प्रेरित होने का माध्यम प्रदान करना है। शिक्षा का महत्व हमारे समाज में अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह न केवल हमें ज्ञान की प्राप्ति करने में मदद करती है, बल्कि हमें अच्छे नागरिक और मानव बनाने का मार्ग भी दिखलाती है।   विद्या ददाति विनयं, विनयाद् याति पात्रताम्।  पात्रत्वाद् धनमाप्नोति, धनाद् धर्मं ततः सुखम्।  इस श्लोक से हमें यह शिक्षा प्राप्त होती है कि शिक्षा हमें विनय (विनम्रता) देती है, और विनय से हम पात्रता की ओर बढ़ते हैं। पात्रता हमें धन की प्राप्ति कराती है, और धन से हम धर्म का पालन करते हैं, और धर्म से हमें सुख प्राप्त होता है। इसी प्रकार, हमें हमारी शिक्षा के अनुभवों को साझा करना चाहिए, ताकि हम

8.8 सुदामा चरित/ Sudama Charit प्रश्न-अभ्यास

  8.8 सुदामा चरित/  Sudama Charit  लक्षित अधिगम बिंदु (TLO)  1. श्री कृष्ण मित्र सुदामा जी के जीवन के विषय में जानेंगे।  2. आदर्श मित्रता का संदेश प्राप्त होता है। 3. बुरे समय में  मित्र की यथाशक्ति सहायता करने का संदेश प्राप्त होता है। 4. जीवन में स्वार्थी एवं आशावादी न होने का संदेश प्राप्त होता है।  प्रश्न-अभ्यास प्रश्न 1. सुदामा की दीनदशा देखकर श्रीकृष्ण की क्या मनोदशा हुई? अपने शब्दों में लिखिए। उत्तर: सुदामा की दीनदशा को देखकर दुख के कारण श्री कृष्ण की आँखों से अश्रुधारा बहने लगी। उन्होंने सुदामा के पैरों को धोने के लिए पानी मँगवाया। परन्तु उनकी आँखों से इतने आँसू निकले की उन्ही आँसुओं से सुदामा के पैर धुल गए। प्रश्न 2 पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सों पग धोए।” पंक्ति में वर्णित भाव का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए। उत्तर: प्रस्तुत दोहे में यह कहा गया है कि जब सुदामा दीन-हीन अवस्था में कृष्ण के पास पहुँचे तो कृष्ण उन्हें देखकर व्यथित हो उठे। श्रीकृष्ण ने सुदामा के आगमन पर उनके पैरों को धोने के लिए परात में पानी मँगवाया परन्तु सुदामा की दुर्दशा देखकर श्रीकृष्ण को इतना कष्ट

8.4 भगवान के डाकिये / Bhagwaan ke Dakiye प्रश्न-अभ्यास

  8.4 भगवान के डाकिये / Bhagwaan ke Dakiye  लक्षित अधिगम बिंदु (TLO) 1. सहयोग के महत्व को समझना।  2. प्रकृति एवं मानव के मध्य सामंजस्य स्थापित करने महत्त्व को समझना।  3. सृजनात्मक का विकास। 4. हिंदी साहित्य के प्रति रुचि उत्पन्न करना।                   प्रश्न-अभ्यास कविता से  प्रश्न 1. कवि ने पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए क्यों बताया हैं? स्पष्ट कीजिए। उत्तर : कवि ने पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए इसलिए कहा है क्योंकि जिस प्रकार डाकिए संदेश लाने का काम करते हैं, उसी प्रकार पक्षी और बादल भगवान का संदेश हम तक पहुँचाते हैं। उनके लाए संदेश को हम भले ही न समझ पाए, पर पेड़, पौधे, पानी और पहाड़ उसे भली प्रकार पढ़-समझ लेतें हैं। जिस तरह बादल और पक्षी दूसरे देश में जाकर भी भेदभाव नहीं करते उसी तरह हमें भी आचरण करना चाहिए।   प्रश्न 2: पक्षी और बादल द्वारा लाई गई चिट्ठियों को कौन-कौन पढ़ पाते हैं? सोच कर लिखिए। उत्तर : पक्षी और बादल द्वारा लायी गई चिट्ठियों को पेड़-पौधे, पानी और पहाड़ पढ़ पाते हैं। प्रश्न  3: किन पंक्तियों का भाव है : (क) पक्षी और बादल प्रेम, सद्भाव और एकता का संदेश एक देश से दूसर

ICARD 2024-25

 https://drive.google.com/file/d/1LTL-jUfA3KiGElV9w1Fj6QtHnrqEVS67/view?usp=drivesdk Icard 2024-25    Excel   https://docs.google.com/spreadsheets/d/1epBJ25Wv-FQpmrbwtfA4LUIWXTNUB30rtwjUmyYQWOA/edit?usp=drivesdk

8.3 दीवानों की हस्ती/ Deewano ki hasti

  8.3 दीवानों की हस्ती/     Deewano ki hasti   लक्षित अधिगम बिंदु / TLO-       1. घटनाओं को परिवेश से जोड़ने की क्षमता का विकास। 2. दीवानों के भावों तथा क्रियाकलापों की समझ का विकास। 3. कविता के स्वर पठन का अभ्यास।  प्रश्न-अभ्यास  कविता से  1. कवि ने अपने आने को ‘उल्लास’ और जाने को ‘आँसू बनकर बह जाना’ क्यों कहा है? उत्तर:  कवि ने अपने आने को उल्लास इसलिए कहता है क्योंकि जहाँ भी वह जाता है मस्ती का आलम लेकर जाता है। वहाँ लोगों के मन प्रसन्न हो जाते हैं। पर जब वह उस स्थान को छोड़ कर आगे जाता है तब उसे तथा वहाँ के लोगों को दुःख होता है। विदाई के क्षणों में उसकी आखों से आँसू बह निकलते हैं। 2. भिखमंगों की दुनिया में बेरोक प्यार लुटानेवाला कवि ऐसा क्यों कहता है कि वह अपने हृदय पर असफलता का एक निशान भार की तरह लेकर जा रहा है? क्या वह निराश है या प्रसन्न है? उत्तर: यहाँ भिखमंगों की दुनिया से कवि का आशय है कि यह दुनिया केवल लेना जानती है देना नहीं। कवि ने भी इस दुनिया को प्यार दिया पर इसके बदले में उसे वह प्यार नहीं मिला जिसकी वह आशा करता है। कवि निराश है, वह समझता है कि प्यार और खुशियाँ लोगों क