Posts

Showing posts from April, 2024

क्रिया / KRIYA

क्रिया / KRIYA एवं क्रिया के भेद परिभाषा - वैसे शब्द या पद जिससे किसी कार्य के होने या किए जाने का बोध हो ,  उसे क्रिया कहते हैं। जैसे- ( i)    राधा नाच रही है । ( ii)   बच्चा दूध पी रहा है । ( iii)   मुकेश कॉलेज जा रहा है । इनमें  ‘ नाच रही है ’, ‘ पी रहा है ’, ‘ जा रहा है ’  से कार्य के करने का पता चलता है। इसलिए ये शब्द क्रिया कहलाएंगे। धातु ( Root) यदि किसी एक क्रिया के विभिन्न रुपों को देखा जाए ,  जैसे- करेगा ,  कर रहा है ,  करता है ,  कर लेगा ,  कर चुका होगा ,  करना चाहिए ,  करिए ,  करो ,  करवाइए इत्यादि तो इस सबमें कर ऐसा अंश है जो सभी क्रिया रूपों में समान रूप से आ रहा है । इसे ही धातु कहते हैं । धातु के भी दो भेद होते हैं- ( i)  सामान्य धातु- मूल में ना प्रत्यय लगाकर बनने वाला रूप सरल धातु या सामान्य धातु कहलाता है । जैसे- सोना ,  रोना ,  पढ़ना ,  बैठना इत्यादि । ( ii)  व्युत्पन्न धातु- सामान्य धातुओं में प्रत्यय लगाकर या अन्य किसी प्रकार से परिवर्तन कर जो धातुएं बनाई जाती हैं उन्हें व्युत्पन्न धातु कहते हैं । जैसे-   सामान्य धातु     व्युत्पन्न धातु पढ़ना    पढ़ाना ,  पढ़वाना

विशेषण / VISHESHEN

  विशेषण  / VISHESHEN  एवं विशेषण के भेद परिभाषा -   जो शब्द संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्दों की विशेषता (गुण, दोष, संख्या, परिमाण आदि)  बताएं उसे विशेषण कहते हैं।   जैसे - बड़ा, काला, लंबा, दयालु, भारी, सुन्दर, कायर, टेढ़ा-मेढ़ा, एक, दो आदि।  उदाहरण -  कौआ काला होता है ।  इस वाक्य में काला विशेषण है क्योंकि इससे कौआ यानी संज्ञा के बारे में विशिष्ट (रंग) जानकारी मिलती है ।   विशेष्य :- विशेषण जिसकी विशेषता बतलाए। जैसे- बाज बड़ा पक्षी होता है। यहां बाज विशेष्य है क्योंकि ‘बड़ा’ (विशेषण) बाज की विशेषता/खासियत बता रहा है ।  ----------  विशेषण तथा विशेष्य का सम्बन्ध    संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बतानेवाले शब्द 'विशेषण' कहलाते हैं, परन्तु ये विशेषण जिस संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते हैं उसे 'विशेष्य' कहते हैं। संक्षेप में, जिसकी विशेषता बतलाई जाती है उसे 'विशेष्य' कहते हैं। जैसे - 'काली भैंस' या 'दुबली गाय ' में भैंस और गाय को विशेषता क्रमश : - 'काली' व 'दुबली' बताई जा रही है इसलिए यहाँ 'भैंस' और 'गाय' विशेष्य है। ----

कारक / KARAK

  कारक / KARAK  कारक शब्द का अर्थ होता है- क्रिया को करने वाला।  वाक्य में क्रिया को पूरा कराने में अनेक संज्ञा शब्द संलग्न होते हैं। इन संज्ञाओं के क्रिया शब्दों के साथ कई प्रकार के संबंध होते हैं। इन्हीं संबंधों को व्यक्त करने वाली व्याकरणिक कोटी कारक कहलाती है। दूसरे शब्दों में, कारक उसे कहते हैं जो वाक्य में आए संज्ञा आदि शब्दों का क्रिया के साथ संबंध बताती है। जैसे- राम ने किताब पढ़ी। इस वाक्य में ‘राम’ पढ़ना क्रिया का कर्ता है और किताब उसका कर्म । यानी ‘राम’ कर्ता कारक है और ‘किताब’ कर्म कारक । कारक के प्रकार - कारक के आठ प्रकार होते हैं। हर की अपनी विभक्तियां होती हैं यानी वो चिह्न जिससे संज्ञा और क्रिया का संबंध तय होता है- कारक विभक्तियां 1. कर्ता-        ने (या कभी-कभी बिना चिह्न के) 2. कर्म-         को 3. करण-       से, के द्वारा, के साथ 4. संप्रदान-     को, के लिए 5. अपादान-     से (अलग होने का सूचक) 6. संबंध-         का, की, के, रा, री, रे, ना, नी, ने  7. अधिकरण-   में, पर         8. संबोधन-      हे, अरे, अरी, रे, ओ,  री  ----------------------------------- विस्तार से

