समास /Samaas
समास / Samaas हिंदी व्याकरण / Hindi Grammar समास शब्द-रचना की ऐसी प्रक्रिया है जिसमें अर्थ की दृष्टि से परस्पर भिन्न तथा स्वतंत्र अर्थ रखने वाले दो या दो से अधिक शब्द मिलकर किसी अन्य स्वतंत्र शब्द की रचना करते हैं। समास विग्रह सामासिक शब्दों को विभक्ति सहित पृथक (अलग) करके उनके संबंधों को स्पष्ट करने की प्रक्रिया है। यह समास रचना से पूर्ण रूप से विपरित प्रक्रिया है। ----- संस्कृत में समासों का बहुत प्रयोग होता है। अन्य भारतीय भाषाओं में भी समास उपयोग होता है। समास के बारे में संस्कृत में एक सूक्ति प्रसिद्ध है: द्वन्द्वो द्विगुरपि चाहं मद्गेहे नित्यमव्ययीभावः। तत् पुरुष कर्म धारय येनाहं स्यां बहुव्रीहिः॥ ------- पूर्व पद और उत्तर पद- समास रचना में दो शब्द अथवा दो पद होते हैं पहले पद को पूर्व पद तथा दूसरे पद को उत्तर पद कहा जाता है। इन दोनों पदों के समास से जो नया संक्षिप्त शब्द बनता है उसे समस्त पद या सामासिक पद कहते हैं। जैसे: राष्ट्र (पूर्व पद) + पति (उत्तर पद) = राष्ट्रपति (समस्त पद) समास के निम्नलिखित छह भेद होते हैं— 1. अव्ययीभाव समास 2. तत्पुरुष समास 3. कर्मधारय समास 4.