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Showing posts from September, 2023

देश के सैनिक हैं हम - कविता Desh ke sainik Hain ham - poem

  देश के सैनिक हैं हम - कविता  Desh ke sainik Hain ham - poem देश के सैनिक है हम देश के रक्षक हैं हम न डर हमें किसी दुश्मन का न डर हमें किसी भक्षक का   डटे रहें सरहद पर खड़े रहें हर मोर्चे पर जब हम ललकार लगाएं।  दुश्मन डरकर भाग जाएं  जब हम बंदूक उठाएं  दुश्मन को मार भगाएं। शांति के दूत हैं हम शत्रु के काल हैं हम  देश के सैनिक है हम देश के रक्षक हैं हम 

मेरी बेटी - कविता Meri Beti poem

  मेरी बेटी - कविता       Meri Beti poem  मेरी बेटी मेरी जान है वही मेरा स्वाभिमान है जब तू हस्ती है पापा पापा करती है गोदी लो ये कहती है  जीवन आशा जागती है।  जब तू मुस्कुराती है इंद्रधनुष सा छा जाती है  खाना जब तू खाती है  तृप्त मुझे कर जाती है। तंग कभी तू करती है ये चाहिए, वो चाहिए कहती है और डांट तुझे जब पढ़ती है   दिल मेरा भी दुखता है। बेटी तू सदा खुश रहे तंदरुस्त और मस्त रहे जीवन तेरा सफल रहे दिल में माता पिता संग रहे। जब तू झप्पी पाती है पूर्ण चिंता मुक्त करती है  बीमारी तुझे जब आती है दिल अपना बड़ा दुखाती है।  सोते हुए जब देखता हूं मन मन प्रसन्न होता हूं बेटी ऐसे ही तू मस्त रहे  प्रसन्न और स्वस्थ रहे।