संज्ञा एवं संज्ञा भेद / Sangya

  संज्ञा एवं संज्ञा भेद / Sangya  परिभाषा - किसी जाति, द्रव्य, गुण, भाव, व्यक्ति, स्थान और क्रिया आदि के नाम को संज्ञा कहते हैं। जैसे - पशु (जाति), सुन्दरता (गुण), व्यथा (भाव), मोहन (व्यक्ति), दिल्ली (स्थान), मारना (क्रिया)। संज्ञा के भेद :-  1. व्यक्तिवाचक संज्ञा 2. जातिवाचक संज्ञा 3. भाववाचक संज्ञा  संज्ञा के भेदों का विवरण-   1. व्यक्तिवाचक संज्ञा :- जिस शब्द से किसी एक विशेष व्यक्ति, प्राणी, वस्तु या स्थान का बोध होता है । जैसे- मुनष्यों के नाम- प्रियंका, मुकेश, कैलाश, प्रशांत, निशांत, अंजू, सुधा, वीणा इत्यादि प्राणियों के नाम- कामधेनू (गाय का नाम), एरावत (हाथी का नाम) वस्तुओं के नाम- मिर्च (मसाला का नाम), गांडीव (घनुष का नाम) स्थानों के नाम- पटना, भोपाल, लखनऊ, दिल्ली, हरिद्वार, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब इत्यादि 2. जातिवाचक संज्ञा- जिस शब्द का संबंध जाति से हो । जैसे- मनुष्य, नदी, पहाड़, नगर, राज्य, देश इत्यादि । 3. भाववाचक संज्ञा :- जिन संज्ञा शब्दों से किसी वस्तु या व्यक्ति के गुण-धर्म,दोष, शील, स्वभाव, अवस्था, भाव इत्यादि का बोध होता है । जैसे- सुंदरता, प्यार, ईमानदारी, बचपन, क

8.2 बस की यात्रा / Bas ki yatra

  8.2 बस की यात्रा  / Bas ki yatra  लक्षित अधिगम बिंदु / TLO-   1. छात्रों में कल्पना शक्ति का विकास। 2. छात्र व्यंग्य विधा को समझ सकेंगे।  3. शब्द भंडार में वृद्धि करना। 4. कारक और विशेषण का ज्ञान।  प्रश्न-अभ्यास     कारण बताएँ  1. “मैंने उस कंपनी के हिस्सेदार की तरफ़ पहली बार श्रद्धाभाव से देखा।” लेखक के मन में हिस्सेदार साहब के लिए श्रद्धा क्यों जग गई? उत्तर:  लेखक के मन में बस कंपनी के हिस्सेदार साहब के लिए श्रद्धा इसलिए जाग गई कि वह टायर की स्थिति से परिचित होने के बावजूद भी बस को चलाने का साहस जुटा रहा था। कंपनी का हिस्सेदार अपनी पुरानी बस की खूब तारीफ़ कर रहा था। अर्थ मोह की वजह से आत्म बलिदान की ऐसी भावना दुर्लभ थी जिसे देखकर लेखक हतप्रभ हो गया और उसके प्रति उनके मन में श्रद्धा भाव उमड़ता है।  2. “लोगों ने सलाह दी कि समझदार आदमी इस शाम वाली बस से सफ़र नहीं करते।” लोगों ने यह सलाह क्यों दी? उत्तर:  लोगों ने लेखक को यह सलाह इसलिए दी क्योंकि वे जानते थे की बस की हालत बहुत खराब है। बस का कोई भरोसा नहीं है कि यह कब और कहाँ रूक जाए, शाम बीतते ही रात हो जाती है और रात रास्ते में कह